भरी हुई चूत का कोई ना वारिस : ससुर ने पेला

Wednesday, 22 May 2013

भरी हुई चूत का कोई ना वारिस : ससुर ने पेला 
हाय दोस्तों मैं मीरा हूं और मैं अपनी कहानी ‘भरी हुई जवानी’ अपने दोस्त आजादराक्स की मदद से आपको सुनाने जा रही हूं। मैं एक छोटे से शहर सहारनपुर में अपने सास ससुर के साथ रहती हूं। मेरी शादी कम उम्र में हो गयी और जब मैं जवान हुई तो मेरे पति देव कमाने के लिए अरब चले गये। भरी हुई जवानी और अकेले पन का अहसास, घर में कोई ना जवां मर्द ना देवर और मैं अकेले और तन्हा रहने लगी। अचानक से एक दिन जो भी हुआ उसने मेरी जवानी की सूरत बदल दी।

उस दिन मैं अपने हैंडपंप पर जो कि आंगन के बीचोबीच लगा हुआ है और खुले में है, उसपर नहा रही थी। सास ससुर अपने कमरे में सोए हुए थे और मै सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में नहा रही थी। अपने सर पर पानी डालते हुए मैने जैसे ही ब्लाउज का बटन ढीला किया अपने भरे हुए चूंचे मुझे दिखे, मैने दोनों बटन खोल कर इंडियन ब्रा नुमाइश करनी शुरु कर दी। बहुत दिनों बाद मैने अपनी भरी हुई जवानी को अपने हाथों में लेकर देखा था।
अपने ब्रा के अंदर हाथ डालकर मैने रगडना शुरु किया, गर्मी के मौसम में वैसे भी बहुत ज्यादा पसीना होता है कि मेरी ब्रा के लेस खुल गये। अब मैं पूरी नंगी थी। पतिदेव द्वारा मसली गयी चंद दिनों की छुई हुई चूंचियां आज भी कंवारी दिखती थीं। मैने उनको अपने हाथों में भर के देखा और सोचने लगी कि काश कोई होता मेरी इस भरी हुई जवानी का लुत्फ लेने वाला कि सामने से ससुर जी धोती उठाए चले आए। मुझे उनके इस तरह आने की उम्मीद न थी, पर शायद उनको बाथरुम जाना था, उनकी नजर मेरे चूंचों पर पड़ी और वो सर झुकाकर अंदर बाथरुम में चले गये।
मैं सोच न पायी कि क्या करुं। मुझे शैतानी सूझी, बाहनचोद, सालो हो गये चूत मराए और आज एक मौका था, ससुर जी पचास के थे पर कसरती बदन में अभी भी काफी जान बाकी थी, और उनकी हसरत भरी निगाहें जिनमें वासना और सहानुभूति झलकती थी, उनको मैं देख सकती थी। मैने जानबूझकर अपना पेटीकोट उठा कर अपनी चिकनी टांगों के बीच झांट वाली बुर को नुमाइश किया और लोटे से पानी निकाल कर अपने बुर पर डालने लगी, चप चप और तभी मेरे ससुर जी बाथरुम से निकले, उनकी नजर इस बार मेरी कालि काली झांटों के बीच चमकती हुई झांटदार पर गोरी चूत पर जाकर टिक गयी।
मैने देखा उनकी धोती के भीतर लंड एकदम से खड़ा होकर उजले कपड़े को झंडे की तरह लहरा रहा था। बुड्ढे का दिल बेईमान हो चुका था और मैं चाहती भी यही थी।
और तभी ससुर जी की धोती नीचे गिर गयी, शायद उनको भी चोदने का मन कर रहा था, सास की सूख के छुआरा हो चुकी चूत को मारने में उनको भी खास मजा नहीं आता रहा होगा, इसलिए उन्होंने इस मौके का फायदा उठाने से न चूकने का फैसला किया होगा। इस प्रकार से जैसे ही वो नंगे धड़ मेरी तरफ बढे, मेरी चूंचियां जोर जोर से उपर नीचे होने लगीं, ये सब मेरी सांसे तेज होने से हो रहा था और मैने अपना मुह छुपा लिया। उन्होंने आकर मेरे चूंचे को पकड़ लिया और चूसने लगे, मेरे बायें स्तन को अपने दोनों हाथों में भरकर उन्होंने दायें स्तन के निप्पल को अपने मुह मे ले लिया। भीगी हुई जमीन पर वो बैठ गये थे।
मै अपनी खुशी छुपा ना पा रही थी, और मैने उसके लंड को देख लिया था इसलिए मेरी चुदाई की भयंकर आशंका मेरे दिमाग में घर कर गयी थी। ससुर जी ने मेरे चूंचे को चूसते हुए मेरे चूत को देखने के लिए मेरे पेटीकोट को उतार दिया और फिर मुझे वहीं चापाकल पर लिटा दिया। मेरा भीगा हुआ बदन और भरी हुई जवानी उनको पागल कर रही थी और मैने चोदने के लिए बस आज अपना बदन उनको सौंप दिया। ससुर जी काफी रोमांटिक थे, उन्होंने मेरे हर बदन के हिस्से को हर तरफ से एक एक इंच को सहलाया। मेरा रोम रोम खड़ा हो गया, सालों बाद लंड का अवसर मिला था और वो भी रिश्ते में ससुर लगने वाले एक पराये मर्द का लंड्।

