अम्मी ने गांड मरवा दी मेरी
Thursday, 16 March 2017
अम्मी (जिसका नाम नजमा है ) थोड़ी मोटी है लेकिन पेट बहार नहीं आने दिया है , एक साल पहले मेरे अब्बू आये तो उन्होंने एक टूटर को मेरे लिए लगा दिया , वो टूटर hindu था और बहुत ही smart था , वो ४० साल का था और कंवारा था ,
एक दिन अम्मी और आपा दोनों ही किसी काम से बहार गयी थी , और टूटर जिसका नाम राज है वो aa गया और मुझसे अम्मी के बारे में पूछा.
मैंने जब बताया की वो और आपा कल ही आएगी तो वो खुश हो गए , और बोले तुम्हारे pc पर में काम कर सकता हूँ क्या मैंने कहा क्यों नहीं सर
और सर ने नेट पर एक साईट चलादी जिसमे बहुत ही सेक्सी विडिओ थे , raj sir ne उसमे एक विडिओ दिखाया जो गे विडिओ था उसमे एक लड़का एक आदमी का लुंड चूस रहा है और बाद में गांड भी मरवाता है'में पहली बार ये सब देख रहा था , मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था , और अच्छा भी लग रहा था.
फिर सर ने धीरे धीरेमेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया , अब सर ने मेरी चुम्मी ले लीऔर कहा की कैसा लग रहा है में तो पागल ही हो गया था . बहुत ही मजा आरहा था क्योंकिपहले कभी मैंने ये सब नहीं किया था.
सर ने मेरा लंड पजामे से बहार निकल लिया और बोले = हबीब तेरा तो लंड बहुत ही छोटा है ,तू इसकी मालिश नहीं करता है क्या ,मैंने कहा नहीं सर तो सर ने कहा - अगर तू मालिश नहीं करेगा तो तेरा लंड छोटा रहा जायेगा और तू कभी अपनी बेगम को चोद नहीं पायेगा ,
क्या तुमने कोई लड़की को चोदा है कभी मैंने कहा नहीं सर ,सर ने कहा - अभी तक कोई लड़की को नहीं चोदा तुम 18 साल के हो चुके हो , जब की मुसलमानों में तो 18 साल के लड़के 2-3 बच्चो के बाप बन जाते है ,और तुम अभी तक लंड हिलाना भी नहीं सीखे हो .मुझे अजीब सा लग रहा था पर मज़ा भी बहुत आ रहा था ,सर मेरा लंड हिला रहे थे और मेरी पप्पिया भी ले रहे थे , तभी कालबेल बजी मेरा खड़ा लंड एक ही झटके में बेठ गया . बहार मेरा दोस्त जुनेद आया था , वो भी राज सर से ही टुसन पढता था उसे देख कर राज सर बहुत ही खुश हो गए और उसको गले से लगा लिया ,और सर ने जुनेद से पूछा -जुनेद तुम्हारी अम्मी कैसी है . जुनेद बोला ठीक है सर आपको बहुत ही याद करती है ,मुझे भी आपकी बहुत याद आती है
आप ने तो घर आना ही छोड़ दिया है . राज बोले जुनेद क्या करू तेरे बाप ने तो मेरी इज्जत ही ख़राब कर दी थी .जुनेद ने कहा - अब कोई डर नहीं है अब्बू कुवैत गए है और महीने से आयेंगे आप आराम से घर आओ अम्मी आपको बहुत ही याद करती है ,यह सुनकर राज सर बहुत ही खुश हो गए और उन्होंने जुनेद को
अपनी गोद में बिठालिया और उसकी पप्पी करने लगे . मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था तभी सर ने पूछा हबीब तेरी अम्मी कब आएगी मैंने कहा वो तो कल ही आएगी.
सर बोले आओ फिर आज में तुम्हे जन्नत की सैर कराता हूँ. अब सर ने जुनेद की पेंट उतर दी और मुझे भी अपना पजामा उतारने को कहा सर भी अपनी पतलून उतारने लगे ,में थोडा डर रहा था तभी जुनेद बोला हबीब मेरे यार डर मत सर बहुत ही मज़ा देते है और जुनेद मेरे पजामे को उतार कर मेरे लंड को हिलाने लगा और अचानक ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया में तो जैसे हवा में उड़ने लगा ,आज जिन्दगी में पहली बार इतना मज़ा आ रहा था जुनेद मेरा लंड चूस रहा था और सर ने अपना लंड खड़ा किया सर का लंड बहुत ही गोरा और लम्बा था करीब १० इंच का और २ इंच मोटा भी था .अब सर जुनेद के पीछे चले गए और जुनेद की गांड पर अपना थूक लगाने लगे . मुझे लगा की अब तो जुनेद की गांड फट ही जाएगी लेकिन जुनेद तो पूरा का पूरा लंड अपनी गांड में झेल गया ,और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगा थोड़ी देर बाद मुझे ऐशा लगा की में उड़ रहा हु अचानक ही मुझे पेशाब के जैसा लगा ,और मेरे लंड से सफ़ेद सा कुछ निकलने लगा और वो सब जुनेद निगल गया . थोड़ी देर बाद सर भी जुनेद की गांड में ही झड गए . जुनेद ने सर का लंड भी चाट चाट कर साफ़ कर दिया ,जुनेद ने अपना लंड जो मेरे से भी छोटा था उसको हिलाने लगा और वो भी झड गया ये मेरी जिन्दगी का पहला तजुर्बा था .फिर सर चले गए घरपर में और जुनेद ही रह गए जुनेद मेरा दूर का रिश्तेदार भी लगता था .रत को हम एक ही बिस्तर पर सो गए और हम बातें करने लगे, मैंने जुनेद से पूछा ये सब कब से चल रहा है तो जुनेद ने बताया की बात एक साल पहले की है .जब उसने राज सर से टुसन चालू की थी राज सर दोपहर में उसको पढ़ने आते थे ,तब जुनेद के घर में जुनेद की अम्मी और जुनेद ही होते थे कभी कभी जब सर आते तो जुनेद को उसकी अम्मी कोई काम से उसको बहार भेज देती थी ,ऐसे ही एक दिन जब जुनेद की अम्मी ने उसको किसी काम से बहार भेजा तो थोड़ी देर बाद जुनेद को याद आया की वो पैसे तो लाया ही नहीं .जब जुनेद वापस घर आया तो घर का मेन गेट बंद था तो जुनेद पीछे के रस्ते से घर में आया तो उसने देखा की राज सर उसकी अम्मी के साथ एकदम नंगे बिस्टर पर लेटे हुए है . जुनेद सब समझ गया . तभी राज सर ने उसको देख लिया और राज सर ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा और जब चुदाई पूरी हो गयी तो राज सर जुनेद की अम्मी के मुंह में झड गए अब जुनेद वापस मेन गेट से घर के अंदर आया .राज सर ने जुनेद को 200=रूपये दिए और कहा किसी को पता चला तो तुम्हारे घर की बहुत ही बदनामी होगी .
अब जुनेद भी अपनी अम्मी से खुलने लगा और एक दिन उसके अब्बू किसी काम से दिन के लिए बहार गए थे और जुनेद को पैसो की जरुरत पड़ी तो उसने अपनी अम्मी को कहा
अम्मी ने मना कर दिया तो जुनेद ने अम्मी को धमकी दी वो अब्बू को सर के बारे में बतादेगा. अम्मी एकदम से सकपका गयी और उससे माफ़ी मांगने लगी , अम्मी ने उसको समझाया की वो ये सब कीसी से नहीं कहेगा और जुनेद को पैसे भी दिए .
दुसरे दिन सर जब आये तो अम्मी ने उसे बहार जाने को कहा तो जुनेद ने कहा मुझे भी अब देखना है की आप लोग क्या करते हो सर ने भी अम्मी से कहा कोई बात नहीं
जुनेद अपना ही बच्चा है और राज सर ने जुनेद के सामने ही उसकी अम्मी को चोद डाला और राज सर ने अपना पूरा माल अम्मी के मुंह पर उढेल दिया—और उस रात को सर ने जुनेद की अम्मी को चार बार चोदा और जुनेद को भी लंड हिलाना सिखा दिया ,
अब जुनेद अपनी अम्मीके सामने ही अपना लंड हिलाता और उसकी अम्मी सर से चुद्वाती थी .
एक दिन उसकी अम्मी को पीरियड आ रहे थे और वो दो तिन दिन से राज सर को चूत नहीं मिल रही थी ,और राज सर ने अम्मी को कहा आज गांड मरने दो ना लेकिन अम्मी बोली नहीं मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है सर बोले टेंसन मत करो बहुत ही मज़ा आएगा . और सर ने मुझसे कहा जाओ थोडा तेल लेकर आओ .में तेल लाया और सर ने जुनेद के सामने ही उसकी अम्मी को नंगा कर दिया और उसकी गांड के छेड़ पर तेल डाल दिया और सर ने अपना लंड अम्मी की गांड में धीरे धीरे डालने लगे अम्मी करह रही थी सी सी सी सी सी आहा हा हा अल्लाह आह मर गयी अपना लंड निकाल लो राज अब दर्द हो रहा है
सर ने कहा बस दो मिनिट और सर ने अपना पूरा लंड अम्मी की गांड में ठेल दिया अम्मी जोर से चिल्लाई है अल्लाह और अम्मी रोने लगी मैंने सर से कहा प्ल्ज़ छोड़ दो मेरी अम्मी को तो सर ने कहा -जुनेद पहली बार गांड मारा रही है इसलिए दर्द हुआ है दो मिनिट में अम्मी चुप हो गयी और सिसकिय भरने लगी और कहने लगी राज आहा मज़ा आ रहा है दल दो पूरा फाड़ दो मेरी गांड आहा आहा और करीब दस मिनिट में सर अम्मी की गांड में ही झड गए –
---और पुरे तिन दिन राज सर ने अम्मी की खूब गांड मारी , इसी बीच में और अम्मी काफी खुल चुके थे में कभी कभी अम्मी के बूब छू लेता था और अम्मी भी रात में कभी कभी मेरा लंड हिला देती थी , फिर अब्बू जब वापस आये तो वो दिन को घर में ही रहते थे इसलिए अम्मी सर से नहीं चुदा सकती थी . एक दिन अब्बू आये और रात को जोर की आवाजे अम्मी के रूम से आई में वह गया तो अम्मी अब्बू से कह रही थी -तुम खाली आग लगते हो और छोड़ देते हो अपना पानी तो निकाल लेते हो लेकिन मेरा क्या
अब्बू बोले क्या करू में मेरा लंड तो ठीक है लेकिन तेरी चूत बड़ी हो गयी है अम्मी बोलने लगी मेरा पानी निकालो अब्बू ने कहा कैसे अम्मी ने कहा चाटकर तो अब्बू को गुस्सा आ गया और अम्मी को गालिया देने लगे , और बाद में अब्बू नींद की गोली लेकर सो गए . रात को करीब तिन बजे अम्मी ने मुझे जगाया और कहा जुनेद बेटा मेरे से रहा नहीं जा रहा है और चूत में बहुत ही खुजली हो रही है , और तेरे सर भी कई दिन से मुझे छोड़ नहीं पा रहे है. अब तू ही कुछ कर न मैंने कहा में क्या करू अम्मीजान तो अम्मी ने कहा आज अपनी अम्मी को अपनी जान बनाले और अम्मी मुझसे लिपटने लगी लंड तो मेरा भी खड़ा हो रहा था में भी अम्मी से चुम्मा छाती करने लगा मैंने कहा अब्बू तो नहीं जग जायंगे अम्मी बोली नहीं रे वो तो सुबह ही उठेंगे .-- अम्मी मेरा लंड चाटने लगी मेरा लंड करीब छः इंच का था पूरा खड़ा हो गया और अम्मी ने अपनी सलवार उतर दी अंदर से वो पूरी नंगी थी और झांटे भी थी
अम्मी बोल छोड़ ना और हवस की आग में में अपनी ही अम्मी की चूत जहाँ से में निकला था वही पर अपना लंड डालने लगा और बीस तीस धक्को में ही मेरा पानी निकाल गया लेकिन अम्मी जो सर से आधा आधा घंटा चुत्वती थी वो और भड़क गयी और बोली जुनेद अपनी अम्मी पर एक अहसान कर आज अपनी अम्मी की चूत को चाटकर इसमें से पानी निकाल दे
---और अम्मी ने मेरा मुहँ पकड़ कर अपनी चूत से सटा दिया और रगड़ने लगी मेरे मुहँ में नमकीन और खट्टा सा स्वाद आने लगा और में अपनी ही अम्मी की चूत चाटने लगा .
करीब बीस मिनिट के बाद अम्मी की बुर पानी छोड़ने लगी और में पूरा पानी पी गया .
अब तो अम्मी और में जब चाहते अपनी प्यास बुझा लेते . और जब अब्बू बहार जाते तो अम्मी सर से चुद्वाती थी सर ने अम्मी को बहार भी लेजाना चालू कर दिया
बहार लेजा कर सर अपने दोस्तों को अम्मी चुद्वाते थे और अम्मी को पैसा भी दिलवाते थे .अम्मी मेरा पूरा ध्यान रखने लगी और पैसा भी देने लगी .
इसी तरह पिछले महीने मेरे चाचा जान जो गाँव में रहते है की तबियत अचानक बिगड़ गयी और अब्बू और अम्मी दस दिन के लिए गाँव चले गए .
दुसरे दिन सर मुझे पढने आये और बोले आज तो मेरा लंड खड़ा हो गया है . अम्मी कहाँ है तो मैंने उनको बताया .तो वो बोले जुनेद आजतुम गांड मरवा लो ना प्लीज और सर ने मेरा लंड पकड़ लिया और हिलाने लगा में डर गयाकी अब तो मेरी गांड फट जाएगी ,सर ने कहा डरो मतफिर सर ने मुझे नंगा कर दिया और मुझे चूमने लगे और सर ने मेरा लंड भी चूसा फिर सर ने अपनी एक अंगूली मेरी गांड मेंधीरे धीरे डाली
और आगे पीछे करने लगे पहले दर्द का अहसास हुआ लेकिन थोड़ी देर में मज़ा आने लगा फिर सर ने मेरी गांड के छेड़ को चाटना चालू किया हबीब मेरे भाई क्या बताऊ कितना मज़ा आया सर ने अपनी जीभ मेरी गांड में डाल दी
और उसे आगे पीछे करने लगे और सर बोले जुनेद थोडा सा दर्द जरुर होगा लेकिन मज़ा बहुत ही आएगा तुमने अपनी अम्मी को देखा होगा की कैसे अपनी चूत से ज्यादा अपनी गांड मरवाती है मुझसे और सर की बातों से मेरी हिम्मत बन गयी और सर ने अपना दस इंच का लंड मेरी गांड में धीरे-धीरे डालने लगे और एक झटके में पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया मुझे ऐसा लगा की में मर जाऊंगा लेकिन दो ही मिनिट में
मेरी गांड में सर का लंड एडजस्ट हो गया अब सर अपना लंड आगे पीछे करने लगे और आधे घने तक मेरी गांड मारी फिर अपना पानी मेरे मुहँ में निकला और जाते समय मुझे पांच सौ रूपये भी दिए . --तिन दिन बाद राज सर ने कहा आज कहीं बहार चलते है और में उनकी बाइक पर चल दिया शहर से बहार एक फार्म हाउस था
वहा पर सर का एक दोस्त और आ गया जिसके साथ एक चालीस साल की ओरत थी फिर हम फार्म हॉउस के अंदर गए वो फार्म हॉउस सर के दोस्त का था उस दोस्त को बड़ी उम्र की ओरतो और लडको की गांड का बहुत ही शोक था, और वो अम्मी को भी छोड़ चूका था और जो ओरत उसके साथ थी वो रिश्ते में उसकी फूफी लगती थी फिर हम सब नंगे हो गए और सर ने उस ओरत जिसका नाम रानी था को चोदना चालू किया और सर का दोस्त जिसका नाम लाला था उसने मेरी गांड मारी फिर मैंने रानी को चोदा और चार घंटे बाद सर ने मुझसे कहा चलो चलते है जाते समय लाला ने मुझे दो हजार रूपये दिए .हबीब अब इस बात कोदो महीने बीत गए है अम्मी की चुदाई और गांड मराने का मज़ा कैसा होता है तुम भी जान लो और जुनेद मेरा लंडमुथ्ठियाने लगा और मेरा पजामा खोल लंड चूसने लगा .
