भौजाई के चूंचे भांज दिये

Wednesday 22 May 2013



हाये दोस्तों मेरा नाम है आजाद और मैं आज आपको बताने जा रहा हूं ऐसी कहानी जो कि आपको ले चलेगी अपने जवानी के दिनों की तरफ जब आप चूंचे देखने और दबाने के लिए मालों का एक एक किलोमीटर पीछा किया करते थे। मेरी एक भाभी हैं, सांवली सलोनी, गठीली गांड कटीली नजरों वाली। उनकी चूंचियां तो इतनी नुकीली हैं कि बस देखो तो लगता है कि दिल में ही घुस जाएंगी। उस दिन मैं अपने खेत पर काम कर रहा था, वहां धान की कटाई हो रही थी। भैया की तबियत ठीक न थी और इसलिए रात होने पर भाभी खलिहान में मेरे लिए खाना लेकर आईं। मैं खलियान में राशन की देखभाल कर रहा था, कि भाभी के पायल की झंकार सुन कर मेरा दिल डोलने लगा। जैसे जैसे भाभी अपनी चूंचे दलकाते हुए और बड़ी गांड मटकाते हुए चांदनी रात में मेरे पास आती जातीं, मैं उनको चोदने के बारे में ही सोचता रहा।
आखिर आकर वो बोलीं – बबुआ जी खाना लाई हूं खा लो। मैं घर जा रही हूं। मुझे आपके भैया की देखरेख करनी है, उनकी तबियत ठीक नहीं है। इससे पहले कि भाभी चली जातीं, मैं आह्ह !! आह्ह!! करते करते झूठ मूठ का नकल मारके वहीं खलियान में पुआल पर ढेर हो गया। भाभी ने पूछा क्या हुआ तो मैने कहा दर्द है, वो बोलीं कहा दर्द है तो मैने धोती के अंदर ईशारा करते हुए कहा – यहां दर्द है भाभी! उन्होंने मेरे लंड की तरफ देखा जो धोती को अप्ने उपर किसी झंडे की तरह उठाए हुए था। वो कहने लगीं, “अरे यहां दर्द थोड़े ही होता है, हट मजाक करते हैं आप। देवर जी, मजाक की आदत आपकी अभी गयी नहीं”। मैने आव देखा ना ताव अपनी धोती फेंक दी खोल कर और नंगे फिर दोहरा होकर तड़पने लगा। अब भाभी को खाट पर बैठना ही पड़ा। बैठ कर उसने मेरे लंड को अपने हाथों में ले  लिया और लगीं सहलाने। मुझे अब मजा आ रहा था।
मैने ये नाटक जान बूझ कर किया था। मैने कहा, “भाभी अब थोड़ा अच्छा लग रहा है, जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को पकड़ के अपने हाथों मे सहलाना शुरु किया मैने महसूस किया कि वो और कठोर होने लगा। मैने कहा, ” भाभी ये तो और भी कठोर हो रहा है अब इसमें और दर्द हो रहा है, प्लीज इसे शांत करा दीजिए, ये आपको देख कर ऐसा करने लगता है। आप ही इसे शांत करा सकती हैं। वह  मेरे सुपाड़े को पकड़ कर मसलते हुए उसे और जोर जोर से रगड़ने लगीं। मुझे और मजा आने लगा था। मैने अनायास ही उनके चूंचे पकड़ लिये तो वो अपने हांथ से हटाते हुए बोलीं ” खबरदार, ये तेरे भैया की अमानत हैं, इन्हें ना छूना!” मैने अपने हाथ उनके चूंचे से हटाते हुए उनको अपने लंड को सहलाते हुए देखता रहा। मेरा लन्ड अब पूरी तरह तन चुका था और मैने देखा कि भाभी पसीज रहीं थी। उनका पल्लू ढलक चुका था और बड़े चुंचे नुमाईंद हो रहे थे।
मैने अपने नजरों को उन चूंचो पर धंसाते हुए अपने को कंट्रोल से बाहर जाते हुए देखा। अब भाभी ने अपना सिर झुकाते हुए मेरे लंड के पास किया और अपनी जीभ से मेरे लंड के सुपाड़े का स्वाद लेने लग गयीं। आह्ह!! उनके जीभ के सटते ही मुझे 440 वोल्ट का करन्ट लगा और फिर वो अचानक से मेरे लंड को अपने मुह में निगल गयी। वो मस्ती में आ चुकी थी। उसने कहा ” देवर जी, आपके भैया के पास इतना बड़ा लंड क्यों नहीं है। उनका तो मुझे देख कर खड़ा भी नहीं होता, घंटो चूसने के बाद दो मीनट के लिए खड़ा होता है और फिर वीर्य उगल कर सो जाता है।

