दोस्त की चार बहनें है

Monday, 27 February 2017

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है
आज मेरी उम्र 21 साल की है और जो कहानी मैं आप लोगो को सुनाने जा रहा हूँ वो करीब 3 साल पुरानी है। आज तक आप लोगों ने सुना होगा कि एक लड़के ने लड़की का रेप किया तो क्या एक लड़की लड़के का रेप नहीं कर सकती?
जी हाँ ! मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था !
मेरे एक दोस्त की चार बहनें है, चारों की शादी हो चुकी है पर तीन साल पहले वो चारों शादीशुदा नहीं थी। एक का नाम सोनू, दूसरी का नाम मोनू, तीसरी का नाम बबली और चौथी का नाम रीतू है। रीतू मेरी गर्लफ्रेंड थी और आज भी है। हम 7-8 लोग रोज़ छुपन छुपाई खेलते थे।
एक दिन हम बस पाँच लोग ही थे, मैं और वो चार लड़कियाँ !
सोनू बाजी दे रही थी और हम चार लोग छुपे हए थे, मैं और मेरी गर्लफ्रेंड एक साथ ही थे, वो बहुत ही सेक्सी थी वो मुझसे धीरे धीरे चिपकने लगी, मुझे होटों पर चूमने लगी। मुझे पहली बार किसी के होटों पर चूमा था। हम दोनों बेड के नीचे छुपे थे, वो धीरे धीरे मेरे ऊपर चढ़ने लगी, मुझे डर लगने लगा वो धीरे धीरे मेरे लंड की ओर अपना हाथ बढ़ाने लगी, मेरी पैंट की जिप खोल दी और मेरा लंड पकड़ लिया। मैं और डर गया !
मैंने उससे पूछा- यह क्या कर रही है तू ?
तो वो बोली- आप चुपचाप लेटे रहो !
और उसने मेरे होटों पर आपने होंट रख दिए और मेरा मुँह बंद कर लिया। वो धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगी और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। अब मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा था। उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी पर मजा भी बहुत आ रहा था। वो मेरा लण्ड चूसती रही।
तभी उसकी तीन बहनें और आ गई और मैं और वो दोनों ही बहुत डर गए थे। उसकी तीनों बहनें गुस्से से मुझे और उसे देखने लगी। अब हम पाँचों एक दूसरे की ओर देखने लगे। वो तीनों बहनें धीरे से मुस्कुराई ओर बोली- बेड के नीचे क्या कर रहे हो तुम दोनों? चलो बाहर चलो ! रीतू तू क्या अकेले ही सारा मज़ा ले लेगी ! हमें नहीं लेने देगी क्या !
और चारों बहनों ने मुझे बेड पर लिटा दिया, फिर सोनू बोली- तुम तीनों मज़े लो, मैं बाहर देखती हूँ कि कोई आना जाये ! ठीक है ?
सोनू बाहर चली गई, रीतू तो मेरे लंड से ही चिपकी रही, मोनू मुझे होटों पर किस करने लगी और बबली मेरे हाथ की बड़ी उंगली को अपनी चूत में डालने लगी पर मैं तो कुछ कर ही नहीं पा रहा था। अब रीतू झड़ने वाली थी इसलिए उसने अपने कपड़े उतारे, अपनी चूत मेरे लंड पर रख दी और मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी मेरे लंड में दर्द होने लगा था पर चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं सारा दर्द सहन कर रहा था।
मोनू जोकि मेरे होटों को चाट रही थी, अब उसने भी अपने कपड़े उतार दिए थे पर अपनी चूत के मुँह को मेरे होटों पर रगड़ने लगी। मैंने भी उसकी चूत को जीभ से चाटना चालू कर दिया। तब तक बबली भी अपने कपड़े उतार चुकी थी। बबली तो बस मेरी उंगली से ही अपनी चूत चुदवा रही थी। तीनों ने मुझे अपने नीचे दबा रखा था।
मैं बहुत परेशान हो चुका था। मैंने तीनों को अपने ऊपर से हटाया और गुस्से में कहा- साली रंडियो ! एक एक कर के आओ ! कुत्तियो आओ !
तब मैंने पहले अपनी गर्लफ्रेंड रीतू को पकड़ा और बेड पर दोनों हाथ रखवाये और घोड़ी बना कर उसे चोदना शुरू किया। 15 मिनट तक चोदा, फिर मैं झड़ गया। सारा का सारा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया। वो भी झड़ चुकी थी, मैने उसे कमरे से बाहर जाने को कहा तो वो बोली- क्यों जाऊँ?
मैंने बोला- तेरी दो बहनों को भी तो चुदना है !
तो रीतू बोली- तो मेरे सामने ही चोदो न !
मैने बोला- नहीं, तू चुदाई देखेगी तो फिर से चुदाने के लिए तैयार हो जायेगी और मुझमें इतनी ताकत नहीं है कि बार बार चोद पाऊँ !
और मैंने रीतू को बाहर का रास्ता दिखाया। अब मोनू की बारी थी, वो बहुत देर से बेचैन थी। मेरा लंड ढीला पड़ गया था, मैंने मोनू से कहा- मोनू, मेरी जान ! मेरे लंड को खड़ तो कर ! जान, तभी तो तुझे चोद पाऊँगा !
इतना बोलने की ही देर थी कि उसने मेरा लण्ड पकड़ा और झट से मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा हो रहा था और बबली खड़ी खड़ी सब देख रही थी और अपनी बारी का इंतजार कर रही थी, अपनी चूत में उंगली भी कर रही थी। मैंने मोनू की एक टांग अपने कंधे पर रखी और दूसरी टांग जमीन पर ही थी, मैंने उसे एक हाथ से कमर पर पकड़ रखा था, एक हाथ से उसके चुचे दबा रहा था और जोर जोर के धक्के मरता जा रहा था। वो बहुत चिल्ला रही थी, मैने उसके चुचे दबाना बंद कर उस हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया और फिर 15-20 मिनट में मैं एक बार फिर झड़ गया और सारा वीर्य उसकी ही चूत में झाड़ दिया। लंड के निकलते ही उसने मेरा लंड फिर से चूसना शुरु कर दिया। मुझे लगा कि शायद वो अभी झड़ी नहीं है। फिर मैं जल्दी से उसकी चूत में उंगली करने लगा। 5 मिनट के बाद वो भी झड़ गई और बाहर चली गई।
अब बबली की बारी थी। बबली की चूत और गांड दोनों ही बहुत अच्छी थी। दोनों ही चीज बिना बाल के थी। पहले तो मैंने उसकी चूत में उंगली की, धीरे धीरे एक उंगली उसकी गांड में भी डाल दी। वो सिसकियाँ लेने लगी पर मेरे लंड पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो काम वासना के अंतिम चरण पर थी इसलिए उसने मुझसे कहा- राहुल प्लीज़ ! मुझ से ओर देर तक रुका नहीं जायेगा, मुझे जल्दी से चोदो !
मैने कहा- रंडी, अभी तो मेरा लंड खड़ा ही नहीं है तो कैसे चोदूँ तुझे !
तभी उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। धीरे धीरे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैने उसे बेड पर लिटाया, दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी और लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर एक जोर का धक्का मारा। वो बहुत जोर से चिल्लाई। आवाज़ सुन कर बाहर से आवाज़ आई- क्या हुआ बबली ? तेरी चूत फट गई क्या ?