और जुनेद ने कहा मेरी गांड मारो हबीब.उस रात मैंने दो बार जुनेद की गांड मारी और सुबह जुनेद ने कहा की में तुम्हे अपनी अम्मी जरुर चुदा उंगा . अब मेरा लंड भी अपनी ही अम्मी और आप को देख कर खड़ा होने लगा और में उनके बारे में सोच सोच कर रात को मुट्ठिया मारने लगा था ,एक दिन रात में जब में पीसी पर पोर्न देख रहा था तो मेरे कानो में कोई आवाज पड़ी जो शायद अम्मी के कमरे से आई थी आपको बतादू मेरे घर में तीन रूम है
जब अब्बू नहीं होते है तो आप और अम्मी एक ही साथ सोती है .में धीरे से बहार आया और अम्मी के रूम के पास जाकर कान लगाया तो मेरी तो हैरत का ठीक ही ना रहा ....अंदर से मेरी अम्मी की आवाज आ रही थी जो आपा से कह रही थी = आहा रजिया क्या करती है थोडा और जोर से डाल न मेरी जान मेरी बुलबुल ,आहा चोद डाल अपनी अम्मी की बुर इस प्लास्टिक के लंड से आहा आहा सी सी सी आआआआआआअ डाल दे पूरा कुतिया तेरा अब्बा तो गांड ही मारता है,कम से कम तू इस प्लास्टिक के लंड से अपनी अम्मी को राजी कर दे रजिया तुम तो अपने दोस्तों से चुदवा लेती हो हाय कभी अम्मी को भी चुदवा दे ना.
रजिया मेरी रंडी बेटी तेरा अब्बा भी तुझे चोदना चाहता है हाय आहा हा हहहहहः मेरे मालिक रजिया आहा हाहा मेरा निकल गया हाय ,,और अम्मी की आवाज बंद हो गयी .
आपा की आवाज आई अम्मी तुम तो मतलबी हो तेरा काम हो गया लेकिन मेरी बुर का इलाज कोन करेगा चलो पहले इसको चाटो और फिर ये ही लंड मेरी चूत में डालो ना मेरी प्यारी अम्मी .और रजिया ने आगे जो अम्मी से कहा वो सुन कर तो में पागल ही हो गया रजिया ने कहा की अम्मी हबीब के सर है ना बहुत ही चुदक्कड़ और गांडूहैऔर वो बहुत सीलडकियों की चूत और लडको की गांड मार चुके है ,और अम्मी ने कहातुमको कैसे मालूम तो रजिया बोली में जहाँ पढ़ाने जाती हूँ ना वहा रोजी आंटी जिसके दोनों बच्चो को में पढ़ाती हूँ उनकेसाथ में दो बार राज सर को देख चुकी हूँ वोभी
अजीब हालत में अक दिन तो राज सर का हाथ मैंने रोजी की स्किर्ट में देखा था ,अम्मी ने कहा -क्या बात करती हो रजिया ,हाँ अम्मी और तो और वो सिन्धी बनिया नहीं है जिसकी छोटी बेटी मेरे साथ पड़ती थी और जिसके साथ मैंने पहली बार लेस्बो सेक्स किया था और तुमने मुझे उसके साथ पकड़ा था
अम्मी - अरे टीना क्या ,,,---------------रजिया - हां अम्मी वो राज सर से दो तीन बार चुदा चुकी है उसने मुझे बताया की राज सर का लंड दस इंच का है और वो अपनी झांटे एकदम साफ रखते है,और चूत भी चाटते है और वो पैसे भी देते है ,और निरोध लगाकर छोड़ते है यानि कोई खतरा भी नहीं ,और अम्मी अक बार जब टीना और राज सर चुदाई कर रहे थे तो टीना का भाई विक्की आ गया तो राज सर ने उसे भी
पता लिया और विक्की की गांड मारी और टीना की चूत भी चटाई अम्मी में तो बोलती हूँ की रोज रोज प्लास्टिक के लंड से चुदने से अच्छा है की हम राज सर से सेट्टिंग करले . अम्मी वो बहुत ही पैसे वाले भी है अम्मी -पर रज्जो घर में हबीब भी है ना ,
रजिया - उसको में पटा लुंगी मेरी अम्मी , अम्मी - पर कैसे रज्जो , रजिया - तुम कल उसको बोलना की रजिया को बहार घुमा कर लाया कर अब्बू ने नई मोटर साइकिल दिलाई है ना
और में उसके पीछे बैठ कर घुमुंगी और अपने बोबे जब उसकी पीठ से रगर उंगी तो उसके दिल में भी अपनी आपा के बारे में हवस जग जाएगी ,अम्मी - रजिया तुम अपने ही भाई से चुदवाने का सोच रही हो क्या ,रजिया - अम्मी तुम भी तो मामा जान से चुद चुक्की हो ,ये सब सुन कर मेरा लुंड बुरी तरह से खड़ा हो गया और में वही पर अपना लंड हिलाने लगा पता नहीं क्यों मुझे ये सब अच्चा लग रहा था.(हबीब और रजिया की सुहागरात और अम्मी का सर के साथ सुहागदीन ) मुझे सुबह का इन्तजार था मेरी आँखों के सामने मेरी आपा के बूब और आपा के रसीले होंठ आ रहे थे रात को मैंने दो बार और पानी निकाला,
और थका हुआ में नंगाही सो गया (में आपको बतादू की अम्मी सुबह हमेशा मुझे आकर उठती है और चाय पिलाती है)सुबह अम्मी ने आकरजगाया और जल्दी से उठाया और कहा - हबीब शर्म नहीं आती है घर में जवान बहिन है और तू नंगा सोता है और ये क्या बिस्तेरभी ख़राब कर दिया .हाई अल्लाह क्यामुहं दिखाउंगी तेरे अब्बू को ये सब पता चल गया तो वो तुझे मार ही डालेंगे (मेरे अब्बू का गुस्सा बहुत ही खतरनाक है )डर के मरे मैंने अम्मी के पैर पकड़ लिएऔर कहा अम्मी किसीको मत बताना में आप जो कहोगी वो करूँगा . अम्मी ने कहा - हबीब अक शर्त पर किसी को नहीं कहूँगी मैंने कहा - मुझे आपकीहर शर्त मंजूर है अम्मी .
अम्मी ने कहा - चल उठ जा राजा, में उठा तो पता चला में नंगा ही अम्मी के सामने खड़ा हूँ.
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और अम्मी मुझे ही देख रही थी ,फिर अम्मी बोली तुम रोजाना ये सब करते हो क्या और अम्मी ने मेरा लंड पकड़ लिया और बोली -ये सब करने से तेरा ये (लंड ) ख़राब हो जायेगा और तेरी बेगम
गैर मर्दों के पास जाएगी राजा (अम्मी मुझे प्यार से राजा कहती हँ) और पता नहीं क्यों मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा .अम्मी को भी पता चल चूका था मेरा लंड करीब सात इंच का था और एक इंच मोटा था .में बोला -अम्मी छोडिये ना आपा आ जाएगी .
अम्मी - वो तो पढ़ाने जा चुकी है राजा लेकिन लगता है आज मेरे राजा को कुछ पढाना पड़ेगा और तू निचे कितनी गंदगी रखता है कोई बीमारी हो गयी तो ,(मेरी झांटे थोड़ी बढ़ी हुई थी )
और अम्मी ने कहा आज मेरे राजा को में नहलाउंगी (उस दिन मेरे कोलेज में छुट्टी थी ) और अम्मी ने मेरे लंड को हिला दिया .फिर अम्मी बोली - राजा कभी असली मज़ा लिया है या हाथगाड़ी ही चलाई है
अम्मी अब खुल कर बोल रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया था अम्मी बार-बार उसे हीदेख रही थी और वो अपनी जीभ से अपना होठ सहला रही थी ,मेरी अम्मी 46 साल की है और वो अपने शरीर का बहुत ही ख्याल रखती है दोबच्चो की अम्मी होने बाद भी वो लगती नहीं है .उनकी गांड बहुत ही गोल है और मुहँएकदम गोल अम्मी देखने में नेपालन सी लगती है और उनका पेट जरा भी बहार नहीं निकलाहै .
--और अम्मी अपने जिस्म पर एकदम फिट कपडे ही पहनती है जिससे वो और भी हसीन लगती है, अम्मी की 5.4'' है , और अभी उन्होंने वी गले का गाउन पहन रखा था , और उनके भरी बूब 36'' जो के है ,उनकी दरारे दिख रही थी ,अम्मी का हाथ अभी भी मेरा लंड मसल रहा था और अब मेरे लंड से हल्का पानी भी आने लगा था ,और अम्मी ने दुसरे हाथ से मेरी गांड का छेद हलके हलके रगड़ ने लगी अब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने अम्मी के बूब दबोच लिए और जोर से दबाया ,अचानक अम्मी ने मुझे एक थप्पड़ मारा-हबीब अम्मी चोद बनना चाहता है अगर किसी पता चला तो हम को मरना पड़ेगा और हम किसी को मुहँ दिखने लायक भी नहीं रहंगे .
लेकिन अम्मी ने लंड अभी भी पकड़ रखा था .-- अम्मी का चेहरा लाल हो गया था , और मैंने उनकी गांड पर हाथ फिरना चालू कर दिया और जोर से दबाने लगा अम्मी कुछ नहीं बोल रही थी ,मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी तो मैंने अम्मी के होंठ चूम लिए और अम्मी भी मेरे होंठ चूमने लगी . फिर अम्मी ने मुझे हम्माम में ले गयी और मेरी झांटे बनाने लगी ,और मेरी गांड के बल भी साफ कर दिए और फिर बोली - ला राजा मैंने तेरे बाल बनाये मेरी बख्शीश तो दे. मैंने कहा - क्या चाहिए अम्मी .अम्मी बोली= तेरे अब्बू दो महीने से घर नहीं आये है और एक ओरत को क्या चाहत होगी राजा में एक मर्द चाहती हूँ .जो मुझे अपनी बाँहों में लेकर मुझे जन्नत की सैर कराये और खुद भी करे .में जान बुझकर अनजान बनते हुए बोला - अम्मी में समझा नहीं .
अब अम्मी से रहा नहीं गया और अम्मी बोली - राजा तू मादर चोद बनजा...चोद डाल अपनी अम्मी को और अम्मी ने अपना गाउन उतर दिया,अम्मी ने अंदर कुछ नहीं पहन रखा था और उनकी चूत एकदम साफ थी .अम्मी ने अब मेरा लंड चुसना चालूकर दिया मेरे मुंह से सिसकिया निकलने लगी और अम्मी के मुहं को जोर ससे चोदने लगा , दो ही मिनिट में में झड़ने लगा और अम्मी ने सारा पानी चाट डाला .अम्मी बोली - राजा तेरा तो काम हो गया मेरा क्या . में बोला अम्मी लाओ में भी तुम्हारी चूत चाट देता हूँ और बीस मिनिट बाद अम्मी ने भी अपना पानी निकाल दिया .अम्मी का पानी मेरे मुहँ में जा रहा था और में अम्मी की बुर को बुरी तरह से चाट रहा था तभी घर की घंटी बजी अम्मी ने अपना गाउन डाला और बाहर भागी .रजिया आपा आ गयी थी , अम्मी की अस्त व्यस्त हालत देख कर वो कुछ कुछ समझ गयी थी लेकिन वो बोली कुछ नहीं .थोड़ी देर बाद में गुसल से बाहर निकला और अम्मी से कहा - अम्मी कुछ खाने को दो ना अम्मी ने कहा आजा राजा में रसोई में गया तो देखा अम्मी ने अपने बूब गाउन से बाहर निकल रखे है और अम्मी बोली ले राजा खाले इनको में बोला आप कहाँ है अम्मी धीरे से बोली वो अन्दर अपने रूम में है ..फिर अम्मी के बूब दबाये और अम्मी ने मेरी सलवार के उपर
से मेरा लंड दबाया और फिर अम्मी ने मुझे चूमा और बोली -राजा तेरी आप कई दिन से बोल रही है की भाई जान नई मोटर साइकिल लाये है और अपनी आप को कहीं घुमाने नहीं ले गए है ..राजा आज आप को घुमाने लेजा ना में बोला लेकिन अम्मी अब तो राज सर आने वाले होगे
अम्मी बोली बेटा में उनको फोन कर दूंगी और आने के लिए मना कर दूंगी .
में समझ गया की अम्मी आज जरुर राज सर का लंड अपनी बुर में ले ही लेगी .!
आपा भी तैयार होकर आ गयी आप ने लाल रंग की सलवार सूट पहन राखी थी .!
आपको बता दू की मेरी आपा करीब 5.7'' की है और उनकी बॉडी एकदम सोनम कपूर जैसी है वो मुझसे एक इंच लम्बी है और उनके बूब का साइज़ 32 है गांड करीब 30 की हैऔर आपा हमेशा ऊँची सेंडल पहनती है जिसकी वजह से जब वो चलती है तो उनकी गांड की हरकते देखने लायक होती है , मैंने अम्मी से कहा अम्मी कुछ पैसे तो दे दो ,आपा बोली हबीब चल पैसे मेरे पास है ,घर से निकल कर आपा से पूछा - आपा कहाँ चलना है .आपा बोली -हबीब मुझे बेंड स्टैंड लेकर चल. (बेंड स्टैंड मुंबई का एक फेमस एरिया है जहाँ एक लवर पॉइंट भी बना हुआ है जहाँ लड़के लडकिया खुले आम चुम्मा चाटी करते है .)मैंने बाइक चालू की और आपा मेरे पीछे बैठ गयी .;
में मन ही मन बहुत ही खुश था की आज आपा भी कुछ न कुछ तो करेगी और कुछ देर बाद हम एक रेड लाइट पर रुके तो सामने एक पोस्टर लगा हुआ था ,कामसूत्र कंडोम काजिसमे फ्लेवर्ड कंडोम की एड की गयी थी .अब आपा ने एक हाथमेरे लंड से सटा दिया और मुझसे धीरे से बोली हबीब ये किस चीज का एड है.
में बुरी तरह से सकपका गया और कुछ भी बोल नहीं पाया तभी ग्रीन लाइट हो गयी और में आगे बढ़ गया ,आपा कभी कभी अपने बूब जोर से मेरी पीठ पर रगड़ ती थी कभी अपना हाथ मेरे लंड को छुआ देती थी .इन सब के कारण मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया था और सलवार से साफ़ दिख रहा था__और इस हालत में हम बेंड स्टैंड पहुंचे दिन के करीब तीन बज चुके थे और वहां ज्यादा भीडभाडनहीं थी और हम लोग एक जगह बैठ गए , फिर आपा ने मुझसे कहा - हबीब मुझे तुमने बताया नहीं की वो एड किस चीज का था .
में तो गूंगा ही हो गया की क्या जवाब दूँ . आपा धीरे धीरे मुस्करा रही थी और वो बोलीचल जाने दे बाद में बता देना तू बता की राज सर तुमको अच्छा पढ़ाते है, ना ..!
मैंने कहा हां आपा तभी आपा ने सामने इशारा किया ..__________
सामने एक 45 साल का आदमी और एक करीब 20 साल की लड़की बैठे हुए थे और वो आदमी जोर जोर से उसकी चुन्चिया दबा रहा था और लड़की ने एक हाथ उस आदमी की पेंट में डाल रखा था .आपा बड़े गोर से उनको देख रही थी वो दोनों थोड़े से झाड़ियो में बैठे हुए थे और ज्यादा भीड़ न होने की वजह से वो मज़ा ले रहे थे आपा अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखे हुए थी और धीरे धीरे चूत को सहला रही थी .--
फिर आपा ने मुझसे पूछा हबीब एक बात बोलू बुरा तो नहीं मानेगा,, मैंने कहा नहीं आपाजान ,आपा बोली कोलेज में तेरी को लड़की से दोस्ती है, मैंने कहा नहीं आपा , आपा थोड़े गुस्से में बोली तो क्या लडको से काम चलाता है, और हंसने लगी मेरी तो हालत ही ख़राब हो रही थी और मेरा लंड भी खड़ा हो रखा था ,आपा ने कहा चल सामने बैठते है सामने थोड़ी झाडिया थी वहां गए तो दिखा वहा पर तीन चार जोड़े और बैठे हुए थे और मस्ती कर रहे थे .
