आंटी और उनकी बेटी की चुदाई

Saturday, 30 November 2013

वहाँ पर हमारे पड़ोस में एक अंकल-आंटी रहते थे जो मकान
मालिक के चचेरे भाई थे। उनकी एक लड़की थी, क्या बताऊँ
आपको, वो इतनी सेक्सी थी कि देखते ही लंड
खड़ा हो जाये। आंटी भी जबरदस्त थी। हमारे उनके
सम्बन्ध बहुत ही अच्छे थे। वो हमारे घर हर रोज
आया करती थी और माँ के साथ बैठ कर गप्पें लगाती थी।
वो जब भी आती थी तो मैं उनके इर्द-गिर्द
ही रहता था क्योंकि मैं खेल खेल में मस्ती में ही उनके बोबे
दबा लिया करता था जो बहुत ही नर्म थे। एक दिन
की बात है, मेरे घर पर कोई नहीं था। मेरी माँ और
पिताजी भाई के साथ किसी रिश्तेदार की शादी में गए
थे। माँ आंटी को कहकर गई थी कि मेरा खाना बनाकर घर
भिजवा दें। दोपहर को एक बजे मैं क्लास से घर
पंहुचा ही था कि आंटी खाना लेकर आ गई। वो लाल
साड़ी पहने हुए थी और सफ़ेद ब्लाऊज़। ब्रा का रंग
कला था जो सफ़ेद ब्लाऊज़ में से साफ़ दिख रही थी। मैं
रोज की तरह मस्ती में उनके बोबे दबाने लगा। वो बोली-
तुम खाना खा लो ! मैंने कहा- आप प्यार से खिलाओ !
वो मान गई और प्लेट में खाना निकाल कर मेरे सामने बैठ
गई। तभी वो बोली- गर्मी ज्यादा है, पंखा चला दो ! मैंने
खड़े होकर पंखा चला दिया और उनके सामने बैठ गया।
तभी उनका आँचल पंखे की हवा से उड़ा और उनके
दोनों चूचियों के बीच की खाई मुझे साफ दिखने लगी।
मेरा लंड खडा होने लगा। वो मुझे खिलाती गई और
मेरी नजर उनके वक्ष पर टिक गई।अचानक उनकी नजर मुझ
पर पड़ी। वो समझ गई कि मैं क्या देख रहा था पर उन्होंने
कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मेरा लंड पूरा तन गया।
अचानक उनकी नजर मेरी पैंट पर पड़ी, वो हंसने लगी। मैंने
पूछा- क्या हुआ? तो उन्होंने कुछ बताया नहीं और मेरे लिए
पानी लेने चली गई। वो जब पानी लेकर वापस आई तो मैंने
पूछा- आप क्यों हंस रही थी? तो वो बोली- तेरा लंड मेरे
बोबे देखकर ही तन गया ! मैं समझ
गया कि आंटी को मस्ती करनी है। मैंने आंटी से कहा-
क्या मैं आपके बोबे पूरे देख सकता हूँ? तो वो झट से मान गई
और साड़ी उतार दी। मुझसे कहा- बाकी ब्लाऊज़ और
ब्रा तू निकाल ले।मैं झट से उनके बोबे दबाने लगा-
अआह .......... क्या मुलायम बोबे थे ! मैं तो उनके बोबे जोर-
जोर से मसलने लगा। वो भी आहें भरने लगी। फिर मैंने
उनका ब्लाऊज़ निकाला। वह क्या लग
रही थी काली ब्रा में ! मैंने ब्रा के साथ ही उनके बोबे
फिर से दबाना शुरु कर दिया। वो आह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईईईए
ऊऊऊऊ .....जैसी आवाजें निकालने लगी। 5 मिनट के बाद मैंने
ब्रा भी निकाल दी और देखा तो वाह ! क्या बोबे थे ! जैसे
दूध की डेयरी ! मैं तो प्यासी बिल्ली की तरह उनके बोबे
पर दूध पीने टूट पड़ा। मेरा लण्ड काबू के बाहर
हो गया था। अचानक आंटी बोली- बस ! अब मेरी बारी !
मैं समझ नहीं पाया। वो उठी और मेरी पैंट की जिप खोल
दी, फिर पैंट ही निकाल दी, मेरा अंडरवियर भी निकाल
