भाभी पर चांस मारा

Wednesday, 4 December 2013

बात उन दिनों की है जब मैंने बारहवीं के इम्तिहान दिए
थे। मेरे भाई-भाभी मुम्बई में रहते हैं, मैं रिजल्ट निकलने तक
मुम्बई चला गया। मैं दिल्ली से कभी बाहर नहीं गया था,
यह मेरा पहला मौका था पर मुझे कभी उम्मीद
नहीं थी कि पहला मौका हमेशा के लिये यादगार रहेगा।
मैं मुम्बई स्टेशन पर पहुंचा, मेरा भाई मुझे लेने के लिए
वहां पर आया था। मैं उनके साथ घर चला गया। जब घर
पहुंचा तो भाभी से मिला और फिर मैंने फ़्रेश होकर
खाना खाया, मेरी भाभी और भाई बहुत अच्छे हैं। पड़ोस में
एक सेक्सी भाभी रहती हैं, उनके पति मेरे भाई के साथ
ही काम करते हैं। मेरी उनसे भी जान पहचान हो गई और मैं
उनके घर भी जाने लगा और सुजाता भाभी (पड़ोस
वाली भाभी) को भी अपनी भाभी की तरह इज़्ज़त
देता था। सात-आठ दिनों में मैं उससे घुल-मिल गया जैसे
वहीं पर सालों से रहा हूँ और उन्हें जानता हूँ। मेरा भाई
और पड़ोस के भाई एक ही पोस्ट पर काम करते हैं
सो उनको काम से मुम्बई से 15 दिनों के लिए बाहर
जाना था। वो चले गये। मेरी भाभी को भी एक
सहेली की शादी में पुणे जाना था, वो उनकी सबसे
अच्छी सहेलियों में से एक थी, उनको १ सप्ताह के लिये
जाना था, सो वह अपने कपड़े सम्भाल रही थी। भाभी ने
मुझसे कहा- तुम भी मेरे साथ पुणे चलो ! पर मुझे न जाने
क्यों पुणे जाने का मन नहीं था, मैंने भाभी से कहा- मुझे
वहां कोई नहीं जानता, आप जाओ। उन्होंने कहा- नहीं !
चलो ! और मुझे पर जोर देने लगी। फिर मैंने बहुत
मना किया तो वो मान गई। फिर उन्होने मुझसे
सुजाता भाभी को बुलाने के लिये कहा। मैंने
भाभी को बुलाया और भाभी ने सुजाता से कहा- मैं शादी में
जा रही हूँ, तुम विवेक के लिये खाना बना देना।
सुजाता भाभी ने कहा- कोई बात नहीं ! अगर आप
नहीं कहती तो भी मैं विवेक के लिये खाना बना देती। और
फिर भाभी अगले दिन चली गई। मैं घर में
अकेला था सुजाता भाभी ने मुझे नाश्ता करने के लिये
कहा और मैं उनके घर चला गया। नाश्ता करने के बाद मैं
अपने फ़्लैट में जाने के लिये हुआ तभी सुजाता भाभी ने मुझे
कहा- विवेक, वहाँ अकेले क्या करोगे? यहीं पर रहो ! और मैं
भी सोच रहा था कि वहाँ क्या करुंगा और फिर हम
दोनों बात करने लगे। बातों बातों में उन्होने मुझसे पूछा-
तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेंड है? मैंने कहा- भाभी, अभी तो मैं
बच्चा हूँ, मेरी कोई गर्लफ़्रेंड कैसे हो सकती है? वो हंसने
लगी। पता नहीं क्यों अब मुझे उनमें रुचि होने लगी थी।
मैंने उनके वक्ष की तरफ़ देखा। उनके स्तन काफ़ी बड़े हैं
उनकी फ़ीगर 38-29-38 होगी। वो हमेशा घर में रहती हैं
तो हल्के कपड़े पहनती हैं, उनकी ब्रा साफ़ नज़र आती है।
जब वो हंस रही थी, मैंने भी पूछा- भाभी, तुम्हारा कोई
ब्वोयफ़्रेंड है या शादी से पहले कोई था? तो वो चुप
हो गई और कहने लगी- नहीं विवेक। हमने बाते की और
दोपहर और रात का खाना खाया। रात को मैं अपने फ़्लैट
में सोने के लिये जा रहा था तो भाभी ने एक बार फिर
मुझसे कहा- यहीं सो जाओ ! मैं अकेली हूँ। मुझे डर लगता है।
उन्होंने मुझे सोने के लिये कमरा दिखाया और कहा- अगर
रात कोई प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना,
क्योंकि वहीं पर फ़्रिज है। मैंने कहा- ओके। फिर मैं
सो गया। यारो, मुझे रात कभी प्यास नहीं लगती पर न
जाने क्यों उस रात मुझे प्यास लगी और मैं भाभी के कमरे में
चला गया। कमरे में अंधेरा था, मैंने मोबाइल की लाइट ऑन
की और मुझे फ़्रिज़ मिल गया। मैंने फ़्रिज़ से बोतल निकाली,
पानी पिया और फिर बोतल रखी। जैसे ही फ़्रिज़ बंद कर
रहा था कि मुझे बेड पर भाभी सो रही थी, फ़्रिज़
की लाइट से वो दिख रही थी, अचानक मेरी नज़र उनके
बदन पर गई। मैंने देखा कि वो नाइटी पहन कर
सो रही है। नाइटी से उनकी नंगी टाँगें दिख रही थी।
ओह माय गॉड ! उनकी टाँगें कितनी चिकनी थी। फिर
मेरी नज़र ऊपर गई तो देखा कि उनकी छाती से
नाइटी खुली है और उनकी ब्रा दिख रही है। मुझसे