में आपा की तरफ देख रहा था आपा का चेहरा लाल सा हो गया था और उनकी सांसे लम्बी लम्बी चलने लग गयी थी , और आपा ने मेरा हाथ कास कर थाम रखा था . फिर एक कोने में हम जाकर बेठ गए आपा ने एक हाथ मेरे कंधो पर रख लिया कोई दूसरा देखता तो यही सोचता की लवर मस्ती कर रहे है. आप की छातिया जोर जोर से उपर नीचे हो रही थी, और वो बार बार अपने होंठो पर जीभ फिर रही थी आपा के दिल की हालत का अंदाज मुझे भी हो रहा था,मेरे लंड से हल्का हल्का पानी चु रहा था और मेरा अंडर वेअर गीला हो चूका था. अचानक आपा ने कहा = हबीब तुमने किसी को चूमा है या नहीं .!मैंने कहाँ नहीं आपा आपने किसी को चूमा है आपा बोली नहीं भाई पर में ये जानना चाहती हूँ की चूमने में क्या मज़ा आता है क्या तुम मुझे चूम सकते हो ,
मेरे दिमाग में अब बुर का भुत घुस चूका था और मैंने कहा आपा क्यों नहीं और मैंने आपा को गालो पर चूमा , पर आपा बोली ऐसे नहीं हबीब लिप किस करो ना ,अचानक वहा भगदड़ सी मचने लगी मैंने आपा से कहा - आपा यहाँ से चलते है , आपा बोली की क्या हुआ यहाँ तो मजा आ रहा है , तभी सभी लोग वहां से भागने लगे हम भी वह से निकल आयें क्योकि
वहां पुलिसवाले आये थे फिर हम इधर -उधर घुमने लगे और फिर आपा ने कहाँ की चल कोई माल में चलते है वह थोड़ी सी खरीद दारी कर लेते है .
--मैंने टाइम देखा तो पुरे पांच बज गए थे , घर पर राज सर के आने का टाइम हो गया था , फिर हम एक माल में गए वहां आपा ने कुछ हल्का फुल्का सामान लिया और युहीं टाइम पास करने लगे .माल में एक दूकान थीजिसमे ब्रा और पेंटी ही मिलते थे आपा ने कहा चलो हबीब मुझे ब्रा लेनी है और आपा मुझे खिंच कर ले गयी वहा पर एकलड़की जो सेल्स गर्ल थी ने एक केट्लोग दियाऔरकहा - आप इस से ब्राऔर पेंटी पसंद करलो और मुझे साइज़ बता दो और आप अपने पति से भी पूछ लो .
में तो चोंक ही गया वो मुझे और आपाजान को मिंया बीबी समझ रही थी ..!
में कुछ बोलू की उससे पहले ही आपा बोल पड़ी= हां बहिनजी इन लोगो की ही वजह से ही इतने डिज़ाइन जो आते है फिर आपा मुझे लेकर बेठ गयी और केट्लोग से ब्रा और पेंटी देखने लगी और मुझसे पूछने लगी,,फिर आपा ने अपने लिए तीन सेट ख़रीदे पहला तो एकदम ही जोरदार था उसमे पेंटी इतनी सी थी की बस चूत ही छुपा सके और दुसरे में चूत और गांड की साइड पर छेद बने हुए थे. और तीसरी पेंटी जिप वाली थी ,सेल्स गर्ल बोली की आपके पति की पसंद तो लाजवाब है फिर उसने बील बनाया और इन सब के बीच में आपा और उस सेल्स गर्ल ( जिसका नाम बाद में पता चला आलिया था )दोनों के बीच दोस्ती हो चुकी थी और दोनों ने एक दूजे को अपना मोबाईल नो. भी दे दिया था जाते जाते आलिया ने मुझे कहा - जीजाजी आज कोनसी ड्रेस में दीदी को देखना चाहोगे मेरी मानो वो होल वाली ही पहनाना और आलिया और आपा जोर जोर से हंसने लगी ..!और फिर हम दोनों घर के लिए चल पड़े शाम के सात बज गए थे और अँधेरा सा होने लगा था ,में मन ही मन अम्मी और सर के बारे में ही सोच रहा था .क्या अम्मी ने सर से चुदवाया होगा
रास्ते में आपा मेरे से एकदम सैट के बेठी हुई थी और वो अपनी चुचिया मेरी पीठ से दबा रही थी और आपा मुझसे बोली आलिया केसी लगी हबीब जोरदार थी न और उसका निकाह भी हो गया है और उसका शोहर भी सउदी अरब गया है साल में एक ही बार आता है और आलिया का मामे का लड़का ही है (हमारे समाज में चाचा मामा की लड़के लडकियों में रिश्तेदारी आम बात है )आलिया को तुम बहुत ही पसंद आये हो और वो हमारे घर आना चाहती है समझे कुछ भाईजान या आगे भी सब कुछ आपा को ही करना पड़ेगा और, आपा ने मेरी छाती कस कर दबादी आगे से छाती दबी और पीछे से आपा की चुचिया लगी मेरे लंड ने फिर सलामी देनी चालू कर दी .रास्ते में एक जगह थोड़ी झाडिया सी थी तो में बाइक रोक कर बोला की आपा में पेशाब कर के आता हूँ ,आपा ने कहा मेरे भी हाजत हो रही है हबीब मैंने कहा आपा आप कर आओ में यहाँ ध्यान रखता हूँ आपा बोली नहीं हबीब मुझे अकेले में डर लगता है .तुम साथ में आओ और आपा ने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे खिंच लिया.-----
वहा आगे जंगल जैसा था में ने आपा से कहा आप यहाँ पेशाब कर लो में आगे जाता हूँ , लेकिन आपा बोली यही रहो हबीब कोई सांप आ गया तो . और आपा मेरे सामने अपनी गांड कर के मुतने लगी आपा की गांड बहुत ही गोरी थी और गोल मटोल भी था अचानक आपा मुड़ कर मेरी बाँहों में आ गयी और बोली की झाड़ियो में कोई है अजीब सी आवाजे आरही है आपा नीचे से नंगी ही थी ,-----
मुझे भी कुछ आवाजे सुनाई दी.लेकिन मेरी पेशाब के मरे बुरी हालत थी तो मैंने कहा आपा- जाने भी दो मुझे पेशाब करने दो आपा आपा बोली करलोना में अकेली कहीं नहीं जाउंगी ,मज़बूरी में मुझेआपा की तरफ उल्टा होकर पेशाब करने लगा और अचानक आपा ने मेरा लंड पीछे से थम लिया और बोली = हबीब तेरी आपा तुझसेचुदना चाहती है आज कितने इशारे किये तुझे फिरभी समझा नहीं .और आपा मेरे लंड कोहिलाने लगी .
तभी अन्दर से आवाजे आने लगी जैसे से करते हुए आती है में और आपा जंगल के थोडा अंदर गए और झाड़ियो के पीछे गए तो देखा की एक लड़का एक हिजड़े की गांड मार रहा था दोनों पुरे नंगे थे मैंने आपा से चलने को कहा तो आपा बोली देखते है हबीब मैंने कभी हिंजड़े की चुदाई नहीं देखी है.वो लड़का जो करीब 20 का था स्लिम सा था जोरदार धक्के लगा रहा था और हिंजड़ा करीब 40-45 का था, थोडा मोटा सा था घोडा बना हुआ था..!और जोर जोर से चिल्ला रहा था - डाल और जोर से डाल मार ले मेरी गांड ऊऊऊऊऊऊउ आआआआआआअ उहा उहा उहा उहा उहा आहा हाहा करीब बीस मिनिट तक ये चलता रहा और फिर उस लड़के ने अपना लंड गांड से निकाल कर हिंजड़े के मुंह में दिया
हलकी रोशनी में देखा की उसका लंड करीब 12'' का था और करीब 2.5'' मोटा था एकदम गधे जैसा लग रहा था , मेरी तो आँखे ही जाम हो गयी और आपा तो पागल सी हो गयी
आपा की नजर उसके लंड पर टिकी हुई थी और हाथ मेरे लंड को कस कर पकडे हुए थे और आपा की सांसे भरी हो गयी थी .
उनका काम होने के बाद मैंने जल्दी से आपा का हाथ पकड़ा और घर की तरफ चल दिए , आपा रास्ते में बोली हबीब क्या किसी का इतना लम्बा भी होता है मेरे भाई कितना बड़ा था बाप रे . में तो देख कर ही डर गयी..! हबीब तेरा तो इतना तो बड़ा नहीं है ना भाई और आपा फिर मेरा लंड सलवार के ऊपर से सहलाने लगी .
थोड़ी देर में हम घर पहुँच गए ...!घर पर जाकर मैंने बेल बजायी करीब पांच मिनिट बाद अम्मी ने दरवाजा खोला अम्मी थोड़ी सी घबराई हुई थी और अम्मी की हालत बहुत ही ख़राब थी ,बाल बिखरे से थे और होंठ सूजे हुए थे गालो पर हलके से दांतों के निशान भी थे में डर गया और अम्मी से पूछा अम्मी क्या हुआ अम्मी ने कहा कुछ नहीं बेटा जरा सा पांव फिसल गया था...! आपा यह सुन कर हलकी सी मुस्कुरा उठी और बोली अम्मी क्या सर आये थे , अम्मी बोली नहीं रज्जो उनको तो मैंने फोन करके मना कर दिया था.
अम्मी बोली अंदर आ जाओ बेटा ,और फिर अम्मी ने हमको खाना लगा दिया और बोली रजिया आज तुम हबीब के साथ सो जाओ क्यूंकि मेरी तबियत ख़राब है और में सोना चाहती हूँ ,आपा ने कहा - ठीक है अम्मी , आप सो जाओ .अम्मी सोने चली गयी और में और आपा खाना खाने लगे और आपा मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही थी और बोली हबीब उस लड़के को कितना बड़ा था बाप रे तेरे जीजू का इतना बड़ा हुआ तो में तो मर जाउंगी यार ,
और पता नहीं क्या होगा हबीब मुझे तो बहुत ही डर लग रहा है..! तभी अम्मी की आवाज आई -रजिया बेटा जरा पानी तो ला दे ..!
अम्मी को रजिया आपा पानी लेकर अम्मी के कमरे में गयी और वो पांच मिनिट तक नहीं आई तो मेरे मन में शक आया और में भी दबे कदमो से अम्मी के कमरे की तरफ गया और अपने कान दरवाजे से लगाये .अंदर आपा अम्मी सेपूछ रही थी - अम्मी तुम भी पागल हो जाती हो राज सर से आज ही गांड मराने की क्या जरुरत थी देखो तुम्हारी गांड कितनी खुल गयी है थोड़ी बरफ ला देती हूँ लगा लो ठीक हो जाएगी .अम्मी बोली - हां तुम्हे तो पता ही है की गांड मराने के बाद क्या होता है ...और दोनों ही हंस पड़ी फिर अम्मी ने पूछा तेरा भी कुछ हुआ रज्जो या यूँ ही घूम कर आई हबीब के साथ और क्या लायी है
आपा बोली -अम्मी मेरा अभी तो कुछ नहीं हुआ है पर आज रात को हबीब से जरुर ही चुदवा लुंगी ..(मेरा लंड खड़ा होने लगा था ) फिर आपा ने अम्मी को हिंजड़े वाली बात बताई तो अम्मी भी कह उठी बाप रे इतना बड़ा लंड था उसका रज्जो बहुत ही जोरदार मज़ा आता है बड़े लंड से तुमको तो पता ही है ना बेटी जा अब सो जा और कल आराम से उठाना क्यूंकि कल सन्डे है आज चुदवा ले अपने भाईजान से मेरी बिटिया मना ले सुहागरात भाईजान के साथ ........दोस्तों फिर में जल्दी से अपने कमरे में आ गया , और लुंगी (तहमद ) पहिन ली सोते समय में लुंगी ही पहनता हु..!आपा रूम के अंदर आ गयी और बोली भाईजान आलिया ने क्या कहा था याद है में वो छेड़ वाली पेंटी पहन कर आई हु.और आपा मुझसे लिपटने लगी मेरा लंड तो खड़ा था ही आपा ने मेरा लंड पकड़ लिया और बोली भाईजान आपसे एक बहुत ही बड़ी सिकायत है. आप अपनी अम्मी और आपा का कोई ख्याल ही नहीं रखते हो ...!
मैंने कहा नहीं आपा ऐसी कोई बात नहीं है ,तो आपा बोली हबीब में 22 साल की हो चुकी हूँ , और देखो शबाना (मेरे चाचू की लड़की ) जो खाली 19 साल की है उसका निकाह भी हो चूका है ,और वो पेट से भी हो गयी है ,और एक तेरा आपा है ,,जो अपने अरमानो को दफ़न कर के बेठी है , और हमारी अम्मी कितना परेशां रहती है ,अब्बू तीन महीने में एक ही बार आते है, वो भी खाली दस दिनों के लिए अम्मी को भी कुछ चाहिए ना हबीब वो भी तो तरसती है ,किसी के लिए और तू जो इस घर में एक ही मर्द है किसी की भी मदद नहीं करता है , अगर तेरी आपा या अम्मी किसी बाहर वाले से चुदवा ये तो क्या तुमको सहन होगा ...!
आपा की इस बात से मुझे गुस्सा आगया और में बोला नहीं आपा अब में ऐसा नहीं होने दूंगा और आपा को दबोच लिया और आपा के होंठो को अपने होंठो से चूमने लगा और आपा भी मुझे चूमने लगी.और आपा ने मेरी लुंगी खींच ली लुंगी खुलते ही लंड एकदम से खड़ा हो गया और में भी अब आपा की चूत में अपना लंड डालना चाहता था और सेक्स की गहराईयों में उतरना चाहता था ...!आपा बुरी तरहा से मुझे चूम रही थी चूम क्या काट रही थी...! और बडबडा रही थी हबीब चोद डाल मुझको मुझे लंड की बहुत ही प्यास लगी है और में लंड के लिए बहुत ही बेकरार हूँ...!भाई - आहा आ जाओ और फाड़ दो अपनी आपा की बुर हया शर्म छोड़ कर बहिन चोद बन जा ओ भाई आहा हा हा सिसिसिसिसी आआआआआ मुहान्न हहहः ऊऊऊऊउ हबीब आजा नाऔर अब आपा ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और आपा मुझपर सवार हो गयी और आपा ने जल्दी से मेरा खड़ा लंड अपनी चूत में दल लिया और खूब ही झटके मारने लगी..
और मुझे बुरी तरहा से चूम रही थी और जब मेरा लंड आपा की चूत में गया तो में तो जैसे हवा में उड़ने लगा किसी चूत में पहली बार लंड डाला था वो भी आपा की चूत में में सुबह से ही गरम हो रखा था ,,,,,!और करीब दस ही मिनिट में में झड गया आपा ने उठ कर मेरा लंड पूरी तरहा से साफ़ कर दिया और बोली वह रे मेरे बहिन चोद भाई आज तो मज़ा आ गया और अब थोड़ी देर बाद हम फिर सेक्स करेंगे बीब .
मेरी हालत बहुत ही अजीब थी मैंने अब पहली बार आपा की चूत को देखा वहां एक भी बाल नहीं था और लाल लाल छेड़ बहुत ही मस्त लग रहा था आपा की चूत अम्मी से भी अच्छी लग रही थी मेरे से रहा नहीं गया और मैंने आपा की चूत में अपनी जीभ घुसा दी अब आपा बुरी तरहा से कर रही थी और चिल्ला रही थी - बहनचोद साले चाट ले अपनी आपा की बुर और मस्त भोसदा बना डाल इसको अपनी बहिन की चूत को फाड़ डाल
और अपनी अम्मी का दामाद बन जा कुते hhhhhhhhhhhhhhh आआआआआ आहा आहा हा ऊऊओ अल्ल्लाह आया आ आ अ अ आ आ
और आपा ने मेरे मुहँ में अपना पानी गिरा दिया ,,,फिर करीब एक घंटे बाद फिर हमने जोरदार चुदाई का मज़ा लिया और फिर रात को करीब तीन बजे हम दोनों नंगे ही सो गए ...
सुबह अम्मी ने आकर मुझे जगाया तो में उठा सुबह के नो बजे थे आप अभी भी सो ही रही थी में उठ कर खड़ा हो गया और अम्मी से चाय लेन को कहा तो अम्मी हंसने लगी ,मेरी समझ में कुछ नहीं आया फिर अम्मी से पूछा क्यों हंसती हो अम्मी तो अम्मी ने बोला कुछ नहीं चल यहाँ आप को सोने दे तू रसोई में चल में तुम्हे चाय पिलाती हूँ .
और में और अम्मी रसोई में आ गए और अम्मी धीरे से बोली - मेरा राजा रात किसी कटी और वो मुस्कुराने लगी में झेंप कर निचे देखने लगा और मेरी तो गांड ही फट गयी में तो एकदम ही नंगा थाअब में अम्मी की तरफ देखकर बोला अम्मी में तहमद डाल कर आता हूँ . अम्मी बोली - आपा के साथ तो नहीं डाला रे मेरे रजा और अम्मी ने मेरा खड़ा लंड पकड़ लिया ,अब मेरी हालत बहुत ही ख़राब थी दोस्तों मन मचल रहा था और लंड भी खड़ा हो गया था फेसले का वक्त आ गया था और में अब अम्मी की चूत में अपना लंड डालने की तैयारी
करने लगा की चाय उबल कर गिरने लगी अम्मी ने जल्दी से चाय छानी और मुझे दे दी .