मैं जोर जोर के धक्के लगाता रहा, वो चिल्लाती रही पर मैं तो अपने जोश में था, मैं कहाँ रुकने बाला था, धक्के मारता रहा, मारता रहा। मुझे उसकी गांड बहुत ही सुन्दर लग रही थी तो मैंने चूत को छोड़, गांड पर निशाना साधा। मैने उसकी गांड पर बहुत सा थूक फेंका और उंगली से पूरी गांड पर लगा दिया। धीरे धीरे उंगली उसकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा। गांड जब थोड़ी नरम हुई तो मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में डाल दिया।
वो फिर चिल्लाई और अपनी गांड को टाइट कर लिया। मेरा लंड अब उसकी गांड में फंसा था, मुझे भी दर्द हो रहा था। मैं धीरे धीरे उसकी गांड में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था। वो धीरे धीरे नर्म होती जा रही थी और मेरी स्पीड धीरे धीरे तेज़ होती जा रही थी।
अब वो पूरी तरह से नर्म हो चुकी थी, मैं जोर जोर से धक्के लगा रहा था, वो धीरे धीरे चिल्ला रही थी। मैंने उसकी गांड और चूत बहुत देर तक मारी और अलग अलग तरीकों से उसे चोदा। वो तो दो बार पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो तीसरी बार झड़ गई और उसके साथ ही मैं भी झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड जल्दी से बाहर निकला और उसके मुँह में डाल दिया। वो उसे चूसने लगी और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया। वो मेरा सारा का सारा वीर्य पी गई। अब तीनों बहनें खुश थी, तीनों कमरे में आई और मुझे चूमने लगी। तीन ने तो मुझे चोद दिया पर चौथी का क्या ? अभी तो वो भी तो बाकी है

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कुवारी नोकरानी

Sunday, 19 February 2017

मैं ३५ साल का मस्त जवान हूँ और मेरा लण्ड चोदने के लिए तड़पता रहता है। बीवी को चोद-चोद कर ये अब कुछ नया चाहता है। हमारे घर में पार्ट-टाईम नौकरानियाँ काम करतीं हैं। लेकिन कोई भी सुन्दर नहीं थी। बीवी बड़ी होशियार थी। सब काली-कलूटी और भद्दी-भद्दी चुन-चुनकर रखती थी। जानती थी ना कि मेरे मियाँ को चूत का बड़ा शौक है।
आख़िर में जब कोई नहीं मिली तो एक को रखना ही पड़ा - जो कि १९-२० साल की मस्त जवान कुँवारी लड़की थी। साँवला रंग था और क्या यौवन ! सुन्दर ऐसी की देख कर ही लण्ड खड़ा हो जाए। मम्मे ऐसे गोल-गोल और निकलते हुए कि ब्लाउज़ में समाते ही नहीं।
बस मैं मौके की तलाश में था क्योंकि चोदने के लिए एकदम मस्त चीज़ थी। सोच-सोच कर मैंने कई बार मुट्ठ भी मारी। बहुत ज़ोरों की तमन्ना थी कब मौक़ा मिले और कब मैं उसके बुर में अपना लंड घुसा दूँ। वह भी पैनी निगाहों से मुझे देखती रहती थी। और मैं उसके बदन को चोरी-चोरी नापता रहता था। मन-ही-मन उसे कई बार नंगा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत को कई बार सोच-सोच कर मेरा लंड गीला हो जाता था और खड़ा होकर फड़फड़ा रहा होता। हाथ मचलते रहते कब उसकी गोल-गोल चूचियों को दबाऊँ।
एक बार चाय लेते समय जब मैंने उसे छुआ तो मानों करंट सा लग गया और वो शरमाती हुई खिलखिला पड़ी और भाग गई। मैंने मन-ही-मन कहा मौका आने दे, रानी ! तुझे खूब चोदूँगा। लण्ड तेरी चिकनी बुर में डाल कर भूल जाऊँगा। चूची को चूस-चूस कर प्यास बुझाऊँगा और दबा-दबा कर मज़े लूँगा, होठों को तो खा ही जाऊँगा। रानी उसका प्यारा सा नाम था।
कहते हैं उसके घर में देर है पर अन्धेर नहीं। एक दिन मेरी बीवी ने कहा- मैं मायके जा रही हूँ, रानी आएगी तो घर का काम करवा लेना।
रविवार का दिन था। बच्चे भी बीवी के साथ चले गए। और मेरे लंड महाराज तो उछल पड़े। मौका चूकने वाला नहीं था। लेकिन शुरू कैसे करें। कहीं चिल्लाने लगी तो? गुस्सा हो गई तो? दोस्तों, तुम यह जान लो कि लड़कियाँ कितनी ही शर्माएँ, लेकिन दिल में उनकी इच्छा रहती है कि कोई उन्हें छेड़े या चोदे।।
मैंने रानी को बुलाया और उसे देखते हुए कहा, "रानी, तुम कपड़े इतने कम क्यों पहनती हो?"
वो बोली, "बाबूजी, इतनी पैसे कहां कि चोली ख़रीद सकूँ ! आप दिलवाएँगे?"
मैंने कहा, "दिलवा तो मैं दूँगा। लेकिन पहले बता कि क्या आज तक किसी ने तुझे छेड़ा है।"
उसने जवाब दिया, "नहीं साहब।"
मैंने कहा, "इसका मतलब तू एकदम कुँवारी है।"
"जी साहब।"
"अगर मैं कहूँ कि तू मुझे बहुत अच्छी लगती है, तो तू नाराज़ तो नहीं होगी?"
"नाराज़ क्यों होऊँगी साहब। आप तो बहुत अच्छे हो।"
बस यही उसका सिग्नल था मेरे लिए। मैंने हिम्मत रख कर पूछा, "अगर मैं तुम्हे थोड़ा प्यार करूँ तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?"
अपने पैर की उँगलियों को ज़मीन पर रगड़ती हुई वह बोली, "आप तो बड़े वो हो साहब।"
मैंने आगे बढ़ते हुए कहा, "अच्छा, अपनी आँखें बन्द कर ले, और अभी खोलना नहीं।"
उसने आँखें बन्द कीं और हल्के से मुँह ऊपर की तरफ कर लिया। मैंने कहा - बेटा लोहा गरम हैं, मार दे हथौड़ा। आहिस्ता से पहले मैंने उसके गालों को अपने हाथों में लिया और फिर रख दिए अपने होंठ उसके होठों पर। हाय, क्या गज़ब की लड़की थी। क्या स्वाद था। दुनिया की कोई भी शराब उसका मुक़ाबला नहीं कर सकती थी। ऐसा नशा छाया कि सब्र के सारे बाँध टूट गए। मेरे होठों ने कस कर उसके होठों को चूसा और चूसते ही रहे। मेरे दोनों हाथों ने ज़ोर से उसके बदन को दबोच लिया। मेरी जीभ उसकी जीभ का स्वाद लेने लगी। इस दौरान उसने कुछ नहीं कहा। बस मज़ा लेती रही। अचानक उसने आँखों खोलीं और बोली, "साहबजी, बस, कोई देख लेगा।"
मैंने कहा, "रानी, अब तो मत रोको मुझे। सिर्फ एक बार।"
"एक बार, क्या साहब?"
मैंने उसके कान के पास जाकर कहा, "चुदवाएगी? एक बार बुर में लंड घुसवाएगी? देख मना मत करना। कितनी सुन्दर है तू।" यह कहकर मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और दाहिने हाथ से उसकी बाईं चूचि को दबाने लगा। मुँह से मैं उसके गालों पर, गले पर, होठों पर, और हर जगह चूमने लगा... पागलों की तरह। क्या चूची थी, मानों सख्त संतरे। दबाओ तो छिटक-छिटक जाएँ। उफ्फ, मलाई थी पूरी की पूरी।
रानी ने जवाब दिया, "साहबजी, मैंने ये सब कभी नहीं किया। मुझे शरम आ रही है।"
उखड़ी साँसों से मैंने कहा, "हाय मेरी जान रानी, बस इतना बता, अच्छा लगा या नहीं। मज़ा आ रहा है कि नहीं? मेरा तो लण्ड बेताब है जानेमन। और मत तड़पा।"
"साहबजी, जो करना है जल्दी करो, कोई आ जाएगा तो?"