दिया और मेरा लण्ड देखकर बोली- वाह, क्या लण्ड है ! कम
से कम सात इंच का होगा ! और उसे पकड़ कर हिलाने लगी।
मुझे अच्छा लगने लगा। अचानक उन्होंने मेरा लण्ड मुँह में ले
लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। मुझे तो बड़ा मज़ा आ
रहा था। दस मिनट तक वो मेरे लण्ड को चूसती ही रही।
अचानक मुझे लगा कि मैं छोड़ने वाला हूँ तो मैंने
आंटी को कहा- छुट रहा है ! वो बोली- छोड़ दे मेरे मुँह में !
और मैं झड़ गया। वो बोली- क्या मस्त स्वाद है तेरे वीर्य
का ! मेरा लण्ड ठंडा पड़ गया पर वो बहुत ही गरम
हो चुकी थी। वो बोली- चल एक काम कर ! आज मैं
तेरा कुंवारापन दूर करती हूँ। मैंने पूछा- कैसे ? तो बोली-
तू जानता है कि सुहागरात में क्या होता है ? मैंने कहा-
नहीं ! तो बोली- चल मैं तुझे बताती हूँ ! और उन्होंने
अपना चनिया निकाल दिया और पेंटी भी निकाल दी। मैं
तो देखता ही रह गया। वो बोली- अब नीचे मेरी चूत में
उंगली डाल ! मैंने वैसा ही किया। वो चिल्लाने लगी- एक
नहीं तीन उंगलियाँ दल कर अंदर-बाहर कर ! मैंने
वैसा ही किया। वो आहें भरने लगी- आह्ह्ह्ह् ........ऊऊ
ऊऊऊऊउह्ह्ह्ह् ...........उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्.........चु हूउदूऊ
ऊउ.......... मैंने लगभग 15 मिनट तक उंगली-चोदन किया।
अचानक उनकी चूत से पानी निकलने लगा। मैं समझ
गया कि आंटी झड़ गई हैं। पर मेरा लंड फिर से तन
गया था तो मैंने भी आंटी से कहा- आंटी, अब मेरे लंड
को अपने मुँह में ले लो ! वो फिर से तन गया है ! वो बोली-
चोदू ! सिर्फ मुँहचोदन ही करेगा या चूत भी चोदेगा ? मैं
झट से तैयार हो गया। मैंने आंटी की टाँगें फ़ैलाई, उनकी चूत
पर अपना लण्ड रखा और जोर से धक्का दिया।
आंटी चिल्ला उठी- लौड़े ! धीरे से डाल ! बेनचोद ! 6
महीने के बाद इतना बाद लण्ड चूत में एक ही झटके में डाल
रहा है ? मैं उनके बोबे दबाने लगा, फिर दूसरे धक्के में मैंने
अपना पूरा लण्ड आंटी की चूत में डाल दिया।वो चिल्लाने
लगी- निकाल बाहर ! फाड़ दी मेरी चूत ! निकाल बाहर !
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और ऊपर
पड़ा रहा। जैसे ही मुझे लगा कि वो अब दर्द कम हुआ है
तो मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा। उनको मज़ा आने लगा था,
वो भी उछल-उछल कर साथ दे रही थी- आः ह ह्ह्ह्ह !
ऊऽऽऽ फ़्फ़्फ़ ! आऽऽ आऽ ई ईऽऽए चोद ...जोर से ! मज़ा आ
गया ! जैसी आवाजें निकाल रही थी। मैंने अपने
झटकों की रफ्तार और तेज़ कर दी। वो भी मजे से
चुदवा रही थी। 15 मिनट के बाद मुझे
लगा कि मेरा निकल रहा है, तो मैं आंटी से बोला-
आंटी मेरा निकलने वाला है ! तो वो बोली- अंदर
ही निकाल दे ! और मैं अंदर ही झड़ गया। उस रोज़ हमने
तीन बार चुदाई की और वो अपने घर चली गई। शाम
को मेरा खाना लेकर उसकी बेटी आई।
वो बड़ी ही सेक्सी थी।

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