मैंने कहा अम्मी आप चाय नहीं पीयेगी अम्मी बोली राजा तू चाय पी में कुछ और पियूंगी
और अम्मी ने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी
अम्मी मेरा लंड बहुत ही अच्छे से चूस रही थी और में जन्नत की सैर कर रहा था की अचानक आपा रसोई में आ गयी और बोली अम्मी तुम भी सुबह सुबह ही चालू हो गयी हबीब रात को दो बार झडा था,बेचारा थक गया होगा . आपा भी मादर जात नंगी थी और वो अम्मी की चुचिया दबाने लगी .और अम्मी मेरा लंड चूसने के साथ मेरी गांड में एक अंगुली से खुजा भी रही थी मेरी हालत तो ऐसे थी की पूछो ही मत आपा अम्मी की चुचिया भी दबा रही थी और अम्मी की चूत में हाथ भी डाल रही थी और अचानक आपा का मोबाइल बजने लगा और आपा चली गयी.में और अम्मी थोड़ी ही देर में अपना अपना पानी नक़ल कर फ़ारिग हो गए और फिर अम्मी बोली की जाकर नहा ले राजा और में नहाने चला गया और नहाने के बाद जब में अपने रूम में आया.तो देखा की आपा वहा पर बेठी है और आपा बोली - हबीब आलिया का फोन था वो अपने जीजू यानी तुमसे चुदाना चाहती है और वो लगभग एक घंटे में यहाँ आ जाएगी अम्मी भी ये सब सुन रही थी अम्मी बोली - मेरे राजा अम्मी को मत भूल जाना इन नयी नयी चुतो के चक्कर में और अम्मी और आपा दोनों ही जोर से हंसने लगी ...
मेरी जिन्दगी का ये बहुत ही अच्छा वक्त था दोस्तों हर तरफ चुतो की बहार थी और मेरे लंड की किस्मत चमक रही थी . इन सब के बीच घर का फोन बजने लगा अम्मी ने फोन उठाया लाइन पर अब्बू थे और वो तीन दिनों बाद आने वाले थे .में मन ही मन सोचने लगा की अब्बू आयेंगे तो अम्मी को तो अब्बू ही चोदेंगे.और में आराम से आपा की चूत में अपना लंड डालूँगा.
दोस्तों मैंने अभी तक अम्मी की चूत में लंड नहीं डाला था...!पता नहीं क्यों मेरा दिल नहीं मानता था की में अपनी ही अम्मी की चूत में लंड डालू और में अब आलिया के बारे में सोचने लगा की आपा और अम्मी दोनों ही मेरे रूम में आ गयी....!
और आपा ने मुझसे कहा हबीब मेरे भाई आलिया को पता नहीं चलना चाहिए की हम भाई और बहिन है और ये हमारी अम्मी है .
मैंने अम्मी को समझा दिया है आलिया के सामने में तेरी बेगम हूँ और अम्मी हमारी नौकरानी है जो की सब जानती है आलिया को सेक्स का बहुत ही शोक है और वो लंड की दीवानी है .
तो भाईजान शायद हम सब ग्रुप सेक्स का मज़ा ले .
मेरे दिमाग में एक बात आई की आपा सेक्स के बारे में इतना कैसे जानती है
और आपा ने किस किस से चुदा रखा है .अम्मी की आवाज आई -रजिया जरा यहाँ तो आ ना, आपा अम्मी के रूम में चली गयी पता नहीं क्यों मेरा दिमाग अंदर से बोल रहा था की कुछ तो है और में अम्मी के रूम पर दरवाजे पर चला गया और आपा और अम्मी की बातें सुनने लगा .
आपा - क्या है अम्मी बोलो ना .
अम्मी - रज्जो मेरी जान ये आलिया कौन है और ये वो तो नहीं है ना ...
आपा - अम्मी आपको तो पता है ना की में वो सब छोड़ चुकी हूँ और अब सिर्फ घर में ही सेक्स करती हूँ. मेरा दिमाग तो पता नहीं कहाँ था और कोई बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी.फिर में अपने रूम में आ गया और रूम में आपा की पेंटी पड़ी हुई थी जो आपा ने रात को पहनी थी
आपा की काले कलर की पेंटी जिसमे आगे और पीछे दो होल थे, जिससे आप बिना पेंटी उतारे ही गांड और चूत चोद सकते हो.. .!!
को उठा कर मैंने हाथ में लिया रात की याद फिर से ताज़ा हो गयी और मेरे सामने आपा की रसीली और मदमस्त चूत नाच उठी ....
और मेरा हाथ फिर से अपने लंड पर पहुँच गया ...!
और में अब सोचने लगा की कइसे दो दिन में ही सब रिश्ते और नाते बदल गए थे....!
आपा और अम्मी अब मेरे लिए ओरते बन चुकी थी, और जिस्मानी आग में जल कर अपनी सगी बहिन को चोद चूका था और अपनी अम्मी जिसकी चूत से मैंने दुनिया में कदम रखा था उसी चूत को हवस से चाट चूका था और जल्दी ही शायद चोद भी दूँ.
मेरे दिमाग में कुछ अजीब सी टेंसन हो गयी में सोचने लगा कहीं अम्मी और आपा और लोगो से तो नहीं चुद्वाती है और अम्मी और आपा आपस में क्या क्या राज की बातें छुपा के रखी हुई है ....!!!
और कहीं इन सब बातो का बाहर वालो या अब्बू को पता लग गया तो क्या होगा ये सोच कर में परेशान हो गया और मेरा लंड अचानक ही मुरझा गया ....!
और में अम्मी के कमरे की तरफ गया अम्मी और आपा बेड पर बेठी थी और अम्मी ने आपा के बूब दबोच रखे थे ..!मुझे देख कर अम्मी बोली आओ आओ मेरे दामाद जी मेरी बेटी को सारी रात चोदते रहे हो और कंडोम भी नहीं लगाया .. और अम्मी और आपा हंसने लगी ..!
मुझे याद आया की कंडोम तो सचमुच नहीं लगाया था ...मैंने अम्मी से कहा अम्मी अब क्या करेंगे अम्मी बोली की कोई बात नहीं बेटा अभी तो आय - पिल ले लेगी बाद में
माला -डी लेना शुरू कर देगी.#तभी आपा का फोन बजा और आपा ने उठाया फोन आलिया का था ,वो पूछ रही थी की घर में शहद है या नहीं अम्मी ने कहा है,,, तो आपा ने आलिया को हां कह दिया और पूछा की कब आओगी आलिया ने कहा एक घंटा लग जायेगा आपा ने कह ओके और फोन काट दिया ..!अम्मी ने आज सलवार सूट पहन रखा था और आपा ने एक फ़्रोक जैसे ड्रेस पहन रखी थी जिसमे आपा बहुत ही सुंदर लग रही थी .
अम्मी बोली रज्जो बेटी ये आलिया तुमसे एक ही बार मिली और चुदवाने की बातें करने लगी बात क्या है ....?आपा - अम्मी उसका शोहर बाहर में रहता है और वो बहुत ही चुदासी हो गयी है कल जब उसने भाईजान को देखा तो उससे रहा नहीं गया और अब उसकी चूत लंड के लिए तड़फ रही है ...अम्मी तुम तो अच्छेसे वाफिक हो की जब ओरत को दो महीने लंड ना मिले तो ओरत की हालत क्या होती है और वो क्या क्या कर बैठती है...! औरआपा जोर जोर से हंसने लगी .
अम्मी भी हंस रही ,अम्मी बोली लेकिन रज्जो ये आलिया पहली ही मुलाकात में इतनी केसे खुल गयी की सीधे ही तेरे शोहर का लंड मांग लिया .
आपा बोली अम्मी आज के जमाने में लडकिया अब आगे बढ़ चुकी है और वो पढ़ी लिखी भी है और तो और अम्मी उसके शोहर ने उसे कह रखा है की जब चूत की खुजली सहन न हो तो किसी अच्छे और शरीफ लंड से चुदा लेना और तो और अम्मी आलिया और उसका शोहर ग्रुप सेक्स भी कर चुके है अम्मी- ये ग्रुप सेक्स क्या होता है , आपा - अम्मी जब चार पांच लोग एक साथ सेक्स करते है तो उसे ग्रुप सेक्स कहते है ..!अम्मी बोली रज्जो इसमें तो बड़ा ही मज़ा आता होगा ना ...? आपा बोली = हाँ अम्मी बहुत ही मज़ा आता है और जब आप दुसरे की चुदाई देखते हो तो और भी मज़ा आता है ,,अम्मी = अल्लाह कभी कभी में सोचती हूँ रज्जो ये फोरेन वाले कितना मज़ा लेते है तेरे अब्बू एक DVD लाये थे, जिसमे करीब बीस जोड़े खुले में सेक्स कर रहे थे और मस्ती भी कर रहे थे .और अब्बू ने बताया की वह के शेख लोग दो दो या तीन तीन बीबिया रखते है और उनके लिए वो अंग्रेजी लडको को बुलाते है तभी आपा ने कहा अम्मी एक बात बताओ की कल जब मेरी शादी हो जाएगी और बाद में हबीब की भी शादी हो जाएगी तो क्या तुम अपनी जिस्मानी जरूरते कइसे पूरी करोगी अम्मी गहरे सोच में डूब गयी और सोचने लगी तभी आपा बोली अम्मी इसी घर में हबीब अपनी बीबी को अपना लंड का मज़ा देगा और में अपने शोहर की बाँहों में मस्ती लुंगी तो तुम्हारा क्या हाल होगा अम्मी .अम्मी गुमसुम सी हो गयी और वो सुबकने लगी और अम्मी ने आपा को अपनी बाँहों में भर कर कहा मेरी बच्ची क्या करू में तेरे अब्बू तो खाली साल में बीस बार ही ठंडा कर पाते है .मुझको और तू जानती ही है की मेरी छुट में कितनी खुजली होती है .में यह देख कर हेरान भी था और अम्मी के लिए परेशां भी था . आपा ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा = हबीब मेरे भाई हमारी अम्मी ने हमको नो महीनेअपनी कोख में रखा है और कितना दर्द सह करबहार की दुनिया दिखाई है क्या अम्मी के बारे में हमारा कोई फ़र्ज नहीं बनता है तुम ही बताओ ना अब्बू तीनमहीने में दिन ही आते है, और चले जाते है अम्मी की चूत में आग लगी रहती है उसको भीकोई चाहिए . और बेचारी अम्मीसारी रात केसे निकले ..में बोला आपा आप ही बताओ की हम क्या करे , आपा बोली - हबीब आज हम कसम खाते है की अम्मी की जिस्मानी जरुरतो को हम हर हालात में पूरा करेंगे और पहले अम्मी की हवस को पूरा करेंगे VADA करो भाई ,मैंने वादा किया और अम्मी ने खड़े होकर हम दोनों को गले से लगा लिया और बोली - अल्लाह सब को एसी ही ओलादे दे जो अपनी अम्मी की हर जरुरत को पूरा करे और अम्मी ने मेरा मुहँ चूम लिया और बोली बहिन की चूत मिल गयी,अब अम्मी का क्या करोगे राजा और अम्मी ने मेरा लंड पकड लिया में कुछ बोल पाता की आपा ने मेरा तहमद खोल लिया और मेरी गोलिया चूसने लगी और अम्मी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे लंड पर बेथ गयी जबकि आपा मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी मुझे ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था मेरा लंड अपनी अम्मी की चूत में था और मेरी जीभ आपा की चूत में थी और फिर तूफ़ान आया . जिस्मो की आग ने फिर एक बार रिश्तो को ताक पर रख दिया'' और हवस अपना खेल खेलने लगी और करी बीस मिनिट बाद मेरा पानी छुट गया जो अम्मी की चूत में चला गया और थोड़ी ही देर में आपा भी मेरे मुंह में ही झड गयी और इस तरह में ने पहली बार अम्मी की चूत में अपना लंड डाला .''रजिया आपा की मस्त जवानी केसी लगी दोस्तों और बूब की तारीफ भी करा मत भूल जाना ,आगे तस्वीरे आएगी अम्मी और आपा के लेस्बियन सेक्स की कोंन कोंन देखना चाहता है इनको कोमेंट करते रहना अभी बहुत कुछ बाकि है मेरे दोस्तों इस गरमा गरम चुदाई के बाद में तो वही अम्मी के बिस्तर पर ही सो गया और करीब एक घंटे बाद मुझे अपने लंड पर कुछ लगा तो मेरी नींद टूट गयी,सामने आलिया खड़ीथी...! और वो मेरे लोडे पर अपना हाथ फिर रही थी में चोंक ही गया और उसकी तरफ देखा , उसने जींस और कुरता पहन रखा था...,और वो स्लिम सी एकदमकरिश्मा कपूर सी थी और उसने लाल कलर की लिपस्टिक लगा रखी थी और उसकी नशीली आँखे तोगजब ही ढा रही थी में टक टाकी बांध कर उसे ही देखने लगा तभी मुझे ध्यान आया की मैंने कुछ भी नहीं पहना है तो मैंने चादर खिंच ली...!
तभी आलिया बोली = वाह जीजू क्या चीज छुपा रखी है आपने रजिया जीजी को तो जन्नत ही मिल गयी है
और आलिया ने मेरा लोडा पकड़ लिया और बोली वाह जीजू
क्या साली ऐसे ही बना लिया जानते नहीं हो की साली भी आधी घर वाली होती है और जब अल्लाह ने आपको ऐसा सामान बख्शा है तो उसको दुसरो को भी बांटो इसी में बरकत है ,तभी रजिया भी अंदर आ गयी ,------रजिया अंदर आकर बोली = आलिया देख लो तेरे जीजू को कितने बदमाश है दिन में भी नहीं छोड़ते है..! (आलिया के सामने हम शोहर और बीबी थे , और हमारी अम्मी नोकरानी थी )
जब भी मोका मिलता है तो मुझे थोक ही डालते है में तो इनसे परेशान हूँ,,,!आलिया ने जवाब दिया - रजिया तू पागल है दिन रात चूत की शिकाई होती रहे,,इससे ज्यादा एक ओरत को क्या चाहिए और तुम्हे तो अपने शोहर पर फख्र होना चाहिए की,वो तुम्हे पूरा तुप्त करता है , एक मेरा शोहर है जो खाली फोन से ही बातें करता है,,और साल में एक महीने ही आता है'उसमे भी चुदाई कम करता है मेरी चूत की खुजली मुझे इतना तंग करती है..
की क्या बताऊ कभी कभी तो ख्याल आता है..,की मेरे ससुर से ही चुदा लूँ..,लेकिन किसी तरहा मन को काबू में करती हूँ रजिया तेरी खुश नसीबी है की तुझे रोजाना लंड मिलता है .घर पर मेरे ससुर जब रात को सास की चूत बजाते है,, और बाजु के कमरे में में जब सास की कराहे और सिसकिया सुनती हूँ,,,तो मेरी चूत में चींटिया काटने लगती है,और कभी जब माल में कोई अच्छा लड़का दीखता है,,जीजू जेसा तो मुझसे रहा नहीं जाता और फिर चूत की शिकाई इससे करनी पड़ती है ,,ये कहकर आलिया ने अपने पर्स से एक प्लास्टिक का लंड करीब 8''inch का था निकाल के दिखाया ....रजिया उसे हाथ में लेकर देखने लगी और बोली
आलिया ये कहाँ से आया तेरे पास आलिया बोली मेरी अम्मी ने दिया था और बोली थी बेटा जब तेरा शोहर तेरे पास नहीं हो और निचे खुजली हो रही हो
तो इससे बुझा लेना .में ये सुन के चोंक ही पड़ा .
तभी रजिया बोली आलिया इसमें और भी साइज़ आते है क्या और ये कहाँ मिलता है आलिया बोली हां सब साइज़ आते है मेरी अम्मी ने तो 12inch का ले रखा है,जब भी अब्बू बाहर जाते है तो अम्मी उसी से काम चलती है और आलिया हंस पड़ी...!!!!!