बस मैंने उसके फूल जैसे बदन को उठाया और बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया। कस कर चूमते हुए मैंने उसके कपड़ों को उतारा। फिर अपने कपड़े भी जल्दी से उतारे। ७" मेरा लण्ड फड़फड़ाते हुए बाहर निकला। देखकर उसकी आँखें बन्द हो गईं। बोली, "हाय, ये क्या है? ये तो बहुत बड़ा है।"
"पकड़ ले इसे मेरी जान।" कहते हुए मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया। उसके बदन को पहली बार नंगा देखकर तो लंड ज़ोर से उछलने लगा। चूची ऐसी मस्त थी कि पूछो मत। चूत पर बाल इतने अच्छे लग रहे थे कि मेरे हाथ उसकी तरफ बढ़ ही गए। क्या गरम चूत थी। उँगली आहिस्ता से अन्दर घुसाई। रस बह रहा था और उसकी बुर गीली हो गई थी। गुलाबी-गुलाबी बुर को उँगलियों से अलग किया, और मैंने अपना लंड आहिस्ता से घुसाया। हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे। मुँह से उसके होठों को मैं चूस रहा था।
"आह, साहबजी, आहिस्ता, लग रहा है।"
"रानी, मज़ा आ रहा है?"
"साहबजी, जल्दी करिए ना जो भी करना है।"
"हाँ मेरी जान, बोल क्या करूँ?"
"डालिए ना। कुछ करिए ना।"
"रानी, बोल क्या करूँ।" कहते हुए मैंने लंड को थोड़ा और घुसाया।
"अपना ये डाल दीजिए।"
"बोल ना, कहाँ डालूँ मेरी जान, क्या डालूँ।"
"आप ही बोलिए ना साहबजी, आप अच्छा बोलते हैं।"
"अच्छा, ये मेरा लंड तेरी चिकनी और प्यारी बुर में घुस गया। और अब ये तुझे चोदेगा।"
"चोदिए ना, साहबजी।"
उसके मुँह से सुनकर तो लंड और भी मस्त हो गया। "हाय रानी, क्या बुर है तेरी, क्या चूची है तेरी। कहाँ छुपा कर रखा था इतने दिन। पहले क्यों नहीं चुदवाया।"
"साहबजी, अपका भी लंड बहुत मज़ेदार है। बस चोद दीजिए जल्दी से।" और उसने अपनी चूतड़ों को ऊपर उठा लिया।
अब मैंने उसकी दाहिनी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। एक हाथ से दूसरी चूची को दबाते हुए, मसलते हुए, मैं उछल उछल कर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। जन्नत का मज़ा आ रहा था। ऐसा लग रहा था बस चोदता ही रहूँ, चोदती ही रहूँ इस प्यारी-प्यारी चूत को। मेरा लंड ज़ोर-ज़ोर से उसकी गुलाबी गीली गरम-गरम बुर को चोद रहा था।
"हाय रानी, चोद रहा है ना। बोल मेरी जान, बोल।"
"हाँ साहब, चोद रहा है। बहुत मज़ा आ रहा है। साहब आप बहुत अच्छा चोदते हैं। साहब, ये मेरी बुर आपके लंड के लिए ही बनी है। है ना साहब। साहब, चूची ज़ोर से दबाइए। साहब, ओओओओहह, मज़ा आ गया, ओओओओओहहहहह।" अचानक, हम दोनों साथ-साथ ही झड़े। मैंने अपना सारा रस उसकी प्यारी-प्यारी बुर में घोल दिया। हाय क्या बुर थी। क्या लड़की थी, गरम-गरम हलवा। नहीं उससे भी ज़्यादा स्वादिष्ट। मैंने पूछा, "रानी, तेरा महीना कब हुआ था री?" शर्माते हुए बोली, "परसों ही खतम हुआ। आप बड़े वो हैं, यह भी कोई पूछता है?" बाहों में भर कर होठों को चूमते हुए, चूचियों को दबाते हुए मैंने कहा, "मेरी जान, चुदवाते-चुदवाते सब सीख जाएगी।" एकदम सुरक्षित था। गर्भवती होने का कोई मौक़ा नहीं था अभी। दोस्तों, कह नहीं सकता, दूसरी बार जब उसे चोदा, तो पहली बार से ज्यादा मज़ा आया। क्योंकि लंड भी देर से झड़ा। चूत उसकी गीली थी। चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी साली। उसकी चूचियों को तो मसल-मसल कर और चूस-चूस कर निचोड़ ही दिया मैंने। जाने फिर कब मौक़ा मिले। आज इसका बुर चूस ही लो। बुर का स्वाद तो इतना मज़ेदार था कि किसी भी शराब में ऐसा नशा नहीं। चोदते समय तो मैंने उसके होठों को खा ही लिया। "ये मज़ा ले मेरे लंड का मेरी जान। तोरी बुर में मेरा लंड - उसकी को चुदाई कहते हैं रानी। कहाँ छुपा रखा था ये चूत जानी।" कहते हुए मैं बस चोद रहा था और मज़ा लूट रहा था।
"चोद दीजिए साहबजी, चोद दीजिए। मेरी बुर को चोद दीजिए।" कह-कह कर चुदवा रही थी मेरी रानी। दोस्तों, चुदाई तो खत्म हुई लेकिन मन नहीं भरा। दबोचते हुए मैंने कहा, "रानी, मौका निकाल कर चुदवाती रहना। तेरी बुर का दीवानी है यह लंड। मालामाल कर दूँगा जानेमन।" यह कह कर मैंने उसे ५०० रूपये दिए और चूमते हुए, मसलते हुए रूख़सत किया।

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Choty Bhai Ko Sex Karna Sikhaya Pakistani Chudai Kahani Behan Bhai Sex

Wednesday, 15 February 2017

Hy this is Sania Gull main continuous sex kahaniya parhny ki adi ho chuki hu ub mjhe meri phuddi main ungli krny k liye porn movies ki zarurat ni parti main hmesha gandi kahaniya parh k apni choot ki pyas ko thanda krti hu.Jese jese main ne sex kahaaniyo main interest lia wese mjhe incest sex stories main b dilchaspi hone lage.Or main maximum incest stories he parhti hu.Mera koi bra behan bhai ni hai mere mama papa main or ek chota bhai hai 13 saal ka.Ye story mere or us k darmyan sex ki hai.
