Didi ka Raaj - Hindi font sex story
Wednesday, 18 January 2017
मेरा नाम शिखा है, उमर २२ साल, कद लम्बा, करीब ५ फ़ुट ३ इंच, रंग गोरा, बटाला और मैं अंग्रेज़ी से एम ए में पहले साल में हूँ और मेरी बहिन ऋचा उम्र २३ साल कद मुझ से थोड़ा छोटा ५ फ़ुट, मुझ से एक साल बड़ी है और वह मुंबई में कॉल सेण्टर में नौकरी करती है।
आज जो बात लिखने जा रही हूँ मुझ को बताते हुए बड़ी शर्म आ रही है।
बात आज से एक महीने पहले की है।
मेरी बहन एक महीने पहले ऑफिस से छुट्टी लेकर आई हुई थी। जब हम दोनों सो रहे थे तो दीदी के मोबाइल पर रात के करीब १०:३० बजे एक मिस्ड कॉल आई। तब दीदी ने कॉल देखी और उसी नंबर पर कॉल कर के बात करने लगी कि अभी तो मुझ को मासिक-धर्म ठीक से हुआ है अगर जरुरत पड़ी तो गोली ले लूँगी।
मैने पूछा- क्या बात है दीदी ऐसी बातें आप किस से कर रही हो?
दीदी- कुछ नहीं ! तू सो आराम से !
बस इतनी बात कर मैं भी सो गई।
अगले दिन हमारा चाचे का बेटा, नाम रोहन, उम्र २७ साल, कद ५ फुट ७ इंच, रंग सांवला अपनी नौकरी के सिलसिले में आया हुआ था। वह अब एक अच्छा डॉक्टर बन चुका था और एक सरकारी नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू देने आया था। वह हम सबसे मिलने सुबह करीब ११ बजे आया।
नमस्ते ताया जी ! नमस्ते ताई जी ! क्या हाल है ? रोहन ने मम्मी पापा को बड़े जोश से पूछा।
बिलकुल ठीक है पुत्तर - दोनों ने कहा।
शिखा और ऋचा कहाँ पर हैं ?
मेरी मम्मी ने कहा- बेटा, अपने कमरे में होंगी, जा के देख ले, अच्छा बाकी सब बता, सब ठीक है? तेरी इंटरव्यू कैसी हुई? मैन्नू तेरी माँ दा फ़ोन आया सी, ताँ तो पता चला कि तू आ रहा है।
ओह ! ओह ! इतने सारे सवाल ! पहले शिखा और ऋचा से तो मिल लूं !
यह कहता हुआ रोहन हमारे कमरे में बिना दरवाज़ा खटकाए घुस आया।
मैं आगे खड़ी थी और वह एकदम से गले लग गया और जोर से उसने मेरे बूब्स को अपनी छाती साथ लगाया। एकदम से मेरे बदन में करंट दौड़ गया, मैंने एकदम से उसको अपने से पीछे हटाया- क्या कर रहे हो रोहन ?
ओह ! सॉरी मैं भूल गया था कि तुम जवान हो गई हो !
फिर वह दीदी के पास जाने लगा तो दीदी ने आगे बढ़ कर कर उस के गालों पर चूम लिया।
दीदी बोली- अब ठीक है !
रोहन बोला- मजा आ गया !
इतनी देर मैं मम्मी रोहन के लिए दूध ले कर आ गई।
रोहन बोला- क्या ताई ! यह उम्र क्या दूध पीने की है ? सेब खिलाओ, सेब !