में पूरा नंगा ऐसी बातें सुन कर ताव में आ गया और मेरा लोडा फिर बड़ा होने लगा'की अम्मी की आवाज आई रजिया खाना कितने लोगो का बनाऊ और रजिया बाहर चली गयी . और आलिया मेरा लंड पकड़ कर मुझे चूमने लगी और हम एक दुसरे को चूमने लगे और जिस्मो को रगड़ने लगे ...!!!-----तभी आलिया अंदर आ गयी और हमें देख कर बोली क्या बात है बहिन के लंड पर ही डाका डाल रही है आलिया ,आलिया बोली - एक बहिन ही दूसरी बहिन के काम आती है और क्या तू यह चाहती है की में अपनी जवानी की आग किसी ऐरे गेरे से बुझाऊ,और रजिया तेरी नोकरानी तुम दोनों को नाम लेकर बुलाती है क्या ,रजिया ने जवाब दिया - अरे आलिया यार क्या बताऊ तुम्हे तेरे जीजाजी एक नम्बर के चुद्द्कड़ है में कभी मायके जाती हूँ तो ये हाथ से काम चलाते है, और ऐसे ही एक दिन नोकरानी ने इनको देख लिया और फिर तेरे जीजू ने उसको भी छोड़ डाला अब तो वो हमारी राजदार भी है और तेरे जीजू की रखेल भी है ,आलिया हंसने लगी और बोली लेकिन वो उम्र में तो तेरी सास जेसी लगती है रजिया ...!
रजिया ने जवाब दिया तो क्या हुआ जिस्म की आग कहा ये सब देखती है और और वो दोनों फिर हंसने लगी ..
आलिया बोली -तेरी नोकरानी का नाम क्या है रजिया ,,रजिया ने कहा - नजमा ,,तो आलिया चोंक पड़ी और बोली क्या यही तो मेरी सास का नाम है यार ,,मेरी सास तो एक नम्बर की हरामी है ,,और जवानी में खूब चूत को रगड़ वाया था उसने लोग एसा कहते है रजिया ..!
आलिया बोली - जीजू अब रहा नहीं जाता है एक बार तो अपना सामान डाल दो ना मेरी चूत में प्लीज जीजू अल्लाह आपको सलामत रखेगा,,मेरी चूत आपको बहुत ही दुआए देगी और आलिया ने अपने मुंह में मेरा लंड भर लिया और चूसने लगी और आपा भी मैदान में आ गयी ...!!!
आपा आलिया के कपडे उतारने लगी और बेड पर आ गयी में बेड के किनारे पर बेठा था, आलिया मेरे लंड पर झुकी हुई थी और आपा उसकी पेंट उतार रहीथी फिर आपा ने उसकी टीशर्ट भी उतार दी ,में आलिया की नंगी जवानी देखने लगा , उसकी चुचिया करीब 32'' की थी और लाल ब्रा में बहुत ही हसीन लग रही थी ,आलिया का बदन अकदम चिकना था और फिर मैंने उसके बूब दबा डाले तो आलिया सिस्याने लगी और बोली जीजू क्या करते हो इतने जोर से नहीं दबाओ ना
और मैंने उसकी ब्रा उतार दी और पेंटी की तरफ हाथ बढाया तो आलिया बोली जीजू क्या अपनी साली को चूत दिखाई नहीं दोगे ,,मैंने कहा क्या चाहिए बोलो .... आलिया ने कहा जीजू ये उधार रहा मुझे जब जरुरत होगी आपसे मांग लुंगी और फिर मैंने आलिया की पेंटी उतार दी ,पेंटी उतेरते ही जो नजारा दिखा में तो पागल ही हो गया
छोटी सी लाल लाल उभरी हुई चूत और हलकी हलकी झांटे वह क्या चूत थी .
अल्लाह सचमुच मुझ पर मेहर बान था ,, मेरे मुंह में पानी आ गया और में ने अपना मुहं आलिया की चूत की तरफ बढ़ा दिया ,,और मेरी जीभ अपना रास्ता खोजने लगी और मुझे वो जन्नत का दरवाजा मिल ही गया नमकीन सा और खट्टा सा स्वाद आ रहा था और कोई डियो की खुसबू भी आ रही थी ,,और में अपना मनपसंद टोनिक चाटने लगा आपा भी अब मेरे पीछे आ गयी और मेरी गांड पर अपनी चूत रगड़ने लगी और मेरे बूब को दबाने लगी ,अचानक आलिया बोली - रजिया जरा शहद तो लाओ ना .
मेरी कुछ समझ में नहीं आया लेकिन में आलिया की चूत चाटने में लगा रहा . रजिया शहद ले आई और आलिया ने मुझे खड़ा किया और मेरे लंड और गांड और मेरे गालो पर शहद लगा दिया ...!!! और रजिया के साथ भी यही किया फिर खुद भी लगा लिया और बोली आओ जीजू अब चाटो और देखो कितना मजा आता है . और वो मेरे लंड को मुंह में लेने लगी मेरा लंड अपने पुरे साइज़ में आ गया था और झटके खा रहा था ...! में आपा के बूब चाट रहा था आलिया की जीभ मेरे लंड के छेड़ पर घूम रही थी ...!!!
और वो मेरी गोलियाभी हलके हलके दबा रही थी फिर वो अपनी एक अंगुली मेरे गांड के छेड़ पर फिराने लगी और में मस्ती की दुनिया में खोरहा था फिर आलिया और रजिया ने मुझे बेडपर लिटा दिया और आलिया मेरे उपर आ गयी और बोली आओ जीजू अब असली काम करो और आलिया ने अपनी चूत को मेरे लंडपर रख दिया..!
उसकी चूत के अंदर एक अलग ही अहसास था और कशिश सी थी और वो बार बार अपनी चूत को भींच रही थी और उसने अपने होंठ मेरे होंठो से सिल लिए थे और फिर चुदाई का दोर चालू हो गया . धक्के पर धक्का लग रहा था और वासना की नयी दास्ताँ लिखी जा रहीथी और करीब दस मिनिट में मेरा लावा आलिया की चूत में समां गया और तुरंत ही आलिया भी झड गयी ....
और फिर अम्मी की आवाज आई रजिया खाना बन गया है पहले खाना लगादुं या चाय कोफ़ी लाऊ...?
रजिया ने कहा कोफ़ी ले आओ नजमा (आपा ने जब अम्मी को नाम से पुकारा तो मुझे अजीब सा लगा ) दस् मिनिट में अम्मी कोफ़ी लेकर आई अंदर हम तीनो नंगे ही थे ,
आलिया की तरफ अम्मी गौर से देखने लगी और बोली .
बेटी एक बात पुछू तेरे से आलिया बोली हा हा जरुर ..!
अम्मी ने कहा - तेरी चूत देख कर लगता नहीं है की तुम शादी शुदा हो क्योंकि शादी होने के बाद जब रोजाना चुदाई होती है
तो चूत काली होने लगती है ,,, आलिया बोली नहीं चाचिजान बात यह है की मेरे शोहर जो मेरे मामा का ही लड़का है ...!
जब में की थी तब मुझसे चुम्मा चाटी करता था, तब में सेक्स के बारे में इतना जानती नहीं थी और ऐसे ही एक दिन वो हमारे घर में आया घर में कोई नहीं था और वो मुझसे छेड़ छाड़ करने लगा और मेरे शरीर के अंगो को दबाने लगा , चाची में भी उतेजित हो गयी और फिर उसने मुझे नंगा कर दिया और मेरी चुचिया चाटने लगा , पहली बार मुझे ये अहसास हो रहा था चाची में भी वासना में बेबस हो गयी . और मैंने अपने आप को उसको सोंप दिया ...!
वो मेरे मुंह को चूम रहा था और मेरी चूत को अपने हाथो में भर रहा था फिर उसने मुझे वहीँ आँगन में ही लेटा दिया और मेरे उपर चढ़ने लगा की अचानक अम्मी और अब्बू आ गए और हमें पकड़ लिया , अम्मी ने मुझे मारा, लेकिन अब्बू बोले रहने दो, दो आलिया की अम्मी इसमें लड़की की क्या खता है ...! फिर उन्होंने शाहिद( आलिया का पति ) के अब्बू यानि मेरे मामाजान को घर बुलाया और ये सब बता दिया फिर सबने फेसला किया और हमारी शादी करवा दी .
और में शाहिद की बीबी बन गयी तब में सिर्फ 18 साल की ही थी ..! और चाची मेरी चूत में सिर्फ एक ही अंगुली डाला करती थी , सुहागरात के दिन मेरे कमरे में शाहिद आये और दरवाजा बंद कर लिया और मेरे पास आ गए और मुझे मुंह दिखई दी.
और फिर मुझे नंगा करने लगे में सेक्स के बारे में इतना नहीं जानती थी चाची और फिर वो मेरी चूत पर अपना लैंड जो करीब 6.5''inch का था .मेरी कुंवारी चूतमें डाल दिया और करीब पांच ही मिनिट में झड गए और फिर वो सो गए ..मुझे मज़े का अहसासतो हुआ लेकिन वो चरम सुख नहीं मिला था चाची एक महीने तक वो मुझे चोदते रहे और एक महीने के बाद वो अरब चले गए नोकरीकरने ..में घर पर एकदम हीबोर होने लगी और में एक दिन अम्मी के घर गयी और उनसे यह सब बताया...!! की अचानक मेरी सहेली शिल्पा जो मेरी पड़ोसन भी थी .हमारे घर आ गयी
उसने यह सब सुन लिया वो अम्मी से बोली - चाची जान मेरी मानो तो आलिया को मेरे साथ काम लगादो वह इसका दिल भी लगा रहेगा और कुछ कमा भी लेगी.
और आप तो जानती ही हो आजकल माल में ज्यादा काम वाम भी होता नहीं है और पगार भी अच्छी मिलती है ....!!!लेकिन अम्मी बोली - शिल्पा इसके अब्बू माने तब ना, इसके ससुर को तो में मना लुंगी(वो अम्मी के भाईजान ही तो थे ) ..!!
तभी अब्बू आ गए और शिल्पा ने अब्बू के आगे यह बात छेड़ दी अब्बू ने हां करदी में बहुत ही खुश थी और शिल्पा से लिपट गयी .
कामवाली बाई
मग ती वळली आणि तिने मला खूप उत्कांतपणे कीस करत शर्टाची बटणे सैल केली. तुझी जीभ माझ्या मानेवरून फिरली आणि चोखत सरळ चेस्त वरून खाली मानेपर्यंत उतरली आणि माझ्या पान्त चे बक्कल काढत बाजूच्या बॉक्स वर विसावली. आणि लंड बाहेर निघाला. मग ती गुध्य्ग्यावर बसली आणि तिने माझा लंड तोंडात घेवून चोखावयास सुरुवात केली. तिने तिची जीभ माझ्या बॉल्स वर सुधा फिरवत राहिली. मी अधून मधून तुझ्या केसामधुन हात फिरवत राहिले.
जसा मी माझा हात तिच्या शर्टवर फिरविला आणि तिची ब्रा काढून टाकली. तिचे ब्रेस्ट घट्ट आणि फर्म होते. माझी जीभ मी वापरली आणि तिच्या स्तनावर फिरवत राहिलो. तिचे स्तनाग्र, निपाल्स खेचत राहिलो आणि तिचे ते मोठे उंचावते खाली वर करत राहिलो आणि तिच्या पुसिच्या उन्चावात्यावर हात फिरवत राहिलो. मी तिच्या सपाट पोटावर माझी जीभ फरवत राहिलो. आणि करत करत तिच्या त्या पुसी च्या गोड खड्यात शिरलो.
मग मी माझे डोके अजून खाली घातले आणि माझी जीभ तिच्या गरम जुसी फक्बोक्स मधून आत बाहेर करू लागलो. मग मी तिला वर उठविले आणि माझ्या एका हातामध्ये ती आणि दुसरा हात तिच्या उरोजावर फिरवत होते. आणि मग मी तिच्या नितंबावर सुधा हात फिरवू लागलो, मी आनंदाने ओरडत होतो. मी खूप जवळ पोहोचलो होतो. वाशिंग मशीनच्या कोर्नेर मध्ये नेव्हून मी तिला खूप उत्कंठतेने कीस करत राहिलो. आणि तिची चूत माझ्या लांडावर संपर्कात आली आणि वाशिंग मशीन ची हालचाल मला जाणविली.
तीने आपला हात पायांच्या मध्ये नेला आणि तिच्या चुदिमधून निघालेला गोड जूस माझ्या जाड कॉक भोवती गुंडाळला. आणि माझा कॉक आता चांगलाच ताठ झाला होता. मग तिने मला तिच्या पुसीं मध्ये लंड घालावयास सांगितले. मी मागे वाकलो आणि हळूच लंड तिच्या कॉक मध्ये घातला आणि तिची ओली पुसी मला चांगलीच वाट काढून देत होती. मग माझा लंड जसे जसे काम करू लागला तसे तिने माझे नाव घेत पुकारण्यास सुरुवात केली, आंणी म्हणू लागली कि मी किती वाईट आहे आणि कॉक चे पंपिंग एन्जोय करू लागली. माझे लांदाचे स्ट्रोक जसे वाढत होते तसे तिचे चीत्कारणे सुधा वाढत होते. आणि मी तिची गांड चुरडू लागलो.
मी तिला चोदत राहिलो आणि तिचे ओठ आणि जीभ एकमेकांमध्ये मिसळत राहिलो. मग ती खूप ताणली गेली आणि जवळजवळ पाणी सोडणारच होती आणि मी माझे लंडाचे डोके तिच्या जी-स्पोट वर रगडू लागलो आणि तिने मला अजून अजून जोरात चोदाव्याची विनंती केली. मी अजून जोरात लंड तिच्या आत घातला. आणि मशीन च्या व्हायब्रेशन चा आणखी आणखी फायदा घेतला. माझा लंड सुधा आता खूप ततून गेला होता. आणि आता कधीही त्यातून गरम पिचकारी निघणार होती. मग मी हळूच तिला खाली ठेवले आणि माझ्या लंडचा वेग वाढविला, मग काहीच वेळात आम्ह्च्या दोघाचे पाणी निघाले आणि आम्ही तसेच त्या स्तिथीत राहिलो.
मग हळूच ती माझ्यापासून बाजूला झाली आणि मी मला स्वताला स्वच करावयास बाथरूम मध्ये गेलो आणि ती सुधा कपड्यांसोबत स्वताला स्वच करत राहिली. तिची त्या दिवशाची चांगलीच साफ सफाई झाली
4 Ways To Make It A Great First Date
Monday, 13 March 2017
That all-important first date: where do you go? What do you talk about? Should you let him kiss you? How do you keep a date from turning into an interview? The key is creating a “shared experience” that establishes a lasting, romantic connection from the get-go. Here’s how to do it.
No matter how well you get along with someone online, everyone knows that nothing really happens until you get in front of each other. That’s when you’ll find out if there is enough chemistry to lead to romance. And that can put a lot of pressure on both people.
But your first meeting with someone on eHarmony will already be off to a great start if you remember just one thing: this isn’t even a date. That’s right: the first time you take things offline and into the real world, you’re simply sharing an experience. This alone should take the pressure off right away. Here’s how to make that happen.
CHOOSING THE PLACE
Now that you’re in the mindset that this first meeting is an experience, not an interview, where do you go? If you’re still in Open Communication, use it to express what a fun date is for you, and ask him what it means to him. Get this out of the way early on so you both have a picture of what would be an enjoyable time out for both of you.
What you don’t want to do is the default dinner or coffee date, because when you sit opposite each other then you’re back to the interview. Instead, pick a place that will let you walk and talk at the same time, and that will provide readily available talking points. It’s the connection that’s important, not what you do.
Do something cheap: the park, zoo, a promenade, the museum. All of these will give you ample things to look at and chat about, all while creating a fun, shared experience that will be memorable for both of you…and open the door for a heart connection.
EXPRESSING YOUR FEELINGS
If you’re worried you might not say the right things to him, don’t. Connecting with a man is not about cerebral conversation and impressing him with your wit. It’s about letting him see your feeling, feminine self in all its glory. When he experiences you experiencing your feelings, it intrigues him. He sees that you are comfortable being yourself, and he therefore lets down his guard and feels it’s okay to be himself, too.
When you only convey thoughts rather than feelings, you can end up creating a non-romantic situation. You might connect with him on an intellectual level, but you won’t connect with his heart.
This doesn’t mean you need to hide how smart you are. On the contrary, it means you share more of what you love about your life. In order to have a sensory experience about something, you have to know about it. So if you’re a biochemist, express how passionate you are about making a difference in people’s lives – whatever it is about your career that keeps you motivated. When you stick to feelings, you keep the meeting from turning into an interview.
STAYING IN THE MOMENT
One of the things that makes first meetings so nerve-wracking is how much stock we place in them. So don’t! Even though it might be hard not to think about the future and whether this first might be the one to end all first meetings, stay grounded in the present moment .
It might be tempting to discuss things like marriage and children, especially when you’ve had good rapport with someone online. But let him lead any future talk. Take the pressure off yourself by letting him initiate any such discussions. Doing so gives you the advantage of truly seeing where his mind is at and what he thinks of you.
He’ll find it refreshing that you’re not pummeling him with questions (there’s that interview again), and instead he’ll feel that he can just relax and get to know you. That’s when he’ll feel safe enough to open his heart.