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चुंबन से होती है सेक्स की शुरुआत

सेक्स के जरूरी है कि पार्टनर को सेक्स के लिये तैयार किया जाय. यह प्रक्रिया फोरप्ले कहलाती है. इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है चुंबन. हाल में हुए अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि पूरे आवेग से लिया गया चुंबन एक खास किस्म के कांप्लेक्स केमिकल को दिमाग की तरफ भेजता है, जिससे व्यक्ति खुद को ज्यादा उत्तेजित, खुश अथवा आरामदायक स्थिति में महसूस करता है।
प्यार का इजहार करने के लिए चुंबन से बढ़कर शायद ही कोई दूसरा माध्यम हो। एक प्यार भरा चुंबन प्रेमी या प्रेमिका को दिन भर की तमाम उलझनों से मुक्त करके एक प्यार भरे संसार में ले जा सकता है। चुंबन के महत्व को देखते हुए यहां चुंबन के विभिन्न प्रकारों को बताया जा रहा है-
1.बिगिनर्स किस- इस किस का अर्थ दो होठों के साधारण मिलन से है। यह किस होठों को ब्रुश के समान स्पर्श करके या हल्का दबाकर किया जाता है। इस किस के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं होती। अपने लवर को चारों तरफ से चूमकर इस किस को अंजाम दिया जाता है।
2.बटरफ्लाई किस- अपनी आंखों की बरौनी से प्रेमी के होठों, आंखों के बाल, गाल और गर्दन के स्पर्श को बटरफ्लाई किस कहते हैं।
3.लार किस- इस प्रकार का किस को पूरी गर्मजोशी के साथ किया जाता है। जब आप अपने प्रेमी को पूरी आत्मीयता से किस करें तो अपने होठों को धीर से हटा लें और लार की कुछ बूंदे प्रेम से उनके मुख में टपका दें।
4.फ्रेंच किस- फ्रेंच किस में अपनी जीभ अपने प्रेमी के मुख की कोमल त्वचा में डालकर उसे चारों ओर घुमाया जाता है। मुख से मुख मिलाकर फ्रेंच किस किया जाता है।
5.लवर्स पास- जब आप अपने प्रेमी को कुछ उत्तेजना भरा संदेश देना चाहें तो यह किस अपनाया जाता है। इसमें चाकलेट, फल या बर्फ का टुकड़ा अपने होठों से दबाकर अपने प्रेमी के होठों का स्पर्श किया जाता है। स्पर्श के बाद अपनी जीभ के सहारे दबाया गया टुकड़ा अपने प्रेमी के मुख में डाल दिया जाता है।
6.लस्ट लैप- यह किस पूरे नियंत्रण के साथ किया जाता है। इस किस में होठों से दबाकर चाटा जाता है। अपने होठों से अपने प्रेमी के होठों और त्वचा को सख्ती से दबाकर इसका आनंद लिया जाता है।
7.मेडिवल नेकलेट- कहा जाता है कि इस प्रकार का किस मध्यकाल के नाइट्स अपनी प्रेमिका या पत्नी को करते थे, जब वह लो कट नेकलाइन्स पहनती थीं। इस किस में उनकी गर्दन को चारों तरफ से धीरे-धीरे चूमा जाता था। पुरूष और महिलाएं दोनों इस प्रकार के चुंबन का लुत्फ उठाते थे।
8.मेडिटिरनियन फ्लिक- कहा जाता है कि इस चुंबन की उत्पत्ति लैटिन के प्रेमियों ने की थी। इस चुंबन का आनंद लेने के लिए लैटिन प्रेमी मिठाई के दानों को अपने प्रेमी के शरीर पर डालते थे। उसके बाद अपनी जीभ से उनके शरीर पर धीरे से हमला करते थे। अपने प्रेमी के शरीर की मनपसंद जगह में इन मिठाई के दानों को डाला जाता था। स्तन और पेट के आसपास के चुंबन से इसका विशेष रूप से आनंद लिया जाता है।
9.नॉटी डॉग- यह किस शरीर के सर्वाधिक संवेदनशील हिस्सों खासकर गर्दन, छाती, पेट और निचली जांघों में किया जाता है। अधखुला मुंह खोलकर इन हिस्सों का स्पर्श किया जाता है। छाती के निचले हिस्सों विशेषकर स्तन के निप्पलों को चूमने में विशेषरूप से आनंद आता है।
10.स्लाइडिंग किस- इस चुंबन में जीभ आगे पीछे गति करती है। जिस प्रकार क्रीम या सॉस को चाटा जाता है ठीक उसी प्रकार स्लाइडिंग किस किया जाता है। फोरप्ले में यह किस काफी उपयोगी होती है।

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Hindi wife swapping sex story

Monday, 13 February 2017

Ranjit, ek Engineering Company me acchi pad par haim. Hum log waise to Allahabad (U.P.) ke rahane wale haim par pechale 15 salon se New Delhi (Greater Kailash) main rah rahe haim. Ranjit ka umar 40 sal ke hain par 35 se jyada nahin dikate. 5'8" kad hai, halke se mote hain, gore aur sundar haim. Mera umar 35 saal hai, par 30 saal ki dikhtee hum, 5'3" kad hai, jism 36-27-36 hai. Hum dono yahan par apane kuch doston ke sath biwion ko apas me adal badal karke chudaaee karate hain. Is biwion ki adla badli karke chudaaee me do jode apne apne sathi badal kar ek dusare ko chodte hain, ek ki patni dusare admee ke sath chudwatee hai aur uska pati kisi aur ki patni ko chodta hai. Hum nahin jante ki yahan par humare alawa aur kitne jore aise apni apni biwion ko adal badal karke chudaee karate haim. Mere khyal se iske liye man to bahuto ka hota hai, aur agar avasar mile to sayad isaka anand bhi uthayem. Hum log pilahal apane 4 nazadiki mitro jodo ke sath biwionki adla badli karke chudaaee karate hain aur karwate hain. Aksar hum me se do-tin jode hi ek sath ho pate haim, par kabhi kabhar kisi visisht avasar par, jab sabako samay ho hum pancho milate hai adla badli karke karte hain chudai ke liye.
Halanki humara uddesya ek dusare ke jeevan sathi ke saath chudaaee ka anand uthana hota hai, par is me hamari pragadh mitrata, yane ki davatem, picknik, partiyan, aur dusare ke sathi ke sath hansi mazak aur sabake saamane ek dusare ke kapadom ke upar se jo marji aaye karake mazaa lenaa bhi shamil hain. Inke sath dusare ke sathi ke sath akele film dekhane jana, bahar khana khana, aur fir use apane sath chudaaee ke liye ghar lana. Jab mere pati kisi aur ki patni ke sath yahi sab kar rahe hom, apane ap main bahut hi romamcak hai. Hum 2-3 jodee kabhi kabhi ek saath dusare sahar ghumane jate hain to hota main dusare ke pati ke sath hi alag kamare me rahate hoo, jaise ki un dinom ke liye hamare pati vahi hon.
Humane apani is jindagi ki suruat kaise ki ab mai maim ye batana cahumgi. Mujhe lumbe arse se yaha shak tha ki Ranjit dusaree auratom ko chodane ka bahut icchuk tha. Par koi 5-6 sal pahale usane kahana suru kiya ki "Anita, umar bahut choti hoti hai aur hame yaha bhi anubhava karana chahiye ki dusarom ke sath chudaaee karane main kaisa mazaa aataa hai kyonki hum donom ne vivaha ke pahale kisi se chudaaee
nahim kee thee." Wo kisi dusari stri ke saath chudaaee ka luft uthana cahata tha aur mujhe bhi utsahit karata tha ki main bhi kisi dusare mard ke sath chudaaee ka anand uthaum. In batom ke daur se humaree chudaaee main anand aur badh gaya tha. Jab doston ko apane ghar me bulate to Ranjit kichen me mujhase aakar batata ki aaj use kis dost ki bibi ko chodne ka man kar raha hai. Waha mujhase bhi puchata ki aaj mera man kis dost se cudawane ko kar raha hai. Yaha sab batem karake hume bada maza aane laga aur huma sabake jane ke bad us dost aur uski bibi ka nama leke ek dusare ko chodane lagate the.
Kuch dino tak bistar main chodte samay is bare men bate karate-karate meri bhi himmat badhi gayee aur main dusare jode ke sath kalpanik adla badli chudaaee ke liye taiyar ho gai. Phir humne dhundna suru kiya aur humari nazar Partho aur Soniya par padi jo humare hi pados main kuch hi dur main rahate the. In kuch salon main humari unase dosti kafi gahari ho gai hai. Ye donom bhi lagabhag humari hi umar ke the. Partho 38 sal ka tha aur Soniya 32 ki. Soniya ka sharir bahut sundar (32-26-38) tha. Wo kafi patli thi aur nayan-naks tikhe the. Hum dono unake savabhav aur sundarata se kafi prabhavit hue the. Apani chudaaee ke samay ab hum Partho aur Soniya ke bare me sochne lage aur unake saath cudaai ki kalpana karane lage. Jab bhi Ranjit mujhe chodta tha to mujhase yahi kahata ki meri choot kitani rasili aur sumdar hai aur main badi asani se Partho ko apane sath chudaae karane ke liye pataa sakatee hum. Phir maine bhi Ranjit se kaha ki uska lund itana acchaa hai ki Soniya bhi usake lund ka swad lene ke liye asaani se atur ho jayegee. Wo mujhse puchata ki aaj mujhe kisake
lund se cudavana hai, uske ya Partho ke. Mai bhi Ranjit se puchtee ki aaj use kiski choot chodne ka man kar raha hai, meri yaa Soniya ki. Ranjit ne mahasus kiya ki mujhe in batom se bahut maza ata hai aur mai khub uttejit hokar Ranjit se cudwane lagi thi.