सेब इन दिनों मैं कहाँ से लाऊँ ? मार्केट में बस केले ही मिल रहे हैं - मम्मी बोली रोहन से।
क्या ताई घर में ६ सेब मौजूद हों तो बाहर से खाने की क्या पड़ी है ? - रोहन बोला।
क्या मतलब ? मम्मी ने रोहन से बड़ी हैरानी से पूछा।
ताई दो सेब तो ताया जी चूसते हैं ! दो सेब आपने मुंबई भेज दिये और दो सेब यहाँ पर हैं वोह मुझ को दे दो !- रोहन मम्मी से बोला।
मुझ को तेरा मतलब समझ नहीं आया ? मम्मी ने रोहन को पूछा।
क्या ताई आप भी बड़ी भोली बनती हो?- रोहन आगे बढ़ा और मम्मी के ब्लाऊज़ के अन्दर देखने लगा।
क्योंकि मम्मी ने गहरे गले वाला ब्लाऊज़ पहन रखा था और जिसके अन्दर से मम्मी की ब्रा साफ़ साफ़ दिख रही थी और मम्मी के बूब्स आधे नंगे थे, क्योंकि हमारे घर में कोई लड़का नहीं था तो मम्मी ने भी कभी ऐसा ब्लाऊज़ न पहनने का न सोचा।
तभी मम्मी ने एकदम से ब्लाऊज़ को अपनी साड़ी के पल्लू से ढाका- चल हट ! शरारती कहीं का ! मम्मी ने थोड़ा हंस के और थोड़ा शरमा कर उसको पीछे किया।
तब सारे हँस दिए और बात को ख़त्म कर दिया गया। मगर सच बात यह थी कि उस वक़्त मुझ को रोहन की बात समझ नहीं आई थी, बाकियों को हँसता हुआ देख मैं भी हँस दी, मगर मेरे मन में बात चलती रही कि बात क्या हुई।
इस तरह से एक हफ्ता बीत गया।
फिर उसी तरह से दीदी को रात को करीब १०:३० बजे कॉल आई।
अब ठीक है ! परेशानी की कोई बात नहीं - दीदी ने कहा और फ़ोन काट दिया।
मैंने फिर दीदी से पूछा- क्या बात है?
मगर दीदी ने फिर वही जवाब दिया कि तुम सो जाओ !
मगर मैं सोती कैसे ! मेरे मन में बेचैनी थी कि पता नहीं बात क्या है !
सो मैने भी ठान ली कि आज बात जान कर ही रहूंगी ! मेरे सोचते सोचते २० मिनट निकल गए।
तब मैंने देखा कि दीदी उठी, तब शायद रात के १२:१५ बजे ही थे, कमरे में अँधेरा था, अंधेरे में ही दीदी ने मुझको टटोला कि क्या मैं अच्छी तरह से सो गई हूँ। मगर मैं सोई नहीं थी, मैने तो सिर्फ अपनी आँखें बंद कर रखी थी।
मैंने ध्यान से देखा की दीदी ने तब अपनी नाईटी उतार दी और फिर अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब वह पूरी तरह से नंगी थी और फिर उसने हमारे कमरे को अन्दर से लॉक कर दिया, फिर वह हमारे बेड पर आ गई, फिर उसने अपना मोबाइल उठाया और कुछ देखने लग गई।
मोबाइल की रोशनी से दिख रहा था कि दीदी पूरी तरह से नंगी हुई हुई थी, यह देख मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मगर उठती कैसे, क्योंकि मैंने दीदी को इस अवस्था में पहली बार देखा था। दीदी ने अपना मुँह मेरे से उल्टी तरफ किया और अब दीदी की नंगी पीठ मेरी तरफ थी। मेरे मन में उत्तेज़ना थी कि क्या हो रहा है !
तब मैने बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटाई और देखा कि मोबाइल में क्या चल रहा है !
वह देख मैं तो दंग रह गई- मोबाइल में लड़कों और लड़कियों की नंगी तस्वीरें थी। तब दीदी की नज़र मुझ पर पड़ी और एकदम से घबरा गई। फिर हम दोनों में १ मिनट की चुप्पी छाई रही और फिर दीदी एकदम से मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे नाईट-गाऊन के सारे बटन खोल दिए। दीदी जानती थी कि मैं रात को ब्रा और पैंटी नहीं पहनती क्योंकि मुझ को रात को इससे बड़ा आराम मिलता है।
अब मैं और मेरी दीदी पूरी तरह से नंगे थे और दीदी मेरे ऊपर थी। मुझे बहुत अजीब सा और अच्छा भी लग रहा था।
फिर दीदी ने मेरे बाएँ स्तन को चूसना शुरू किया।
ओह ! मैंने कहा- दीदी यह क्या कर रही हो?
क्यों मजा नहीं आ रहा ? दीदी ने मुझ से पूछा।
अब मैं उसको ना , ना कह सकी ! असल में मजा तो आ रहा था। मैं चुप रही।
फिर क्या था, उसने अपने होंट मेरे होंटों पर रख दिए और चूसने लगी।
बहुत मजा आ रहा था। दीदी ने फिर मेरे बूब्स को चाटा, फिर उनको चूसा !
फिर मेरे पेट को अपनी जीभ से साफ़ किया, फिर वह नीचे बढ़ी और मेरी घुटनों से पकड़ कर मेरी टाँगें खोल दी।
यह क्या ? बड़े बाल हैं साफ़ नहीं करती क्या ? उफ़ ! - दीदी ने कहा।
"सारा मजा खराब कर दिया !" फिर से कहा दीदी ने !