SAYING GOODBYE…OR SEE YOU LATER
If you want to see him again, don’t end the evening with a handshake or a hug. If you like him, let him kiss you. Just let it happen. Make that your rule instead of the no-kiss rule, because you want to establish a romantic feel to your interactions with him from the outset.
But what if you’re not really feeling it for him? I say always give a guy at least two dates (especially since the first one isn’t really a date!) If you decide he really isn’t for you, keep it simple and gracious. Say, “Thank you for a nice time. I enjoyed meeting you, but I feel we’re not a match.” Every man who comes into your life has something to teach you, and every one gets you a step closer to your Mr. Right.
माझ्या मित्राची मुलगी
Friday, 10 March 2017
नंदिता च्या देहावर आता थोडी उभारी येऊ लागली होती. तसा मी तिला लहानपणापासून बघत आलो होतो. माझ्या मित्राच्या ह्या मुलीला मी माझ्या अंगांखांद्यावर खेळविले होते. कित्येकदा तर तिने माझ्या अंगांवर सू केली होती. तिच्या पाचव्या वाढदिवसाला मी भेट दिलेली बार्बी डॉल तिला फार आवडली होती. तेव्हापासून तिला माझा लळा लागला होता. पुढे शाळेत गेल्यानंतर नंदितातिच्या गणिताच्या डिफिकल्टी घेऊन माझ्याकडेच यायची.
आमचे घर जवळच होते. लहान गाव होते ते. माझी नोकरी जिल्ह्याच्या ठिकाणी होती. शिक्षण खात्यात मी प्रमोशन घेत घेत आता ऑफिसर झालो होतो. दररोज मी आमच्या त्या लहान गावातून जिल्ह्याच्या ठिकाणी बसने जायचो आणि सायंकाळी परत यायचो. इथे आमचे वडिलोपार्जित घर असल्यामुळे माझे बिऱ्हाड मी इथेच ठेवले होते. अशा त्या गावात चांगले शिक्षक आणि शिकवणीची सोय नव्हती. त्यामुळे मी थकून घरी आलो असलो तरी कंटाळा न करता नंदिता ची गणिते सोडवायला तिला मदत करीत असे. ती पण आपले गोबरे गाल फुगवून मोठ्ठया डोळ्यानि माझ्या हुशारीचे कौतुक करीत आपली डिफिकल्टी सोडवून घ्यायची.
नंतर ती बारावीला गेली आणि आमच्या कडे तिचे येणे थोडे कमी झाले. गावच्या शाळेत एक तरूण शिक्षक नुकतेच बदलून आले होते त्यांची शिकवणी नंदिताने लावली. त्यामुळे आमच्या रोजच्या भेटी कमी झाल्या. तरी सुटीच्या दिवशी तिचा मुक्काम आमच्याकडे असायचा. शाळेतल्या गमती जमती मला सांगताना तिला मोठा हुरूप यायचा. मी पण रस घेऊन तिच्या गप्पा ऐकायचो. तिच्या छातीवर येत असलेल्या उभारीकडे माझे लक्ष गेले असले तरी माझ्या मनात तिच्याबद्दल कधी वाईट विचार आले नाहीत.
प्रमोशन मिळून माझी जबाबदारी वाढल्यामुळे मला कधी कधी ऑफिस मध्ये उशीर व्हायचा त्यामुळे मी जिल्ह्याच्या ठिकाणी एक खोली भाडयाने घेतली होती. रात्री जास्त उशीर झाला तर मी तिथे झोपायचो. कारण शेवटली बस रात्री आठ वाजता सुटली की सकाळपर्यंत दुसरी बस नव्हती. त्यामुळे नंदिता च्या शिकवणीची जबाबदारी माझ्यावर आता नसल्यामुळे एक प्रकारे बरेच झाले होते.
बारावीचा निकाल लागला आणि नंदिता फर्स्टक्लासमध्ये पास झाली. कॉलेज आमच्या गावी नव्हते, पण जिल्ह्याच्या ठिकाणी चांगली महाविद्यालये होती. तसे अंतर काही फार नव्हते. बसने एक तास लागायचा. मी शिक्षण खात्यात असल्यामुळे नंदिता ला चांगल्या कॉलेज मध्ये प्रवेश मिळवून देण्याची जबाबदारी माझ्यावर टाकण्यात आली. मी फॉर्म आणले. नंदिताने ते भरून माझ्याजवळच दिले, मी ते फॉर्म एका चांगल्या कॉलेज मध्ये पोचविले. माझ्या शब्दाला वजन असल्यामुळे नंदिताला अॅडमिशन मिळणार यात शंका नव्हती. तरी पण रिवाजाप्रमाणे तिला प्रत्यक्ष अॅडमिशन घ्यायला स्वत: जाणे आवश्यक होते.
ठरलेल्या दिवशी नंदिता माझ्यासोबत जिल्ह्याच्या ठिकाणी जायला निघाली. बसमध्ये गर्दी असली तरी कंडक्टर नेहमीच्या ओळखीचा असल्यामुळे त्याने आम्हा दोघांना जागा करून दिली. तिला खिडकीजवळ बसवून मी बाजुला बसलो. नंदिता च्या नरम मांड्या माझ्या मांडीला स्पर्श करीत घासत होत्या. पण तिला त्याचे काहीच वाटत नसावे. नाहीतरी मी तिचा आवडता काका होतो. मलापण त्यात काही वावगे वाटले नाही. तिला बसच्या प्रवासात झोप आली तशी ती माझ्या खांद्यावर डोके ठेवून झोपली. तिच्या केसांमधून काहीसा मादक सुगंध येत होता. तिच्या शरीराचा भार माझ्या अंगांवर टाकून ती बिनधास्त झोपली होती. तिच्या उबदार स्पर्शाने मला थोडे वेगळे वाटायला लागले पण लहानपणापासून तिला बघत आलो असल्यामुळे अजूनही माझ्या मनात तसले काही नव्हते.
तिला आधार देण्यासाठी मी माझा हात नंदिता च्या खांद्यावर ठेवला आणि तिला घट्ट धरून ठेवले. पण त्यावेळी माझे लक्ष खाली गेले अन मी दचकलो. माझ्या छातीवर डोके ठेवून झोपलेल्या नंदिताच्या ब्लाऊजच्या गळ्यातून मला तिचे स्तन स्पष्ट दिसत होते. तिचे स्तन वयाच्या मानाने चांगलेच भरदार झाले होते. त्याकडे आपण बघू नये हे मला कळत होते तरी माझी नजर त्या उभारदार स्तनांवरून हटत नव्हती. गोरे पान भरगच्च स्तन बघून माझी स्थिती बिघडत चालली होती. शेवटी मी नंदिताचा काका आहे आणि मला अवचित तिचे स्तन दिसले तरी मी त्याकडे दुर्लक्ष केले पाहीजे असा विचार करून प्रयत्नपूर्वक मी मान वळविली आणि खिडकीतून बाहेर पाहू लागलो.
माझी ही अवघडलेली स्थिती फार काळ टिकली नाही. थोडया वेळात जिल्ह्याचे ठिकाण आले आणि मी नंदिताला हलवून जागे केले. आपापल्या बॅग घेऊन आम्ही दोघे बसमधून खाली उतरलो. रिक्षा करून आम्ही कॉलेज ला पोचलो. तिच्या अॅडमिशन चे सोपस्कार करून होईपर्यंत दुपारचा एक वाजला. जवळच्या हॉटेल मध्ये नेऊन नंदिताला मी दोसा खाऊ घातला. तिने हट्टाने आईसक्रीम मागून खाल्ले. माझ्याजवळ तिचे सर्व हट्ट चालतात हे तिला ठावूक होते.
मी आज नंदिता च्या अॅडमिशन च्या कामासाठी अर्धा दिवस सुटी घेतली होती. पण आता मला ऑफिस मध्ये जाणे भाग होते. दोन दिवसांनी शिक्षणमंत्र्यांचा दौरा होता. सगळे रेकोर्ड अपटुडेट करायचे होते. मी नंदिताला म्हणालो की तिने बसने आता गावाकडे जावे. त्यावर ती हट्ट करून बसली की माझ्यासोबत सायंकाळी च परत जाईल. तिला एकटीला प्रवास करायची भीती वाटत होती म्हणे.
मी तिला म्हणालो,"अग नंदिता , तुला आता रोज कॉलेज ला यावे लागेल आणि एकटीला परत जावे लागेल. रोज रोज माझ्यासोबत जाणेयेणे जमणार नाही. तू आता सवय करायला हवी एकटीने प्रवास करण्याची." त्यावर ती तिचे गोबरे गाल फुगवून म्हणाली,"नाही काका, कॉलेज सुरू झाल्यानंतर मी येईन आणि जाईन एकटी. पण आज तुमच्यासोबतच परत जाईन. मी तुमच्या ऑफिस मध्ये बसेन. हवे तर तुम्ही काम करा. नंतर आपण दोघे सोबतच जाऊ गावाकडे."
तिच्या हट्टापुढे मी नेहमीप्रमाणे नमते घेतले. पण तिला ऑफिस मध्ये न्यायचे मला काही पटले नाही. तिथले वाह्यात लोक माझ्या निरागस नंदिता ला बघून काय विचार करतील ते मला माहीत होते. त्यातून तिची छाती अशी पुढे आली होती. ऑफिस मधील घाणेरडया नजरांपासून तिला दूर ठेवायचे म्हणून मी तिला माझ्या भाडयाने घेतलेल्या खोलीत घेऊन गेलो. तिला म्हणालो, "तू थांब येथे. रेडिओ आहे तो ऐक., मी साडेपाचवाजता ऑफिस सुटल्यानंतर येतो. मग आपण गावाकडे जाऊ." ती ठीक आहे असे म्हणून रेडिओच्या बटना फिरवायला लागली. "दार आतून लावून घे. मी आल्याशिवाय उघडू नकोस." असे तिला बजावून मी ऑफिसात निघून गेलो.
ऑफिसात पोचताच तिथले वातावरण पाहून मी चक्रावून गेलो. प्रचंड धावपळ करताना सर्वजणांना पाहून मी माझ्या एका सहकाऱ्याला विचारले की काय सुरू आहे तर तो म्हणाला,"साहेब, मिनिस्टरचा दौरा दोन दिवसांनी होणार होता तो उद्याच होणार आहे. आताच तारीख बदलण्याची बातमी मिळाली आहे. कलेक्टरसाहेब तुम्हाला च शोधत आहेत मघापासून. जा भेटा आधी त्यांना ." मी कलेक्टरला भेटून दौरा केव्हा होणार, तयारी कशी करायची ते बोललो. परत येऊन ऑफिस मधल्या सर्वांना कामाला लावले. सगळे रेकोर्ड नीट करता करता बाहेर अंधार केव्हा झाला ते माझ्या लक्षात आलेच नाही. समोर ठेवलेला चहाचा कप घेताना मनगटावरील घडयाळाकडे लक्ष गेले आणि मी दचकलो. सात वाजायला आले होते. खोलीवर नंदिता एकटी माझी वाट बघत असणार ह्या विचाराने घाम फुटला.
मी कलेक्टर साहेबाना फोन करून सांगितले की काम जवळ जवळ पूर्ण झाले आहे आणि मला आता गावाकडे निघाले पाहीजे. उद्या लवकर येण्याचे आश्वासन मी देऊ लागताच कलेक्टर साहेब ओरडले,"तुम्ही जाऊ शकत नाही देशपांडे आज गावाला. तुमच्या खात्याचे मंत्री येणार उद्या. सकाळी सातवाजता सगळ्यांना हेलिपॅड वर हजर व्हायचे आहे. तुमच्या गावाहून एव्हढ्या सकाळी बस येतच नाही. तुम्ही आज तुमच्या खोलीवर मुक्काम करा आणि सकाळी सहाला ऑफिसात पोहचा."
आता मी कसल्या संकटात सापडलो होतो ते कलेक्टरला कसे सांगणार? "होय साहेब" म्हणून मी फोन ठेवला. भराभर टेबल आवरला आणि खोलीवर पोचलो. नंदिता जाम चिडली होती. माझ्या डोक्यावरचे केस उपटायचे तेवढे तिने बाकी ठेवले. आणखी वर्ष दोन वर्ष लहान असती तर तेही केले असते. शेवटी तिला कसेबसे शांत केले आणि तिला घेऊन फोन बुथवर गेलो. तिच्या घरी फोन करून सांगणे भाग होते. पण तिचे वडील म्हणाले "आता रात्रीचे तिला एकटीला अजिबात पाठवू नका. तिथेच झोपू द्या आणि सकाळच्या बसमध्ये बसवून द्या." मी ठीक आहे म्हणून फोन खाली ठेवला.
जवळच्या हॉटेलात नेऊन नंदिताला खाऊ घातले. मला भूक नव्हती तरी नंदिताच्या आग्रहावरून जेवलो आणि आम्ही दोघे खोलीमध्ये परत आलो. आता नंदिताचा मूड चांगला झाला होता. प्रथमच ती घराबाहेर रात्र घालवणार होती. तिला त्यात एक प्रकारचे थ्रील वाटत होते. ती माझ्याशी लाडे लाडे बोलत मघाशी चिडल्याबद्दल माफी मागत होती. पण मला दुसरीच चिंता सतावत होती.
माझ्या त्या खोलीमध्ये फर्निचर असे काहीच नव्हते. आठवडयातून एखाद्या दिवशी फक्त मला तिथे रहावे लागत असे. त्यामुळे त्या लहानशा खोलीत मी फक्त एक गादी आणि उशी ठेवली होती. रात्री कंटाळा आला तर गाणी ऐकायला म्हणून ठेवलेला रेडिओ सोडला तर त्या खोलीत दुसरे काहीच नव्हते. म्हणजे आम्हा दोघांना त्या एकाच छोटया गादीवर झोपावे लागणार होते.
पुर्वी नंदिता लहान असताना बरेचदा मला बिलगून झोपून जायची. पण आज सकाळी बसमधून येताना पाहीलेली तिची भरदार छाती आठवून मला आता माझ्याबद्दलच शंका यायला लागली होती. तरी मी वरकरणी हसत तिला म्हणालो,"आता मोठी माफी मागतेस. मघाशी मी परत आलो तर कशी चिडली होतीस. आणि मी तर तुला दुपारीच गावी परत जायला सांगितले होते. तूच हट्ट धरून बसलीच माझ्यासाठी थांब ण्याचा. आता मंत्र्यांचा दौरा आहे तर मी कसा परत जाऊ शकणार उद्या सायंकाळ पर्यन्त? बरी जिरली तुझी. आता थांब उद्या सायंकाळ पर्यन्त."
त्यावर ती म्हणाली"काही हरकत नाही काका. घरी मला नाहीतरी बोअर होत होते. उद्या तुमच्यासोबत राहील दिवसभर. मंत्र्यांच्या दौऱ्याची मजा बघेन आणि रात्री तुमच्यासोबतच जाईन परत." आता मंत्र्यांचा दौरा हा काही मजेचा विषय नाही हे तिला पटवून देण्यात अर्थ नव्हता. मी म्हणालो,"ते काही नाही. तुझे बाबा म्हणाले तशी सकाळच्या बसने नीघ तू. ह्या मंत्र्यांचे काही खरे नाही. उद्यासुद्धा मला थांबावे लागले तर?"
त्यावर ती चिमुरडी पोर म्हणते कशी,"अगदी आनंदाने राहीन मी उद्या रात्रीसुद्धा तुमच्यासोबत काका. इतके दिवसांनी आईच्या कटकटीपासून सुटका मिळाली आहे. नेहमी हे कर ते कर अशी माझ्यावर खेकसत असते. त्यापेक्षा तुम्ही मला किती आवडता काका." आता मी तिला कसे सांगणार की वयात आलेल्या मुलीनि असे परपुरूषासोबत रहायचे नसते म्हणून. पण ती मला परपुरुष मानायलाच तयार नव्हती. बराच वेळ आमच्या गप्पा चालल्यानंतर मी तिला म्हणालो, "चल झोप आता. मला सकाळी तयार होऊन लवकर ऑफिसात जायचे आहे. तुलापण सकाळी सहाची पहिली बस पकडायची आहे."
झोप आता म्हटल्यानंतर तिचे लक्ष त्या खोलीत असलेल्या एकुलत्या एका गादीकडे गेले. थोडी लाजून नंदिताम्हणाली,"अय्या काका, इथे तर एकच गादी आहे. आपण दोघे मावू ह्या गादीवर?" मी म्हणालो,"आपण दोघे एकाच गादीवर झोपणार नाही आहोत. तू झोप गादीवर. मी ही चादर खाली टाकून झोपतो बाजूला." ते ऐकून नंदिताचा चेहरा पडला. रडवेली होऊन ती म्हणाली,"काका, माझ्या हट्टामुळे तुम्हाला किती त्रास झाला. दिवसभर तुम्ही थकला असाल काम करून. सकाळी तयार व्हायचे आहे तुम्हाला आणि तुम्ही गादीवर न झोपता खाली झोपतो म्हणता. त्यापेक्षा मीच झोपते खाली. तुम्ही झोपा गादीवर." मी अनेकदा तिला समजावून देखील तिने आपला हट्ट सोडला नाही. तेव्हा मी तयार झालो गादीवर झोपायला.