Ek din to Ranjit chudai ke dauran mujhase puchane laga "Anita, batao to sahi, abhi tumhari choot ke andar kiska lund ghusaa hai?" Maine bhi bina jyada hicak ke bola "Ranjit, is samay to meree choot Partho ke lund ka maza le rahee hai." Jald hi maine bhi Ranjit se pucha, "Ranjit, tumhara lund kiski choot main hai, to Ranjit bade maje se
bola ki Soniya ki choot me." Ranjit ne kuch kaha nahim par yeh jarur mahasus kiya ki jab main Partho ke sath chudaaee ki kalpana karatee hum, to mera chudaaee main utsaha aur barh jataa hai aur mai Ranjit se khub jor se cudawatee hum. Phir ek din maine usase kaha ki kyom nahim wo mujhe chodte waqt yaha kalpana karata hai ki wo Soniya ko chod raha hai aur chodte samay mujhe Soniya kahakar hi pukare. Kafi dino tak roz hum log is kalpanik duniya main ek dusare ko Partho aur Soniya ke naam se chodte rahe, maim use Partho pukarati aur wo mujhe Soniya. Phir lagabhag aaj se 5 sal pahale, ek din acanak anjane main hi, Partho aur Soniya ke sath ye kalpana hakikat main badal gai.
Ek din Partho aur Soniya ne hume rat ko dinner par bulaya. Hum unke ghar gaye aur waham Ranjit aur Partho ne sath baitakar thodi whiski pee. Maine aur Soniya ne bhi thodi si li. Tabhi ekaek Partho blu flimo ke bare main bat karane laga, chunki use bhi pata tha ki hum dono aisi picture aksar dekha karate the. Partho ne Ranjit se pucha ki kya usne kabhi koi Indian blu flim dekhi hai? Usane kaha aisi flim dekhne main bada maza ayega. Ranjit ne Partho ko bataya ki ab aisi flime ab dhire dhire sabhi jagah par miltee hai aur humne kuch dekhi bhi haim. Ye jyada mazedar hoti haim kyunki saree aur petticoat utha kar bhartiya auraton ko alag alag logon se apni choot chudwate dekhne me alag hi anand ata hai. Jab bhartiya auraten apni sundar sa mooh khol kar kisi ka lund chustee hai to apna lund to khara ho jata hai. Ranjit ne Partho ko bataya ki uske car main ek video CD pada hai jo hum wapas lautane wale the. Usne kaha ki agar Partho chahe to use wapas karane ke pahale dekh sakta hai. Kyounki Soniya ne bhi kabhi Bhartiya blue film nahee dekhi thi Partho ne use sujhav diya ki we dono use apane bedroom main dekh lenge aur humari wapasi par lauta denge. Ranjit ne unhe utsahit karate hue kaha ki hum dono tab tak koi dusari hindi film wahi drawing room main dekhenge. Par Partho ne kaha ki ye to badtamizi hogi aur chunki hum sab adult hain, hum sab ko blue film ka anand ek saath uthana chahie. Halanki Ranjit aur mujhe isme koi itraz nahee tha par Soniya ko kuch samsay main lag rahi thi. Usake bad Soniya ke sath main rasoi main gai aur use himmat di ki nazadiki dostom ke sath aisi
film dekhane main koi harz nahin hai. Hum rasoi se kuch aur samose aur drinks lekar aye. Kuch samay bad Soniya ne halke se kaha ki use bhi wah film dekhane main koi aitaraz nahin hai. Ranjit bahar jakar car se cassatte nikal laya jisaka nam 'Bomby Fantasyi' tha.
Hum sab unke bedroom main chale gaye. Main aur Ranjit sofe par baith gaye aur Partho aur Soniya apane bistar par. Partho ne light band karake film chalu kar di. Hum logon ne ye film dekhi hui thi jismain do mard aur do aurat ke ek hi bistar par chudee ki kahani thi. Hum shantee se sofe par baith kar Partho aur Soniya ke bhav padhane ki
koshis kar rahe the. Kamare main TV ki roshni ke alava andhera tha. Kuch der main hume laga ki Partho aur Soniya garam ho rahe the aur unhone apane ap ko kambal se dhak liya tha. Aisa lag raha tha ki jaise Partho, Soniya ke sath chudaaee se purv ki harakaton main mashgul ho gaya tha. Ye dekh kar Ranjit bhi garam ho gaya aur mujhe chumne laga aur meri chuchiyon se khelne laga. Ab Partho aur Soniya apane ap me
itne vyast the ki unka dhyan humari or nahee tha. Yeh jan maine bhi Ranjit ke lund ko hathon me lekar dabana shuru kar diya. Ranjit ne bhi apana hath meri choot par rakh diya, aur hum bhi Partho aur Soniya ke bich chal rahe sambhavit khel main shamil ho gaye.
Acanak Ranjit ne dekha ki Partho aur Soniya ke ooper se kambal ek or sarak gaya tha aur uski nazar Partho ke nange chootaron par padi Soniya ki saree utar chuki thi aur Partho Soniya ke upar charha hua tha. We dono poori taraha chudai main lag gaye the. Partho apna 8" ka khara lund Soniya ki choot me ghuser chukka tha aur apne hathon se Soniya ki chuncheon ko masal raha tha. Yeh dekh kar Ranjit ne kaha ki wo bhi mujhe chodna chahata hai aur eh kah kar Ranjit ne mere dono
chunchion ko pakar kar kas kas kar dabane lag. Par main sharma rahi thi kyounki Partho aur Soniya ki taraha humare pas humare nange badan ko dhakane ke liye kuch nahee tha. Par thodi hi der me main bhi chudai ki chalti hui film, apni chunchee ki masalaee aur Partho aur Soniya ki khuli chudai se kafi garam ho gai aur Ranjit se mai bhi apni choot chudwana ke liye tarpane lagee. Ab Partho aur Soniya ke ooper para hua kambal bas nam matr ko hi unke nange badan ko dhank raha tha. Soniya ki nangi chunchee aur uski pet aur nangee janghe saf saf dikh raha tha. Partho is samay Soniya ke ooper charha hua tha aur apna kamar utha utha kar Priye ki choot me apna 8" ka lund pel raha tha aur Soniya bhi apni patli kamar utha utha kar Partho ke har dhakke ko apni choot me le rahi thee aur dhire dhire Barbara rahi thee jaise, haiiiiiiii, aur joooooor seeeeee chodoooooo, bahuuuuuuuuuuut
mazzzzzzzza aaaaaaaa rhaiiiiiii haiiiii. Ye dekh kae meri choot gili
ho gayee aur mai bhi Ranjit se wahin sofe par chudawane ko razee ho gai. Meri razamandi pa kar Ranjit mujhpar tut para aur meri dono chuncheon ko lekar pagalon ki tarah unhe masalne aur chusne laga. Mai bhi apni hath age le ja kar Ranjit ka tana hua lund pakar kar sahalane lagee. Jab maine Ranjit ke lund to sahala rahi thee to mijhe laga ki aaj Ranjit ka lund kuch jyada hi akra hua hai. Ranjit teji se apne kapade utare aur mere upar ate hue meree bhi saree utarane laga. Kuch hi der main hum dono sofe par Partho aur Soniya ki taraha nange ho cuke the.