चूंचे की धनी भाभी

ऐसा सुन कर हंसते हुए मैने कहा, कोई बात नहीं भाभि, ऐसा है कि वो नहीं तो हम सही तो हैं। हमने तो आपको पटाने के लिए ही ऐसा किया था, ऐसा सुनते ही भाभी अपने असली रुप में आ गयीं। चांद की रोशनी में दूधिया बदन से एक एक कपड़ा उतरता चला गया प्याज के छिलके की तरह। वो मुझसे ऐसे लिपट गयीं जैसे कि बेल किसी लता से लिपट जाती है। मेरा लंड उनके योनिद्वार पर एकदम फिट बैठ चुका था और मेरे हाथ अनायास उनके चूंचे के उपर जमे थे। मैने चूंचे को गोलाई में जड़ पर जमाते हुए हल्के हल्के दूहना शूरु किया और फिर मस्ती में स्तन मर्दन करते हुए भाभी के गुलाबी होटों के जाम को पीने लगा। वो मेरे उपर थीं। मैने उनके चूंचे को थोड़ा अपना सर नीचे करते हुए अपने मुह में दबोचते हुए चूसना श्उरु किया। वो  मस्ताते हुए बोली पिलो देवर जी। आज अपनी भाभी के चूंचे ऐसे पी लो जैसे कभी मां के पिये होंगे। वैसे भी भाभी मां के समान होती है। मैने माधरचोद को उसकी माधरचोदाई के लिए गाली देते हुए कहा, अभी तो तेरे मुह में लंड दूंगा साली।
मैं खटिया से नीचे उतर गया, उसका सिर खींच कर खाट के किनारे लाया और नीचे लटका दिया। वो खाट पर लेटी थी और उसका सिर नीचे लटका हुआ था। अब उसके मुह में लंड देकर मैने कहा ले चूस साली। चुदक्कड़ अब तेरी चूत रोज बजाउंगा। वो गल्गलाने लगी, जैसे ही लंड मुह में गया, मैने धक्का मार मार कर उसकी सांसे रोक दीं। मुझे बहुत  मजा आ रहा था। मेरा लड एकदम लोहा हो चुका था, उसके साथ कठोर देसी मुखाथुन का मजा लेते हुए मैने उसके चूंचे को अपने नाखूनों से नोचना जारी रखा, ये अति उत्तेजना के फलस्वरुप हो रहा था।
मैने अब उसकी टांगे उठा के अपने कंधे पर रख लीं और उसके हाथ अपने गले के दोनों ओर से कर के पकड़ने को कहा। मैने अपने बलिष्ट भुजाओं में उसे उपर उठाते हुए अपने खड़े लंड को उसकी चूत पर लगा दिया। वो अपने आप सेट हो गया था। छरहरी काया वाली भाभी को जैसे ही मैं अपने हाथों में झुलाते हुए गांड को नीचे करता, मेरा लंड फचाक से उसकी चूत में घुस जाता। धीरे धीरे मैने स्पीड बढा दी। इस स्टाइल में उसे चोदते हुए मैने उसके सारे कस बल निकाल दिये थे। वो चिल्लाते हुए कह रही थी ” आह!! चोद रहे हो कि मार रहे हो, देवर जी, कमर टूट जाएगी, उतार के चोदो, ऐसी चुदाई तो आपके भैया कभी नहीं करते।” आधे घंटे तक चोदने के बाद मैने उसे नीचे उतार कर उसकी टांगों के बीच में आकर चोदना शुरु किया और वो धकाधक लंड लेने लगी। चोदते हुए मैं उसके चूंचे बारी बारी पी रहा था। आखिर में जब वो झड़ी तो उसकी चूत से पिचकारी निकल कर मेरे चेहरे को भिगोता चला गया।
मैने अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके चूंचे के उपर रगड़ते हुए मूठ मारना जारी रखा। धका धक मारते हुए मैने अपना वीर्य उसके चूंचे पर छिड़क दिया और वीर्य से सने लंड को पीने के लिए मुह मे दे दिया। अब ये मजा हम रोज ही लेते हैं, भाभी मेहरबान है, मेरा लंड पहलवान है।

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