फिर दीदी रुकी और मेरे साइड पर बैठ गई और बोली, " यार तेरे सेब बहुत मीठे हैं, तुझको मेरे कैसे लगे ?
मैंने उसको बड़ी हरानी से देखा," अरे ! तेरे बूब्स तेरे सेब हैं ! रोहन इन सेबों की बात कर रहा था ! अरे यार, मम्मी के सेब रोज पापा चूसते हैं। इस उम्र में तुझको पता होना चाहिये। इस लिए तो रोज उन को कमरा बंद होता है। और तू फ़ोन कॉल की बात पूछ रही थी तो सुन मेरे से एक गलती हो गई, मैं भी अपने सेब चुसवा चुकी हूँ !"
यह कह कर उस ने मेरी तरफ देखा- हां, मैं जानती हूँ कि तुझ को यह बात सुन कर अजीब लग रहा होगा, मगर मैं सच कहूं तो मैं यह करना नहीं चाहती थी, बस हो गया ! दीदी ने कहा।
मगर हुआ कैसे ? मैने पूछा।
"मेरे ऑफिस में एक मेरा दोस्त है सुमित, मुझ को काफी अच्छा लगता है, फिर हम दोनों में दोस्ती हो गई।
फिर इक दिन १४ फरवरी को उसने मुझ को काफ़ी पीने के लिए आमंत्रित किया। हम एक रेस्तरां में चले गए। वहाँ पर जा के देखा कि वह अपना पर्स घर पर भूल आया है। मैने पैसे देने के लिए कहा, मगर वह माना नहीं इसलिए वह मुझ को पर्स लाने के बहाने से अपनी घर ले गया।
मगर जब घर के अन्दर गई तो पता लगा कि वह अकेला है। यह देख मुझको घबराहट हुई, उसने कहा कि घबराओ मत ! यह कह कर वह मुझको अपने कमरे में ले गया और कहा कि वह मेरे लिए पीने के लिए पानी लाता है। वह बाहर गया तब मैं कमरे में अकेली थी।
मैंने देखा कि उसके बेड पर नंगी तस्वीरों वाली मैगजीन थी। अभी मैं उसको देख ही रही थी कि वह पीछे से आ गया !" दीदी ने कहा।
फिर क्या हुआ ? मैंने दीदी से पूछा।
फिर क्या ? फिर उसने मुँह से सीधा-सीधा पूछ लिया,"क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी? मैं वायदा करता हूँ कि यह बात मैं किसी से नहीं कहूंगा और तुमसे ही शादी करूंगा।"- दीदी ने कहा।
फिर ? उस के बाद क्या हुआ दीदी ?- मैंने पूछा।
सच कहूं तो उस वक्त तो मैं पूरी तरह से गरम थी और मैं उसके साथ सेक्स करना चाहती थी। मैंने उसको कुछ ना कहा मगर वह मेरे मन की बात समझ गया। तब मैंने उसके साथ सेक्स किया... वाह ! ...... कितना मज़ा था उसमें ! ... क्या आग थी !"
"अब मुझको यह तो नहीं पता कि वही तेरा जीजू बनता है या नहीं ! लेकिन मुझसे गलती तो हुई है !" दीदी ने कहा।
चल छोड़ उसको हम अपना मजा करते हैं - फिर से दीदी ने कहा।
फिर वह उठी, मेरे ऊपर पहले चद्दर दी और मुझ को इन्तज़ार करने के लिए कहा। फिर दीदी ने मेरा नाईट गाऊन पहना और फ़्रिज से बर्फ ले आई और कमरा बंद कर फिर से पूरी नंगी हो गई और मेरी चद्दर भी उतार दी।
अब हम दोनों फिर से नंगे थे !
फिर दीदी ने मेरी टाँगें खोली और मेरे चूत पर बर्फ मली।
उफ़ ! मैंने कहा।
क्या हुआ ? दीदी ने पूछा।
कुछ नहीं ! अच्छा लगा ! मैंने कहा और मैं हंस पड़ी।
मेरी बहन जवान हो गई है ! अगर मन करे तो अपनी सेब रोहन से चुसवा लियो ! अच्छा लड़का है ! दीदी ने कहा।
फिर हमने काफ़ी मस्ती की और कपड़े पहन कर सो गए।
मैं आज भी उस दिन को नहीं भूल पाई जिस दिन दीदी ने मुझ को अपना राज बताया और मुझ को भी बड़ा मजा दिया।
मैं यह मजा फिर से लेना चाहती हूँ।
आजकल रोहन बहुत याद आता है।
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