भरी हुई गांड में ससुर का मोटा लौड़ा

मै मारे खुशी के आह्लादित थी और उन्होंने आश्चर्य देते हुए अपनी जीभ से मेरा अंगूठा पीना शुरु कर दिया। ये रोमांस मैं समझ नहीं सकती थी कि क्या गुल खिला रहा था मेरे अंदर में। उन्होंने अपने मुह मे मेरे बायें पैर के अंगूठे को ले कर मेरी चूत के फांकों को सहलाना शुरु कर दिया। बुर के सालों बाद सहलाये जाने से वो फर फरा के पानी फेंकने लगी, बेचारी भरी हुई जवानी में भरी हुई चूत को ये मजा बर्दाश्त नहीं हो रहा था और उसमें अजब गजब अहसास हो रहा था। मेरे अंगूठे चूस कर ससुर जी ने मेरी गर्दन को चूसना और मेरे साईड आर्म्स को सहलाना शुरु किया। मैं एकदम मदहोश थी कि उनके  लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे मुह में टकराया। “ले पीले बेटी मेरा मोटा लंड जिसको तेरी सास अपने मुह में भर नहीं पायी, कभी” उनकी धीमी फुसफुसाहट मेरे कानों मे टकराई।
मैने उनके लंड को मुह में लिया और वो 69 पोजिशन में थे, मेरी चूत उनके मुह में थी। वो मेरे उपर लेटे थे, उनकी चुभती हुई हड्डियां मेरे सारे भरी हुई शरीर में लंड के घुसने का अहसास करा रहा था और ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा सारा शरीर चूत में बदल गया हो। मैने उनके लंड को पीते हुए बेताबी से उनके अंड्कोषों को मसलना शुरु कर दिया था और वो मेरी भग को लगभग किसी टाफी की तरह मसल रहे थे और मेरी चूत में जीभ को अंदर बाहर कर रहे थे।
आधे घंटे तक उन्होंने मेरी चूत का पान किया और आखिर में कामरस गटक गये। इसके बाद खड़ा लंड खींच कर मेरी गाँड में डाल दिया। मैं चिल्लाती रही और भीगी हुई, भरी हुई इंडियन गांड मारकर उन्होंने मुझे बेहाल कर दिया। मेरी गांड एकदम खुल गयी थी, किसी नाले की तरह जब उन्होंने मेरी गांड में अपना वीर्य छोड़ा। वीर्य से भरी हुई गांड से टपकता कामरस मेरी चूत में घुसता चला गया। मैने अपने ससुर जी को अपनी भरी हुई जवानी का वारिस बना लिया है।

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