रहा नहीं गया और मैं फ़्रिज बंद करके अपने कमरे में
चला गया। उनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं
उनको चोदने की सोच कर अपने कमरे से निकला पर उनके
कमरे पर जाते ही मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि मैं उन्हें
भी भाभी की तरह मानता था और मेरे कदम रुक गये। रात
भर सपने में वो ही नज़र आई। रात को देर से सोया इसलिये
सुबह नींद नहीं खुली १० बज रहे थे भाभी ने मेरे कमरे में आ
कर मुझे उठने को कहा। उन्होंने पूछा- तबीयत तो ठीक है?
मैंने कहा- हां सही है। देर से क्यों उठे? मैंने कहा-
पता नहीं भाभी, आज नींद कुछ ज्यादा ही आ गई। उन्होंने
कहा- ओके ! और कहा कि अपने फ़्लैट में फ़्रेश होकर आ जाओ
फिर हम नाश्ता करेंगे। मैंने कहा- सही है ! फिर मैं
चला गया और नहा-धोकर मैं भाभी के फ़्लैट में आया। फिर
वहीं रात हो गई। भाभी ने वही कहा- प्यास लगे तो मेरे
कमरे में आ जाना ! और चली गई। मुझे रात को नींद नहीं आ
रही थी और पानी लेने के लिये फिर उनके कमरे में
चला गया। फिर वही सीन, यार, मुझे भाभी को चोदने
को मन कर करने लगा पर हिम्मत नहीं कर पाया। अगले
दिन वही रात में फिर मैं पानी के लिये गया। इस बार
सीन कुछ और था भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी और
उनका एक स्तन साफ़ दिख रहा था। मेरे लंड में तनाव आ
गया। पहली बार मेरे लंड में इतना तनाव आया था। मैं
अपने कमरे में आ गया और मुझसे से रहा नहीं गया और मैंने
पहली बार ज़िंदगी में मुठ मारा। अगले दिन फिर
वही रात ! फिर भाभी ने कहा- प्यास लगे तो मेरे कमरे में
आ जाना ! और स्माइल दे गई। मुझे इस बार स्माइल
सीधा दिल पर चुभ गई। आधे घंटे के बाद मैं उनके रूम में गया,
मैंने देखे आज नज़ारा कुछ और है ! भाभी पैंटी और ब्रा में हैं
बस अब मुझसे नहीं रहा गया, मैंने नाइट लाइट ऑन की। अब
उनका शरीर लाल लाइट में पूरा लाल लग रहा था। मुझसे
रहा नहीं गया, मैंने भाभी के पैर को छुआ, फिर स्तन ! और
स्तनों को धीरे धीरे दबाने लगा। फिर पैंटी में हाथ
डाला और चूत पर हाथ फेरा, मैं बहुत गरम हो गया था पर
अब भी भाभी को चोदने की हिम्मत नहीं कर पर
रहा था। मुझे लगा कि अब बहुत हो गया, ज्यादा डर
भी रहा था कि भाभी को पता चल जायेगा। फिर मैं बेड से
अपने कमरे की तरफ़ जाने के लिये उठा तो अचानक भाभी ने
मेरे हाथ पकड़ लिया और बहुत ही धीरे आवाज़ में कहने लगी-
मुझे गरम करके कहां जा रहे हो? मुझे ठंडा तो करो। अब
तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था, सीधे ही भाभी के
होंठों को चूसने लगा। एक हाथ वक्ष पर और एक हाथ चूत
पर ! भाभी भी मेरे होंठों को चूसने लगी और उन्होने
मेरी पैंट के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़
लिया जो कि पूरी तरह से चूत में जाने के लिये बेचैन था।
मैंने भाभी की ब्रा और पैंटी और अपने कपड़े भी उतार
दिए। मैं और भाभी पूरी तरह से नंगे थे। अब मैं उनके
स्तनों को चूसने लगा, फिर उनकी चूत को चाटने लगा और
वो तड़प उठी। उन्होंने मेरे लंड को मुंह में ले लिया, चूसने
लगी। फिर उन्होंने मुझसे लंड चूत में डालने
का इशारा किया। मैंने उनकी चूत में लंड डाल दिया। फिर
क्या ! मेरा लंड छः इन्च का है। मैंने धक्का मार-मार कर
पूरा लंड चूत में डाल दिया। भाभी आवाज़ निकाल
रही थी- अह्ह उह मर गई अहह ए ए जोर से ! फिर मैंने
भाभी से कहा- भाभी ! निकलने वाला है ! क्या करुं ?
उन्होंने कहा- मेरे मुंह में दे दो ! मैंने उनके मुंह में दे
दिया और उन्होंने पूरा माल निगल लिया। हमने भाभी के
आने तक रोज़ सेक्स का मजा लिया। फिर भाभी आ गई और
हमरा चूत मारने का सिलसला खत्म हो गया।और फिर भाई
और उसके पति भी आ गये लेकिन अब हम सब बन्द कर चुके थे
ताकि किसी को कोई शक न हो। फिर मैं दिल्ली आ
गया लेकिन आने से पहले मैं सुजाता भाभी से मिला और
उनको अपना कोन्टक्ट नम्बर दिया। वो मुझे अपना दोस्त
मानती हैं और हम दोनों कोन्टक्ट में रहते हैं।


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