ती चादर पसरून बाजूला झोपण्याची तयारी करता करता एकदम थांबली आणि म्हणाली,"काका, मी तुमचे पाय चेपून देते. तुमचा सगळा थकवा निघून जाईल." मी नको म्हणालो. तरी तिने हट्ट सोडला नाही. म्हणाली,"मी बाबांचे पाय रोज चेपून देते. आज तुमचे चेपले तर काय बिघडल ?" तिचा हा युक्तिवाद मला खोडून काढता आला नाही. ठीक आहे असे म्हणून मी लुंगी गुंडाळून गादीवर पडलो. नंदिता माझ्या पायाजवळ बसली आणि हळुवारपणे माझे तळवे दाबू लागली. खरेच मला बरे वाटत होते त्यामुळे. मी तिला तसे सांगताच नंदिताचा चेहरा खुलला. ती म्हणाली,"तुम्ही झोपा निवांत पणे काका. तुमचे पाय चेपून झाल्यावर मी झोपेन." आणि मी डोळे मिटून पडलो.
थकवा आलाच होता. पण अशा विचित्र परिस्थितीमध्ये नंदिता सोबत रात्र घालवावी लागणार ह्या विचाराने टेन्शन सुद्धा आले होते. तिच्या पाय चेपण्याने हळू हळू सर्व टेन्शन निघून गेले. मी डोळे किंचित उघडून पाहिले. नंदिता एक पायाची मांडी घालून दुसरा पाय वाकवून त्याच्या गुढग्यावर आपली हनुवटी ठेवून वाकून दोन्ही हातांनी माझे पाय चेपत होती. तिच्या ब्लाऊजचा गळा सैल होवून खाली लोम्बकळत होता. त्यातून सकाळी दिसलेले तिचे ते मोठे स्तन डोकावत होते. त्यावरून माझी नजर हटविण्यासाठी मी मान वळविली आणि वेगळेच दृष्य दिसले.
नंदिताच्या मांड्या विलग होऊन स्कर्ट वर सरकला होता. त्यामधल्या जागेतून तिची चड्डी दिसत होती. घामाने ओली झालेली ती चड्डी तिच्या अंगांला घट्ट रुतून बसली होती. त्यामुळे चड्डीच्या दोन्ही बाजूंनी काळे कुरळे केस बाहेर आले होते. माझे लक्ष तिच्या चड्डीकडे आहे हे बघताच नंदिता चपापली. मीही ओशाळून मान वळविली. पण त्या दृष्यामुळे माझ्यावर व्हायचा तो परिणाम झालाच. लुंगी मधून माझा लंड कडक होऊन त्याने आपले अस्तित्व दाखविण्यासाठी फणा काढला. त्यामुळे लुंगी वर एक तम्बू तयार झाला. त्याला लपवण्यासाठी मी कूस पालटली आणि तिला म्हणालो,"आता पुरे झाले नंदिता झोप आता तू."
तिच्याही ते लक्षात आले असावे. पण ती अवखळ पोर इतक्या सहजपणे विचलित होणारी नव्हती. ती हसून म्हणाली,"नाही काका. अजून तुमचा उजवा पाय चेपायचा राहिला आहे ना." आणि मी नको नको म्हणताना देखील ती उठून माझ्या पुढे येऊन बसली आणि माझा उजवा पाय चेपायला लागली. माझा तम्बू तिला आता स्पष्टच दिसत होता. पुन्हा तिची चड्डी मला दिसू लागली. त्यामुळे मी मनाला कितीही आवरले तरी माझा तम्बू काही केल्या खाली बसायला तयार होईना. शेवटी मी डोळे मिटून घेतले आणि मनातल्या मनात डोळ्यांवर उमटलेले ते चित्र पुसायचा प्रयत्न करू लागलो. पण पुन्हा पुन्हा ती चड्डी, ते काळे केस आणि गोऱ्या मांड्या माझ्या डोळ्यापुढून तरळत होते.
"काका मला एक विचारायचे आहे तुम्हाला ." नंदिता च्या आवाजाने मी डोळे उघडून तिच्याकडे पाहिले. तिचा आताचा आवाज मला काहीसा वेगळा वाटला. तिचा चेहरादेखील गम्भीर झाला होता. "बोल बेटा काय विचारायचे आहे तुला?" मी म्हणालो. "आधी वचन द्या काका मला की माझ्या बाबाना सांगणार नाही म्हणून," ती म्हणाली. "अग एवढे काय गम्भीर विचारायचे आहे तुला?" मी वचनातून पळवाट काढीत म्हणालो. "नाही काका, तसेच आहे काही विचारायचे. आधी वचन दिले म्हणा. मग सांगते ." पुन्हा एकदा तिच्या हट्टाला मान देत मी वचन दिले म्हणालो.
" हे बघा काका. हसू नका ह. नाहीतर मी कद्धी कद्धी बोलणार नाही तुमच्याशी," पुन्हा तिने अट घातली. तिच्या कलाने घ्यावे लागणार हे मला माहिती होतेच. न हसण्याचे वचन घेऊन नंदिता बोलायला लागली,"घरी आईसोबत मला हे बोलता येत नाही. ती नेहमी रागावत राहते मला. म्हणते तुझ्या काकांनी अगदी लाडावून ठेवली आहे तुला. बाबांची तर मला भारीच भीती वाटते. तुम्ही माझ्या सर्व गोष्टी अगदी मन लावून ऐकता. म्हणूनच तर मी तुम्हाला शाळेतील सर्व काही सांगते . घरी दुसरे कोणीच नाही हे सांगायला ."
मी तिला मधेच थांबवित म्हणालो,"अग वेडाबाई, आई तुझ्या भल्यासाठीच सांगते . आणि मी तुला लाडावले आहे हे खरेच आहे. उद्या नवऱ्याच्याघरी गेलीस म्हणजे कळेल. तुला आता घरकामामध्ये आईची मदत केलीच पाहिजे."
"घरकामाबद्दल नाही बोलत आहे मी काका. आवडत नसले तरी मी करतेच ना सारे काम. मला वेगळ्याच गोष्टीबद्दल बोलायचे आहे तुमच्याशी." ती खाली मान घालत म्हणाली.
काहीतरी गम्भीर मामला दिसतोय. तिला बोलू द्यावे असा मी विचार केला. म्हणालो,"सांग आता काय ते. मी मधे नाही बोलणार."
"काका तुम्हाला माहिती आहे ना आमच्या शाळेत नवीन टीचर लागले ते" ती म्हणाली. "हो तर. त्यांची ट्युशन तुला लावून दिली म्हणून तर माझा रोजचा त्रास वाचला तुझा अभ्यास घेण्याचा," मी म्हणालो. त्यावर ती चिडून म्हणाली,"म्हणजे तुम्हाला त्रास वाटत होता माझ्या अभ्यासाचा. जा, मी नाही सांगत तुम्हाला ," असे म्हणून नंदिता फुरगटून बसली. मी तिची समजूत काढली आणि तिला पुन्हा बोलते केले
"तर काय सांगत होते मी काका, ते नवीन टीचर आहेतना ते शिकवतात फारच छान, पण-" नंदितामधेच बोलायची थांबली. "अग बोलना नंदिता . घाबरू नकोस. सांग मला काय ते," मी तिला धीर देत बोललो. मला आता थोडी थोडी शंका यायला लागली होती. तिला धीर देण्यासाठी तिच्या पाठीवर हार फिरवित मी तिला पुन्हा बोलते केले. माझ्या लुंगी तला तम्बू आता पूर्णपणे नाहिसा झाला होता. नंदिता विषयी वाटणाऱ्या काळजीमुळे बाकी गोष्टी आता मला गौण वाटत होत्या.
पुन्हा नंदिता बोलायला लागली. तिचा चेहरा लाल झाला होता. स्वर कापरा होता. "ते टिचर आहेतना काका, ते किनई शिकवताना मला कुठे कुठे हात लावायचे. माझी छाती दाबायचे." माझी शंका खरी ठरली होती. नंदिता चे ते बोल ऐकून मी चवताळून म्हणालो,"थांब , त्या टिचरला चांगला धडा शिकवतो मी. त्याची ट्रान्सफर एखाद्या खराब खेडयात करायला लावतोच पण आधी उद्या गावी गेल्यावर त्याला बदडून काढतो चांगला."
"नाही नाही काका, मी त्यांची तक्रार करायला म्हणून नाही सांगितले तुम्हाला . आधी पूर्ण ऐकून घ्या." मला थांबवीत नंदिता म्हणाली. "सांग बेटा मला सर्व काही. अगदी काहीच लपवू नकोस. तुम्ही मुली लाजेमुळे अशा गोष्टी बोलत नाही म्हणून तर अशा लांडग्यांच फावते." मी तिच्या पाठीवर हात फिरवीत तिला धीर देत म्हणालो.
नंदिता मान खाली घालून पुढे सांगू लागली,"खरे सांगू का काका, मला त्यांचे ते हात लावणे आवडत नव्हते असे नव्हे. सुरुवातीला मला विचित्र वाटले पण नंतर माझ्या अंगांवर सरांचा हात फिरला की मला खूप बरे वाटू लागले. कुणीतरी आपल्यामध्ये इतका इंटरेस्ट घेत आहे ह्या भावनेने मला छान वाटत होते." तिच्या ह्या बोलण्याने मी हादरलो. ही मुलगी एवढ्या लहान वयात त्या मास्तरच्या प्रेमात पडली की काय ह्या विचाराने मी बेचैन झालो. पण तिचे बोलणे पूर्ण झाल्याशिवाय मी बोलायचे नाही असे ठरले होते.
नंदिता सांगू लागली,"मी मैत्रिणीमंअध्ये सुद्धा हा विषय काढला नाही. पण त्यांना शंका आली होती. मला त्या सरांच्या नावाने चिडवायच्या. सरांचा पिरियड असला की मला मुद्दाम समोर बसवायच्या. सर सुद्धा क्लासमध्ये शिकवताना मला जास्तीत जास्त प्रश्न विचारायचे. माझे उत्तर चुकले तरी हसून मला खाली बसायला सांगायचे . इतर मुली किंवा मुलाचे उत्तर चुकले तर त्यांना मात्र सर झापायचे. सगळ्या शाळेत ही गोष्ट पसरली होती. आमच्या जवळचे कुणी शाळेत नसल्यामुळे घरी बातमी पोचली नाही. शाळेतून येताच मी ट्युशनसाठी सरांकडे जायची. सरांच्या खोलीला खिडकी होती. सर ती नेहमी उघडी ठेवायचे. कुणाला संशय यायला नको म्हणून. पण खिडकीसमोरून कुणी येत जात नसले की हळूच येता जाता माझ्या अंगांशी लगट करायचे."
मी श्वास रोखून नंदिताचे बोलणे ऐकत होतो. ती पुढे बोलायला लागली. तिचा आवाज आता थोडा घोगरा झाला होता,"बारावीच्या परीक्षेआधी शाळेला प्रिपरेशन लीव्ह लागली होती. तेव्हा मला दुपारी सरांनी शाळेत बोलावले. महत्वाच्या नोट्स द्यायच्या आहेत म्हणाले. मी शाळेत पोचले तेव्हा तिथे सरांशीवाय कुणीच नव्हते. त्यांनी मला क्लास रूंमध्ये नेले आणि बेंचावर माझ्या बाजूला बसून नोट्स समजावायला लागले. थोडया वेळाने त्यांचा हात माझ्या मांडीवर आला. खोलीवर ट्युशनच्या वेळेस माझ्या पाठीवर आणि छातीवर होणारा त्यांचा ओझरता स्पर्श मी अनुभवला होता. पण आज शाळेतील एकांतात सरांनी माझ्या मांडीवर हात ठेवला आणि मी घाबरले. मी नको नको म्हणायला लागले. तरी सरांनी त्यांचा हात माझ्या स्कर्टमध्ये घातला. मला खूप लाज वाटत होती. मी चेहरा हाताने लपवून बसली होती आणि सरांनी माझा हात घेऊन त्यांच्या पॅन्टवर ठेवला."
आता नंदिता चा श्वास जोराने सुरू झाला होता. हे सर्व सांगता ना तिला फार कष्ट होत आहेत ते दिसतच होते. तरी तिने हिमंतीने बोलणे सुरू ठेवले," सरांच्या पॅन्टमध्ये काहीतरी कडक लागत होते. मला भीती तर वाटत होतीच पण सोबतच आणखी काहीतरी होत होते. सरांचा तो धसमुसळेपणा मला हवाहवासा वाटत होता. सरांनी माझ्या स्कर्टमध्ये हात घालून काहीतरी केले आणि माझा ताबा सुटला. मी सरांना बिलगून म्हणाली, सर मला भीती वाटतेय. प्लीज थांबाना. पण सर थांबले नाहीत. त्यांनी माझा ब्लाऊज वर केला आणि माझ्या छातीला तोंड लावले." एवढे बोलून नंदिता स्फुन्दून रडायला लागली. माझ्या मनात तिच्याबद्दल करुणा आणि त्या मास्तरबद्दल घृणा ओसंडून वहात होती.
मी तिला जवळ घेतले. मला घट्ट बिलगून नंदिता हमसून रडायला लागली. मी तिला समजावण्यासाठी म्हणालो,"रडू नकोस पोरी. त्या मास्तरला मी जिवंत सोडणार नाही." तेव्हा माझ्यापासून दूर होत नंदिताने डोळे पुसले आणि म्हणाली,"नाही काका, तुम्ही अजून पूर्ण ऐकून घेतले नाही. पुढे ऐका. सरांनी माझ्या छातीला तोंड लावताच मला खूप वेगळा आनंद यायला लागला होता. सर देखणे आहेतच. मला ते आवडायचे. त्यांनी मला निवडले म्हणून मला आनंद होत होता. सरांसोबत लग्न करण्याची मी स्वप्ने बघत होती. पण त्या दिवशी माझी सर्व स्वप्ने धुळीला मिळाली."
मला तिच्या बोलण्याचे आश्चर्य वाटत होते. एवढीशी चिमुरडी ही पोर. मास्तर हिचा गैरफायदा घेतो काय आणि ही त्याच्या प्रेमात पडते काय. आणि वरून स्वप्ने धुळीला मिळाली म्हणते. सारेच अनाकलनीय होते. मी गोंधळून तिलाच विचारले,"बेटी नंदिता , मला नीट समजले नाही तुला काय म्हणायचे आहे ते. तुला मास्तर आवडत होते तर मग पुढे काय झाले असे की तुझी स्वप्ने धुळीला मिळाली? नीट सांग बरे."
नंदिता ने दीर्घ श्वास घेतला. शब्द जुळवत ती सांगू लागली. "सरांनी अचानक माझ्या छातीवरून तोंड काढले आणि ते थू थू असे थुंकायला लागले. मी दचकून उभी राहिले. मला कळेचना सरांना अचानक काय झाले ते. सर थुंका यचे थांबले आणि मला म्हणू लागले,’घाणेरडी मुलगी, मला आधी माहित असते तर तुला हात लावण्यापुर्वी दहावेळा विचार केला असता. तुझ्यापेक्षा रंडी बरी. ती तरी केस काढून आपली चांगली चिकणी करून ठेवते. आणि तुझ्या तर छातीवर चक्क केस आहेत. छी ! तू मुलगी नसून एक हिजडा आहेस हिजडा.’ असे म्हणून सर बाहेर निघून गेले. आणि मी तिथेच कोसळून पडले." नंदिता आता रडत नव्हती. पण तिच्या चेहर्यावर कमालीचे विषण्ण भाव होते. मी अवाक होऊन तिच्याकडे पहात होतो. काय बोलावे ते मला खरेच सुचत नव्हते.
नंदिताने मला सांगीतलेल्या त्या गोष्टीमुळे मी अवाक झालो होतो. ती माझ्याकडे वळून म्हणाली,"काका, खरेच मुलीच्या छातीवर केस नसतात का कधी? माझ्या छातीवर केस उगवायला लागले तेव्हा मी नववीत होती. पण तेव्हा माझ्या अंगावर इतर भागात सुद्धा केस उगवित होते. मी आईला एकदा विचारले तर ती म्हणाली की मुलींना ह्या वयात कुठे कुठे केस उगवतच असतात. मला त्या गोष्टीचे काहीच वाईट वाटले नाही. सरांनी त्या दिवशी माझ्या छातीवरचे केस बघून जो प्रकार केला तेव्हापासून मी अगदी हादरून गेले आहे. घरी कुणाजवळ बोलता येत नाही. तुम्ही माझ्या सगळ्या शंका दूर करता. सांगा ना काका. मी इतर मुलींसारखी नाही आहे काम? हिजडा म्हणजे काय हो काका? मला सर हिजडा काम म्हणाले असतील?"