TV ki dhundali roshani main bhi itana to saf dikh raha tha ki kambal ab puri tarah se hat cuka tha aur Partho khule bistar par humare hi samane hi Soniya ko jamkar chod raha tha aur Soniya bhi apne charo
Arial, Helvetica, sans-serif;"> taraf se bekhabar ho kar apni kamar utha utha kar apni choot chudwa rahi thee. Mere khyal se Partho aur Soniya ki khullam khulla chudai dekh kar mai bi ab bahut garam ho chuki thee aur Ranjit se boli ki ab jaldee se tum mujhe bhi Partho ki taraf chodo, mai apni choot ki khujlee se mari ja rahi hoon. Meri bat khatam hone se pahale hi Ranjit ka tanatanaya hua lauda meri choot main ek joradar dhakke ke sath dakhil ho gaya. Ranjit apne lund se itne jor se meri choot me dhakka mara ki meri mooh se ek jor dae chikh nikal gayee. Main to itnee jor se chikhi jaise ki uska lund meri choot ke andar pahali bar gaya ho! Eka ek pura mahaul hi badal gaya. Mari chikh se Partho aur Soniya ko bhi pata lag gaya thaa ki hum dono bhi usi kamare main hain aur apni chudai main lag cuke hain. Ye hamare jivan ke ek naye adhyay ki shuruat thi jisane ki hume adla badli karke chudaaee ke anand ka rasta dikhaya.
Meri chikh sunkar Soniya ne Partho ka lund apni choot me lete hue dheere se boli, "lagata hai ki Ranjit aur Anita bhi apni chudai shuru kar diya hai." Ye sunkar Partho ne awaz di, "Kya Ranjit, kya cal raha hai? Kya tum aur Anita bhi wahi kar rahe ho jo hum aur Soniya kar rahe hain?" Ranjit ne jawab diya, "Kyo nahin, tun dono ka live show dekh kar kaun apane aap ko rok sakata hai. Isiliye mai aur Anita bhi wahi kar rahe hain jo iswaqt tum aur Soniya kar rahe ho." Partho bola, "agar hum log sabhi ek hi kam rahe to fir ek dusare se kya chipana aur kya parda? Khule manch par aa jao, Ranjit. Aao humlog ek hi palang par apni apni biwiyon ko chit leta karke unki tange utha karke unki
chooton ki bakhiya udehrte hai." Ranjit ne pucha, "tumhara kya matalab hai, Partho?" "Mera matalab hai ki tum logo ko sofe par chudai karne me mushkil a rahi hogi, kyon nahin yahee palang par a jate ho humare pas, aram rahega aur theek tarike se Anita ki choot me apna lund pel sakoge, matlab Anita ko chod sakoge." Sacchi bat to ye thi ki hum wakai sofe par badi vichitr sthiti main the. Ranjit ne mujhase pucha ki kya mujhe palang par jane main aur Soniya ke bagal me let kar choot chudwane me koi apatti hai. Maine kaha nahi. Maim un dono ki chudai dekh kar kafi chudasi ho uthi thi aur unki chudaaee ko nazadik se dekhana chah rahi thi. TV ki dhimi roshni me main ye soch rahi thi ki ek hi palang par par let karke Soniya ke sath sath choot chudwane me koi pareshani nahi. Par mujhe ane wali ghatana ka andesha nahi tha.
Ranjit ne mera hath apane hath me liya aur palang ki or chal pada janha Partho aur Soniya chudai me lage the. Hume ata dekh Partho ne apni chudai ko rok kar humare bistar par ane ka intizar karane laga. Partho ne Soniya ki chudai to rok liya tha lekin apna lund Soniya ki choot se nahi nikala tha, wo abhi bhi Soniya ki choot me jar tak ghusa
hua tha aur Partho aur Soniya ki jhante ek dusre se mile hue the. Ranjit ne palang ke nazdik pahunch kar mujhe Soniya ke pas chit ho kar letne ko kahaa. Jaise hi main Soniya ke bagal me chit ho kar leti, Partho mujhe chor kar utha aur kamare ki light jalakar wapas bistar par a gaya. Hum logon ko eka ek sara ka sara mahul badala hua nazar ane laga. Hum charo ek hi palang par chamkti roshani main sare-am nang-dhadang chudai me lage hue the. Partho aur Soniya bina kapadon ke kafi sundar lag rahe the. Soniya ki chuncheyan chote chote the par chutar kafi bade the. Uski choti choti jhante badi safai se uski sundar choot ko dhake hue thi. Kamare ki halki roshni me Soniya ki choot jo ki is samay Partho ka lund se chud rahi thee kafee khulee
khulee si lag rahi thee.
Kamare ki chamkti roshni me Partho ke khade lund ko Soniya ki choot ke
ras se chamchamate hue dekha. Uska lund Ranjit se thoda lumba raha hoga, par Ranjit ka lund usase kahin jyada mota tha. Ranjit bhi Soniya ko nanga dekh kar bahut khush tha. Mujhe yad aya ki Ranjit ko hamesha chote mammo aur bade chutaron wali auraten pasand thee. Maine Partho ko apane nange jism ko bhari nazarom se ankata paya aur use shartiya mere bhari mamme aur gol gol bhare bhare chutar bha gaye the.
Partho ne bistar par akar Soniya ki khuli jamghom ke bich jhukte hue apana lund usaki gili choot se phir se bhira diya. Soniya bhi jaise hi Partho ka lund api choot ke munh me payee to jhat se apni tango ko ooper utha dee aur ghutne se apne pairon ko pakar liya. Ab Soniya ki choot bilkul khul gaye aur Partho ne ek jor dr jhtke ke sath apna lund
Soniya ki choot me dal diya. Ye dekh Ranjit ne bhi apana lund apne hath se pakar kar meri choot ke che se lagaya aur ek jhatke ke sath meri choot ke andar ghused kar mujhe chodne laga. Partho halanki Soniya ko bahut jor se chod raha tha par usaki nazar meri choot par tiki hui thi. Ranjit ka bhi yahi hal tha aur uski nazar Soniya ki chudti hui choot par se hat nahin pa rahi thi. Mujhe eh Partho aur Ptiya ke sath sath chudai karwane me bahut maza aa rahi thee aur ab mai bhi garma kar apni kamar uchka uchka kar Ranjit ka lund apni choot me dalwa rahi thee aur mere bagal me Soniya bhi apni tango ko utha kar ke Partho ka lund apni choot se kha rahee thee. Palang par char logon ke liye jagah kam tha aur humare jism ek dusare se takara rahe the. Soniya ka pair mere pair se aur Ranjit ki jangh Partho ke jangh se chuu raha tha. Thori der tak mai apni choot chudwate hue Soniya ko dekh rahi thee aur thori der ke bad mai ne apani hath age bada kar Soniya ka hath pakad liya. Soniya ne khushi ka izahar karate hue mere hath ko dabayee aur apni kamar uchkate hue meri taraf dekh kar muskuraee. Yeh dekh Partho ne apana hath barha kar mere pet par meri choot se thoda upar rakh diya. Mujhe Partho ka hath apne pet par bahut accha laga aur maine Partho se kuch nahin kaha. Partho ka harkat dekh kar Ranjit ne bhi apna hath Soniya ki jangh par uski choot ke pas rakh diya aur Soniya ki jangho ko halke halke se sahalana aur dabane laga. Partho aur Ranjit ke in harakaton se hum sab me ek nai tarah ki chudas bhar gayee aur dono mard hum dono auraton ko jor jor se chodne shuru kar diya.
Acanak Ranjit ko humara wo vartalap yad aya jisme huma kisi dusare jode ke sath chudai ki kalpana ki thi. Ranjit ne mujhse pucha, "Anita kya tum aaj kisee nayee cheez ka anand uthana chahogi?" Mai Ranjit se puchee, "tumhara kya matalab hai Ranjit? Tum aur kis naye anand kee baat kar ho? Abhi to mujhko Soniya ke sath uski palang par let kar tumse apni choot chudwane me bahut anand mil raha hai." Tab Ranjit muskurate hue meri chuncheon ko apne hatho se masalte hue bola, "aaj Partho se chudwane ka mazaa lene ke bare me tumhara kya khyal hai?" Mai aur Ranjit kalpana me Partho aur Soniya ke sath itni bar ek dusare ko chod chuke the ki ye sab baten mere liye nai nahi the. Isliye mai Ranjit se boli, "Ranjit, aaj meri choot itni garm ho chuki hai ki mujhe isse koi fark nahi padta ki aaj mujhe kaun chodta hai, tum yaa Partho. Bas mujhe apni choot me koi na koi lund ka thokar chahiye aur wo lund itna thokar mare ki mai jaldee se jhar jaoon. Is samay mai apni choot ki khujlee se bahut pareshan hoon." Yaha sunate hi Ranjit ne Partho ki or mud kar kaha, "Partho, kya tum aaj ek naye anand ke liye Anita ki choot me apna lund dalna chahoge? Kya tum aaj Anita ko chodna chahoge?" Ranjit ki bat sun kar Partho jhatapat Soniya ki choot me char chaha kas kas kar dhake mare aur khusi se bola, "zarur Ranjit, par agar Soniya bhi ek naye anand ke liye tum se apni choot cudawana cahati hai to."
Jab maine dekhi ki Partho aur Ranjit apne apne biwion ko dusre se chudwana chahate hain to fir maine himmat karke Soniya se puchee, "Soniya, kya tum bhi ek naya anand lena cahati ho, Ranjit ka lund apni choot me dalwa karke usse chudwana chahatee ho?" Soniya thori der tak sochne ke bad Partho ke gale me apni bahon ko dal kar aur uske seene se apni chuncheon ko ragarte hue boli, "kyuon nahee! Agar dusre mard ke sath Anita apni choot chudwa sakti hai aur ye Anita ke liye theek hai to mujhe kyon fark padana cahiye? Mai bhi Ranjit ke lund se apni choot chudwana chahatee hoon aur ye bhi dekhna chahati hoon ki Partho ka lund kaise Anita ki choot me ghusta hai aur nikalta hai aur kaise Anita apni choo Partho se chudwatee hai. Aaj mai bhi Anita ki tarah
chinal banna chahate hoon aur kisi dusre mard ka lund apni choot me pilwana chahatee hoon." Aur yahi hum logo ki adla abdli chudaaee ka agaz tha.
Soniya ki baton ko sunkar Partho ne apna lund Soniya ki choot se bahar kheench liya aur Ranjit se bola, "chal ab hum apni apni biwiyan badal kar unki choot ko chod chod kar unka bhosra banate hain." Partho ki bat sunkar Ranjit ne bhi apna lund meri choot me se nikala aur Soniya ki or badh gaya. Partho bhi apne hath se apna lund pakar kar mere pas aya. Partho mere pas akar meri jamghom ke bich jhukte hue usne pahale meri choot par ek jordar chumma diya aur phir apana lund meri kulabulati hui choot main lagaya aur ek dhakke ke sath apna lund meri choot ke anadar ghuser diya. Mai bhi pni kamr uchka kar Partho ka pura ka pura lund apni choot me dalwa liya. Phir mai apni choot me Partho la lund leti hui Ranjit ko bhi Soniya ki choot me apna lund ghusa kar Soniya ki chudai shuru karte hue dekhee. Ranjit aur Soniya dono bade josh ke sath ek dusre ko chod rahe the. Jitna tezee se Ranjit apna lund Soniya ki choot me ghuserta utni hi tezee se Soniya bhi apni kamar uchka kar Ranjit ka lund apni choot me le rahi thee. Mai ek nayaa lund apani choot me dalwa kar bahut khush thi aur khoob maze se
Partho ka lund apni choot me pilwa rahi thee. Partho ka lumba lund meri choot ke khoob andar tak jaa raha tha aur mujhe Partho ki chudai se bahut maza mil raha tha. Partho bhi meri chuncheon ko apne dono hathon se masalte hue mujhe chod raha tha. Mai bar bar Ranjit ke mote lund ko Soniya ki choot me jata hua dekh rahi thi. Ranjit bhi meri choot ko Partho ke lund se cudte hue bina pareshani ke dekh raha tha.
Soniya bhi Ranjit ke lund ko meri choot main andar bahar hote dekh rahi thi aur Partho sirf meri bina jhanton vali cikni choot ko dekh kar use chodne me pura dhyan lagaye hue tha. Is samay mujhe laga ki duniya me apne pati ko apni sabase chaheti saheli ko chodate hue dekhne ka sukh aparampar hai. Tab jabaki mai khud bhi usi bistar par
us saheli ke pati se sabake samne khulamkhullaa chudwa rahi hum. Kamare me sirh humari chudai ki awaz gunj rahi thee. Soniya apni choot me Ranjit ka lund pilwate hue har dhakke ke sath Ohh! Ohh! Ahh! Ahh! Kar rahi thee aur bol rahi thee, "hai Ranjit kya mast chod rahe ho,
aur jor jor se chodo mujhe, bahut dino ke bad aaj meri kayde se chud rahi hai. Hai kya lund hai tumhara. Meri choot lag rahi hai aaj phat ho jayegee. Tum rukna mat, mujhe aaj khoob chodo. Chod chod kar meri choot ka bhosra bana do." Ranjit bhi Soniya ki chunchee dabate hue apna kamar utha utha kar hachak hachak kar Soniya ko chod raha tha aur bol raha tha, "hai meri chuddakr rani, aaj tak tune Partho ka lund khayee hai, aaj tujhe mai apne lund se chod chod kar teri choot ka
baja baja dunga. Aaj teri choot ki khair nahi." Idhar Partho meri choot chodte hue bol raha tha, "hai meri jaan, tum itne din kyon nahi mujhse chudwaee. Aaj teri choot dekh mai kaise chodta hoon. Teri choot mere lund ke liye bana hua hai. Aaj ke bad tu sirf mujhse chudwagee. Le Le mer lund ki rani le mere lund ka thokar kha apni choot ke andar. Maza aa raha ki nahi meri jaan, Bol na bol, kuch to bol." Pure kamare me bas pak, pak, pakat pakat ki awaz gunj rahii thee.
Tabhi acanak Partho ne mujhe chodte chodte achanak apni chodna band kar diya aur apna lund meri choot se nikal karke mujhe palang par se uthne ke liye bola. Jaise hi mai palang par se uthee to Partho jhat meri jagah par let gaya aur mujhe apne ooper kheench karke mujhse uske char karke chodne ke liye bola. Mai to garam thee hi aur isliye mai partho ke kamar ke dono taraf apni hathon ko rakh karke Partho ke lund ko apne hatho se pakar karke uske supare par ek chumma diya aur Partho ke ooper char gayee aur apne hathon se Partho ka lund pakar karke apn choot ke ched se bhira dee. Partho bhi neeche se meri dono chuncheon ko apne hathon se pakar kar unko dabate hue neeche apna kamar uth karke apna lund meri choot ke andar dal diya. Mai Partho ke ooper baith kar uske lund ko apne choot me leti huee mur kar dekhee ki Ranjit ne bhi Soniya ki chhot marne ka asan badal liya hai aur wo ab Soniya ko ghori bana karke ukroo hone ke liye kaha. Uske bad Ranjit ne Soniya ke bade chutaron ko pakad kar use piche se chodna shuru kar diya. Soniya ghori ban kar Ranjit ke dhakkon ka jawab dene lagi aur mai bhi Partho ko oopar se teji se Partho ko chodne lagi. Thodi hi der me hum char ek sath jhad gaye. Jharte samay Partho ne mujhe apne se chipka liya aur apna lund jar tak meri choot me ghuser kar apna pura ka pura mal meri choot ke gharai me chora diya. Udhar Ranjit bhi Soniya ko apne chipka kar Soniya ki choot apne lund ke pani se bhar diya. Jharte waqt mai aur Soniya apne hathon se Partho aur Ranjit ko
apne se sata liya tha aur jaise hi choot ke andar lund ka fouwara chuta choot ne bhi apni apni fouwara chor diya.
Apni is pahli adla badli chudai ke bad hum sab bahuk thak gaye aur thori der tak apne jagah par let kar aur baith karke susta liya. Partho apna lund meri choot se bina nikale mere ooper hi para raha aur apne hathon se meri chuncheon se khelta raha aur kabhi kabhi meri honton par chumma de raha tha. Mai bhi Partho ko chumma de rahi thee.