नंदिता डोळ्यात पाणी आणून मला विचारित होती. लहानपणापासून तिने अभ्यासातली प्रत्येक डिफिकल्टी मलाच विचारली होती. आता तिच्या ह्या भलत्याच डिफिकल्टीला कसे उत्तर द्यावे ह्याचा मी विचार करीत होतो. तिने सांगीतलेल्या गोष्टीमुळे मला एकीकडे तिच्या त्या मास्तरबद्दल राग येत होता. तर दुसरीकडे नंदिताच्या दु:खी चेहऱ्याकडे बघून तिच्याबद्दल करूणा वाटत होती. तिच्या प्रश्नाने मी भानावर आलो.
तिच्या पाठीवर हात ठेवून मी तिला समजावू लागलो,"हे बघ नंदिता, तू मला हे सारे काही जे सांगीतले त्यामुळे मला धक्काच बसला आहे. मला वाटत होते माझी नंदिता अजून किती लहान आहे. पण तुझ्या मनात इतके विचित्र विचार सुरू आहेत हे मला प्रथमच कळले. तरी एक प्रकारे बरे झाले तू माझ्याजवळच हे सर्व बोलली ते. तुझ्या बापाला मी चांगला ओळखतो. त्याला यातले काही कळले तर तो डोक्यात राख घालून घेईल. तू मला विचारले आहेस म्हणून साम्गतो. नाहीतर वयात आलेल्या मुलींसोबत असे कुणी बोलत नसतात. त्यांचे काका तर कधीच नाही."
नंदिताने माझ्या छातीवर तिचे डोके टेकविले आणि म्हणाली,"काका, तुमच्याशिवाय हे कुणालाच सांगता आले नसते मला. तुम्हीच फक्त माझे बोलणे नीटपणे ऐकता. आता मला सांगा ना हा काय प्रकार झाला तो?"
मी तिच्या पाठीवर हात फिरवीत तिला सांगू लागलो,"बेटी नंदिता, मुली आणि मुले वयात आली की त्यांच्या शरीरामध्ये हार्मोन्सच्या बदलामुळे अंगावर काही ठिकाणी केस उगवतात. मुलांना मिशी दाढी फुटते. मुलामुलीच्या काखेमध्ये आणि जांघेत केस उगवतात. हे सगळे नॉर्मल आहे. पण कधी कधी मुलींना छातीवरसुद्धा केस उगवतात. त्यामुळे कुणी मुलगी हिजडा होत नाही. हिजडा म्हणजे जी व्यक्ती पुरूष किंवा स्त्री ह्यापैकी कुणीच नाही. पण तुझ्या त्या मास्तरला हे माहीत नसावे. नाहीतर तुझ्यासारख्या सुंदर मुलीचा त्याने असा अपमान केला नसता."
"म्हणजे मी सुंदर आहे असे तुम्हाला वाटते का काका?" नंदिताने मला मध्येच प्रश्न विचारला. "हो तर, तू सुंदर आहेच शिवाय तुझी फिगर सुद्धा आता खूप चाम्गली झाली आहे" मी उत्तर दिले. त्यावर ती लाजून म्हणाली,"फिगर म्हणजे माझी ही छाती जरा जास्तच वाढली आहे असे तुम्हाला म्हणायचे आहे का काका?" तिच्या ह्या प्रश्नावर मी काहीच बोललो नाही. तेव्हा तीच म्हणाली,"माझी ही छाती अशी पुढे आली आहे. सर्व मैत्रिणी मला चिडवतात की सरांनी दाबून माझे स्तन मोठे केले आहेत. पण खरेतर सरांनी माझ्या ह्या स्तनांना फक्त एक दोनदा दाबले असेल जोराने. एरवी ते फक्त ओझरता स्पर्श करीत असत. मग माझी छाती अशी मोठी का झाली हो काका?"
नंदिताच्या ह्या निरागस प्रश्नाने मी अस्वस्थ झालो. पण तिच्या सर्व शंका दूर करणे आवश्यक होते. तिला मी म्हणालो,"अग नंदिता, छाती कुणी दाबली म्हणजेच स्तन मोठे होतात असे नव्हे. तुझ्या आईवर गेली आहेस तू ह्या बाबतीत." खरेच नंदिताच्या आईचे म्हणजे माझ्या वहिनीचे स्तन खूप मोठे होते. "हा आत्ता आले लक्षात " डोक्यात ट्युबलाईट पेटल्यासारखी नंदिता म्हणाली. " पण काका, आईच्या स्तनांवर केस नाहीत. मी पाहीले आहे तिला कपडे बदलताना अनेकदा. मग माझ्या स्तनावर केस का आहेत?" ती म्हणाली.
"अग वेडे प्रत्येक स्त्रीच्या बाबतीत ह्याची कारणे वेगळी असू शकतात. तुझ्या छातीवर केस किती आणि नेमके कुठे आहेत ते मला काय ठावूक? पण बहुदा हार्मोन्सच्या कमीजास्त होण्याने हे होऊ शकते." मी बोललो.
त्यावर ती हसु दाबीत म्हणाली,"काका, तुम्ही एकदा बघा ना माझी छाती. लहानपणी तर माझे सर्वकाही तुम्ही पाहिले असणारच. मला सांगा ना माझ्या छातीवरचे केस नॉर्मल आहेत का ते." मी दचकून नाही म्हणालो. " नंदिता तू आता मोठी झालीस. मी आता तुझी छाती बघणे बरोबर नाही. त्यापेक्षा तू डॉक्टरला दाखव" सकाळी बसमध्ये दिसलेली तिची मोठाली स्तने आठवून मी म्हणालो. मला रिस्क घ्यायची नव्हती. पण नंदिताने तेवढ्यात तिचे ब्लाऊज वर उचलले आणि आपली उतू जाणारी थाने मला दाखविली. मी नाईलाजाने त्याकडे पाहू लागलो. भिंतीवरच्या दिव्याकडे तिची पाठ होती. त्यामुळे मला स्तनांची आकृती दिसली पण केस दिसले नाहीत. "कुठे केस आहेत इथे? मला तर काहीच दिसत नाही केस वगैरे. खाली कर तुझे ब्लाऊज आता." मी तिला सांगीतले. पण ती म्हणाली,"नीट बघाना काका. असे काय करता?" असे म्हणून नंदिताने दिव्याच्या प्रकाशात आपली स्तने दोन्ही हातांनी धरून माझ्या चेहऱ्यासमोर आणली. तिच्या स्तनांवर गोंडस गुलाबी टोकदार निपल्स होती. त्या बाजूला असलेले गडद रंगा चे वर्तूळ बरेच मोठे होते. तिथली त्वचा आक्रसून गोळा झाली होती. त्या वर्तूळाच्या कडेला तुरळक पण राठ केस उगविले होते. माझा हात नकळत त्या केसांना स्पर्श करण्यासाठी उठला पण तिच्या स्तनाजवळ जाताच मी पुन्हा भानावर आलो आणि आपला हात रोखला.
माझी चलबिचल तिच्या लक्षात आली असावी. ती म्हणाली,"काका इथे हात लावून बघाना. किती केस उगविले आहेत इथे. मी कितीदा कापले पण पुन्हा उगवतात." असे म्हणून तिने माझा हात घेऊन आपल्या छातीवर नेला. त्या केसांना स्पर्श करताच माझ्या बोटांना गुदगुल्या झाल्या. केसां सोबत बोटांचा स्पर्श तिच्या निपलला होताच नंदिताची निपल्स ताठरली. मी एका बोटाने तिच्या स्तनावरील केसावर बोट फिरवू लागलो. तिला म्हणालो,"नंदिता तू केस कापलेना त्यामुळे ते जास्त राठ झाले आहेत. पण थोडया प्रमाणात केस सर्वच स्त्रियांना असतात इथे."
"पण काका, माझ्या अंगावर इतर ठिकाणीसुद्धा केस जास्तच आहेत. बघाना पायावर किती केस आहेत." असे म्हणून तिने स्कर्ट वर सरकवला आणि आपल्या पायावरील केस मला दाखवू लागली. खरेच तिच्या पोटरीवर आणि मांडीवरसुद्धा केस उगविले होते. मघाशी तिच्या चड्डीतून बाहेर आलेले केस मी पाहिले होतेच. नंदिता एक केसाळ मुलगी आहे हे मला आता पटायला लगले होते. पण तिला बरे वाटावे म्हणून मी म्हणालो,"अग वेडे, अंगावर जास्त केस आहेत म्हणून काही बिघडत नाही. अनेक पुरुषांना अशा केसाळ मुली आवडतात." मलासुद्धा केसाळ मुली आवडतात हे तिने माझ्या लुंगी मध्ये पुन्हा उठणारया तम्बूकडे पाहून ओळखले असावे.
नंदिता मला विचारायला लागली,"काका तुम्हाला आवडतात का हो केसाळ मुली?" मी म्हणालो,"हे बघ नंदिता, मला काय आवडत हा प्रश्न नाही आहे. आणि मी तुझा काका आहे. त्यामुळे मला असले प्रश्न तू विचारू नयेस हे योग्य होईल.""काय बिघडले मी विचारले तर? मघाशी तुम्ही माझ्या चड्डीकडे बघत होते तेव्हा तुमच्या लुंगी मध्ये केवढा तम्बू तयार झाला होता. मला माहिती आहे तुम्हाला केसाळ मुली आवडतात. सर माझ्या अंगावर हात फिरवायचे तेव्हा त्यांच्या पॅन्ट मध्ये सुद्धा असाच तम्बू उठायचा. माझ्या चड्डीच्या आतसुद्धा खूप केस आहेत हो काका. कितीदा कापले तरी पुन्हा पुन्हा उगवतात. किती खाज सुटते त्यामुळे. कायमचे नाही काढता येणार का हो काका हे केस?" नंदिताच्या ह्या प्रश्नाने मी हैराण झालो.
चिडून मी तिला म्हणालो,"आता तिथले केससुद्धा मला दाखवायचा इरादा आहे का तुझा?" त्यावर नंदिता हसून म्हणाली,"जसे काही तुम्ही मला पाहिलेच नसेल लहानपणी नागवे. खरेच बघा बर इथे किती केस उगविले आहेत आणि मला सांगा ते नॉर्मल आहेत का ते." असे म्हणून तिने एका झटक्यात आपली चड्डी खाली केली आणि स्कर्ट वर करून गादीवर पडली.
तिचे ते नग्न रूप बघून माझी हालत खराब झाली. नंदिता खरेच निरागसपणे मला आपल्या योनीवरील केस दाखविते आहे की मला चेव यावा म्हणून आपली योनी खुली करून मला दाखविते आहे ते कळत नव्हते. पण ती बरेच पुढे गेली होती हे मात्र खरे होते. तिला अद्दल घडावी म्हणून मी सरळ तिच्या योनीवर उगवलेले भरघोस केस हातात पकडले आणि ओढले."स्स हाय" असा चित्कार करीत ती ओरडली. "जरा हळू ना काका" आता ती मला विनवीत होती.
"मला आपली चड्डी काढून दाखविते बेशरम ! थांब तुला शिक्षा करतो" असे म्हणून मी तिची झाटे आणखी जोराने ओढली तशी ती रडवेली झाली. "प्लीज काका, सोडाना माझे केस." ती विनवू लागली, माझ्या हाताशी झटापट करू लागली. शेवटी मी तिची झाटे सोडली. पण माझा हात तिने अजूनही पकडून ठेवला होता. तो ती आपल्या योनीवर घासू लागली. तोंडा तून उसासे टाकीत नंदिता माझा हात तिच्या पुच्चीवर रगडत होती. मी हात ओढून मागे घेतला.
तिला म्हणालो,"काय करतेस तू नंदिता हे? त्या मास्तरने तुला खूप वाईट सवय लावलेली दिसते. मी तुला निरागस समजत होतो. आणि तू चक्क माझा हात आपल्या योनीवर रगडून घेतेस?"
नंदिता उठली आणि मला बिलगली. "काका, ते सर माझ्या अंगावर हात फिरवीत तेव्हा इतके छान वाटायचे. मी स्वत:च्या हाताने मग आपली योनी रगडायला शिकली. आता तुमचा हात तिथे लागला तर मला रहावले नाही. माफ करा मला."
पण ह्या प्रकारामुळे माझा लवडा चांगलाच ताठ झाला होता. त्याकडे तिचे लक्ष जाताच नंदिता म्हणाली,"काका, माझ्यामुळे तुम्हाला किती त्रास होतो आहे. तुमच्या लुंगीत हा तम्बू का उठतो आहे?"आतापर्यंत घडलेल्या प्रसंगामुळे माझी भीड चेपली होती. तिने स्वत:च मला डिवचले होते. आमचे काका पुतणीचे नाते विसरून मी म्हणालो," माझा लवडा उठला आहे तुझ्या ह्या वागण्यामुळे. त्यामुळे तम्बू उठलाय लुंगीत."
"अय्या काका, लवडा कसा असतो मला दाखवाना. मी नाहीका तुम्हाला माझ्या जांघेतील केस दाखविले?" असे म्हणून नंदिताने हात पुढे करून लुंगीतून माझा कडक लंड धरला सुद्धा. ही पोरगी बरीच बिन्धास्त होती. मीपण आतापर्यंत बाळगलेला संयम बाजूला ठेवला आणि तिच्या थानावर हात ठेवून तो दाबायला सुरुवात केली. लुंगी ची गाठ सोडून तिने माझा लवडा मोकळा केला. आणि "अय्या, कित्ती मोठ्ठा आहे काका तुमचा लवडा?" असे म्हणून लवडा धरून दाबायला सुरुवात केली.
मी तिला जवळ ओढून तिचे चुम्बन घेतले. एका हाताने तिचा थान दाबणे सुरूच होते. तिला म्हणालो,"काय केले तू पोरी? मला इतके उत्तेजित केलेस तू. आता रहावत नाही. काय करू?"
ती मला बिलगत म्हणाली,"काका मलापण कसेतरीच होतेय. बघाना इथे खाली किती ओले झाले आहे." असे म्हणून तिने माझा हात तिच्या योनीवर नेला. मी चाचपून पाहिले. खरेच तिची योनी ओली चिम्ब झाली होती. योनीच्या बाजूच्या दोन्ही पाकळ्या विलग होवून थरथरत होत्या. त्यावर हात लावताच नंदिता "आई ग !" असे किंचाळत मला बिलगली. मी तिला विचारले काय झाले ते. घोगऱ्या आवाजात नंदिता म्हणाली,"काका, किती दिवसांपासून मला तिथे कुणी हात लावावा असे वाटत होते. तुमचा हात लागला आणि एकदम अंगातून वीज चमकल्यासारखे झाले."
इकडे माझे पौरूष तिच्या हातात थाड थाड उडत होते. त्याकडे तिचे लक्ष गेले. "अय्या काका, तुमचा लवडापण ओला झालाय माझ्या पुच्चीसारखा. असे का झाले हो काका?" अजूनही ती मला डिफिकल्टी विचारीत होती. "हे बघ पोरी, तू मला तुझे अंग दाखवून उत्तेजित केलेस ना, त्याचा तो परिणाम आहे. तू सुद्धा गरम झाली आहेस म्हणून तुझी योनी पाझरते आहे. आता आपण एकमेकापासून दूर होवून वेगळे झोपलेले बरे. नाहीतर आज काहीतरी अनर्थ घडेल माझ्या हातून" मी म्हणालो. अजूनही माझ्या छोटया नंदितासोबत सम्भोग करण्याचा विचार मला पटत नव्हता.
पण नंदिता म्हणाली,"काका, तुम्ही माझ्या लहाणपणापासून मला सर्वात जवळचे वाटता. सारे काही तुमच्यापासून मी शिकले आहे. आता माझ्या मनात काय घालमेल सुरू आहे ते मलाच कळत नाही. मी कधी कुणा पुरुषाचा लवडा पाहिला नाही. तुम्ही मला बघू द्या न काका तुमचा लवडा नीट. हवेतर ही तुमची नवी शिकवणी समजा. माझ्या आयुष्यातील ही नवी पायरी चढताना तुमचा आधार भेटला तर मला खूप बरे वाटेल. मला सर्व काही समजवून द्या ना काका सेक्स बद्दल."
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