Udhar Ranjit bhi Soniya ki choot se apna lund bina nikale uski chuncheon ko choos raha tha. Thori der ke bad jab sans thori si thek huee tab humlogo ne bina kapare pahane nange hi drawing room me aaye. Kamre me aakar Partho ne mujhe apni bahon me le liya aur mere chucheeyon se khelne laga. Udhar Ranjit ne Soniya ko piche se pakada aur apna jhara hua lund uske nange chootaron se ragadne laga. Mai aur Soniya dono Partho aur Ranjit ke nange god me baith kar apne apne hatho ko peeche karke unke lund ko sahalana shuru kar diya.
Tabhi Partho ne Soniya se ek glass pani manga. Tab Soniya nangee hi kitchen ki taraf chal dee aur Ranjit bhi Ptiya ke piche piche kitchen ke taraf chal diya. Partho ek sofe par baith gaya aur mujhe kheench kar apni god me bitha liya. Mere nange chootar uske lumbe lund se choo rahe the. Ranjit aur Soniya kichen se drinks aur khane ka saman lekar wapas aaye. Ranjit ne bhi Soniya ko apani god me apne lund par bitha liya aur uske chootaron se khelane laga. Is taraha se dono log ek dusare ki patniyon ke nange badan se jee bhar ke khelne lage. Acanak Ranjit ne Partho se pucha "Partho, batao tumko Anita kaisi lagi, khas kar uski choot tumhe pasand aaye ki nahi?" Partho ne uttar diya "kya bat karate ho Ranjit, Anita ko chodne me to maza aa gaya. Kya chudwati
hai apni chutar utha utha kar. Aur sabse maza Anita ki chunchee masalne ne hai, kya mast chunchee hai Anita ki. Kubse mai aise mast bari bari chunchiyon wali aurat ko chodne ke chakkar me thaa. Par tum batao ki tumhe Soniya ko chodne me kaisa maza aaya." Ranjit bola "Yaar Partho, mujhe bhi Soniya ki kasi hui choot chodne me bada maza aaya. Mera lund Soniya ki choot me phansa phansa ghus raha tha. Soniya jab
apni tang utha kar apni choot me mera lund pilwa rahi thee tab mujhe bahut acchha lag raha tha. Mai bhi bahut dino se ek choti choti chunchiyon aur bade bade chutaron wali aurat ko chodne ke sapane dekh raha tha. Chaho to Anita se punch lo." Maine kaha "han Ranjit ko to bas Soniya jaisi bibi chahiye thi. Ranjit apne aurat ko ulta lita karke peeche se hoot me chodna pasand karta hai aur sath hi sath uski bhari bhri chutaron se khelna pasand karta hai."
Yeh sun kar Soniya boli "accha to Ranjit ko mere jaisi aur Partho ko Anita jaisi bibi chahiye thee fir hum kyoun na ek dusre se jivan bhar ke liye pati aur patni ko badal lee? Waise mujhe bhi Ranjit ke lund ki chudai bahut acchee lagi. Choot chudwate waqt lag raha tha ki meri choot puri ki puri bhar gayee hai." Ranjit tab jhuk kar Soniya ki honthon ko chumte hua bola, "Soniya thanks for the compliments. Waise sari umar ka to mai nahi janta, par mai Anita ko Soniya se badalne ke liye hamesha taiyar hoon. Muhe Soniya ki choot me lund pelna bahut acchaa laga." Yeh sun kar Partho bola, "Yaar Ranjit, kya bat hai. Tune to mere man ki bat kaha dala. Tum bhi jab chaho Soniya ke sath maza le sakate ho, uski choot chat sakte ho, uski choot chod sakte ho, chaho
to tum Soniya ki gand me apna lund bhi ghuser sakte ho. Ranjit, kal shanivar hai aur agar tum chaho to Anita ko mere pas hi kal tak rahane
do aur tum Anita ki jagah Soniya ko apne sath ghar le jaao." Ranjit ne uttar diya, "Partho, isse acchi aur kya bat ho sakati hai. Mai Anita ko tumhare pas chor jata hoon aur tum Soniya ko kal sham ko akar le jana. Lekin pahale humlogon ko Soniya aur Anita se bhi poonch leni chahiye ki unki kya rai hai. Kya wo apne pati ke gair maujudgee me kisi aur ke lund apne choot me pilwana chahengee ki nahi?" Ranjit ki bat sun kar Soniya subse pahale boli, "Anita ki bat to mai jantee nahi, lekin mujhe jab nangee karke Partho ke samne ek bar Ranjit chod chukka hai to mujhe ab koi farak nahi parta ki Ranjit dobara mujhe partho ke gair maujudgee me chodta ya Partho ke samne chodta. Mujhe to is samay bas Ranjit ki chudai ki khumari charee huee hai aur mai for se Ranjit ke lund apne choot me pilwana chahatee hoon." Soniya ki baton ko sun kar mai bhi tab Partho le lund ko apne hathon se marorte hue boli, "hai meri chinal Soniya rani, tu ek bar Ranjit ka lund kha kar hi us par fida ho gayee? Koi bat nahi, ja mai aaj aur kal tak ke liye tujhe Ranjit ka lund me diya. Ja tu apni choot mere pyare Ranjit ke lund se chudwa ya apni gand marwa. Mai aaj rat tere pati ke lnd se apni kam chala lungee. Waise Soniya meri jan, tera thoku khoob kam kar thokta hai apna lund. Mujhe to maza aa gayee aur tum logon ke jane bad mai to Partho se phir apni choot me uska lund thukwaungee." Soniya aur meri baton ko sun kar Partho aur Ranjit bahut khush ho gaye aur humlogon ko dher sari chummiya dee aur chuncheean masalee. Fir Ranjit ne Soniya ko mere kapade pahana kar apne sath le gaya aur mujhe Partho ke pas nangi chor gaya. Sach bata un to Partho
aur main apne is pahale adla badli chudaaee ke anubhav se itane utsahit hue ki Ranjit aur Soniya ke ghar se jate hi fir se chudai me lag gaye. Bad me Ranjit ne bataya ki usne bhi ghar jakar sari rat Soniya ko mere bistar par patak kar khub choda.
Ranjit aur Soniya ke jate hi Partho ne sabse pahale mujhko apne bahon me lekarke khoob chuma aur meri dono chuncheon ko dabaya, masla aur husa phir mujhe apni god me nangi hi utha liyaa aur bistar par le ayaa. Bistar par la kar Partho ne mujhe bister par sula diya aur khud mere bagal me let kar meri chuncheon ko dabate hue bola, "Anita meri jan, mai tumhe aaj sari rat jaisa tum chahogi waise chod kar pura maza dena chahata hum. Bolo aaj rat mere sath tum apni choot kaise chudwana chahatee ho?" Maine bhi Partho ke munh se apni ek chunchee lagatee hue boli, "to fir mai jaise kahun waise mujhe dhire dhire chod kar sari rat mujhe aur meri choot ko maza do." Partho ne pucha, "to batao mai kya karun. Jo tum bataogi wahi mai karunga". Maine Partho se apne oopar nange let kar pahle mera sara nanga badan chumne aur chatane ke liye boli. Partho jhat mere ooper char kar meri nangee badan sar se pair tak chumne laga. Pahale usne mere hoton ko khub chuma, fir meri chunchiyon ko khub chusa, uske bad meri pair se meri jaghon tak mere badan ko khub chuma aur chataa. Partho ne mere pet ko, meri nabhi ko, meri choot ke upar ke ubhare hue trikon ko ji bhar ke chatate hue, meri jaghon, aur mere pairon ko khub chata. Mujhe Partho ke is tarah se chumna aur chatna bahut acchha lag raha tha aur Partho bhi bahut man laga karke meri sari ki sari badan chum raha tha aur chat raha tha. Itna sara chumma chati ke bad bhi abhi tak Parttho ne meri choot ke andar apni jeev nahi ghuseri thee. Ab meri choot ke andar chitiyan rengna chalu ho gaye.

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